बिगड़ती लाइफस्टाइल और खानपान की गलत आदतों के चलते दुनिया भर में डायबिटीज की डिजीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि भारत दुनिया भर में डायबिटीज कैपिटल के रूप में जाना जाने लगा है। ऐसे में दलिया डायबिटीज के रोगीयों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। दलिया में पाए जाने वाले फाइबर के कारण ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को कंट्रोल में रखता है।
एक्सरसाइज (Workout) के लिए ऊर्जा दे दलिया
यह वर्कआउट या एक्सरसाइज के बाद खाया जाने वाला सबसे अच्छा आहार है। एक्सरसाइज करने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए आपको वजन कम करने के लिए इसे खाना चाहिए। इससे आपकी ऊर्जा का स्तर बढ़ेगा और आप अच्छे से एक्सरसाइज कर पाएंगे। आप इस एक्सरसाइज करने से पहले या बाद में कभी भी खा सकते हैं। बस दूध में इसे बनाएं, लेकिन चीनी की जगह शहद का प्रयोग करें, ताकि आपको अपने व्यायाम का पूरा फायदा हो।
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दलिया के फायदे: कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) नियंत्रित करें
आज के दौर में गलत खानपान और बिगड़ती लाइफस्टाइल के कारण कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना एक आम समस्या हो गई है। ऐसे में इसे कंट्रोल करने के लिए दलिया एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। दलिया में काफी मात्रा में फाइबर पाए जाते हैं। शरीर में फाइबर जाने से यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम करता है। साथ ही कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से इंसान को हार्ट की बीमारियां भी बढ़ती हैं। ऐसे में दलिया के सेवन से इसकी आशंका काफी कम हो जाती है। इसको कई शोध भी किए जा चुके हैं, जिनमें इस बात की पुष्टि हुई है कि नियमित दलिया खाने से हार्ट की बीमारी होने का खतरा काफी कम हो जाता है।
दलिया खाने से हड्डियां (Bone) होती है मजबूत
आज के दौर में काफी लोग हड्डियों की बीमारी से जूझ रहे हैं। दलिया में काफी मात्रा में मैग्नीशियम और कैल्शियम होने के कारण यह हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है। दलिया में काफी मात्रा में मैग्नीशियम और कैल्शियम पाया जाता है। कैल्शियम (Calcium) हड्डियों को मजबूत करने का काम करता है। ऐसे में दलिया खाने से भी हड्डियां मजबूत होती हैं। साथ ही रेग्यूलर दलिया खाने से बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों की समस्याएं नहीं होती हैं। साथ ही दलिया पित्त की थैली में मौजूद पथरी की समस्या में भी आपको राहते दे सकता है।
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अस्थमा (Asthma) से बचाता है दलिया
कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जिन बच्चों को छह माह के पहले ही फूड खिलाना शुरू कर दिया जाता है या फिर छह माह के तुरंत बाद बच्चे फूड पर निर्भर हो जाते हैं, उन्हें अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। अस्थमा क्रोनिक डिजीज है। ये एक प्रकार का इंफ्लामेट्री डिसऑर्डर है। ऐसे में बच्चों को कफ (Cough) की समस्या, सांस लेने में समस्या और कमजोरी का एहसास हो सकता है। आपको बताते चले कि ऐसा अन्य खाद्य पदार्थों के साथ नहीं होता है। अगर बच्चे को छह माह के बाद थोड़ी मात्रा में दलिया का सेवन कराया जाए तो बच्चे में अस्थमा का खतरा घट जाता है।
कर सकते हैं ग्लूटेन फ्री ओट्स (Gulet free oats) का सेवन
ओट्स ग्लूटेन फ्री भी मिलती है, लेकिन आपको इसके लिए पैकेट में एक बाद लेबल जरूर चेक करना चाहिए। अगर आप ग्लूटेन फ्री डायट लेते हैं तो ग्लूटेन फ्री ओट्स का भी आप भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जिन लोगों को सिलिएक डिजीज हो, उन्हें ग्लूटेन युक्त दलिया खाने से बचना चाहिए। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
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दलिया के फायदे: हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) बढ़ाने में करता है मदद
शरीर में आयरन की कमी के कारण हीमोग्लोबिन का स्तर भी कम हो जाता है। दलिया आयरन (Iron) का एक अच्छा सोर्स है। वहीं शरीर में आयरन की कमी होने पर इंसान को कमजोरी और थकान की समस्या हो सकती है। ऐसें में नियमित रूप से दलिया खाने से इंसान के शरीर में आयरन की मात्रा बैलेंस रहती है। इसके अलावा दलिया शरीर में मेटाबॉलिज्म (Metabolism) को ठीक रखने का काम करता है।
संतुलित मात्रा में करें दलिया का सेवन