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तो क्या 2120 तक खत्म हो जाएगी सर्वाइकल कैंसर की बीमारी?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/11/2021

    तो क्या 2120 तक खत्म हो जाएगी सर्वाइकल कैंसर की बीमारी?

    WHO से जुड़े शोधकर्ताओं ने तर्क दिया है कि अगर सही निवारण ( perfect preventive actions) अपनाया जाए तो सर्वाइकल कैंसर की बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है। डब्लूएचओ की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में सर्वाइकल कैंसर की बीमारी के करीब 570,000 नए मामले आए थे। लो और मिडिल इंकम कंट्रीज में सर्वाइकल कैंसर की बीमारी से मरने वाली महिलाओं की संख्या अधिक है। अगर अच्छे प्रिवेंटिव एक्शन को अपनाया जाए तो सर्वाइकल कैंसर की बीमारी से हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सकता है।

    आपको बताते चलें कि भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का सबसे बड़ा कारण सर्वाइकल कैंसर है। सही ट्रीटमेंट न मिल पाने की वजह से 15 से 45 वर्ष की आयु में महिलाओं की मौत हो जाती है। अगर सही समय पर इलाज मिल जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। द लैंसेट (The Lancet) में दी गई दो रिसर्च में तर्क दिया गया है कि आने वाले 100 वर्षों के अंदर सर्वाइकल कैंसर को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है।

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    सर्वाइकल कैंसर की बीमारी क्या है ? (What is Cervical Cancer)

    सर्वाइकल कैंसर सर्विक्स की लाइनिंग के नीचे के हिस्से को इफेक्ट करता है। सर्वाइकल कैंसर धीरे-धीरे डेवलप होता है और कुछ ही समय बाद पूरी तरह से डेवलप हो जाता है। सर्विक्स की लाइनिंग के नीचे के हिस्से की सेल्स लगातर अपनी संख्या बढ़ाती रहती हैं जो कैंसर का कारण बन जाता है। सर्वाइकल कैंसर की मुख्य वजह वायरस को माना जाता है। एचपीवी वायरस के कारण इंफेक्शन की समस्या हो जाती है जो आगे चलकर सर्वाइकल कैंसर की बीमारी बन जाता है। एचपीवी संक्रमण सेक्शुअल इंटरकोर्स या फिर स्किन टच की वजह से फैलता है। जिन महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर की समस्या हो जाती है, उन्हें लंबे समय तक पीरियड्स की समस्या, असामान्य ब्लीडिंग और सेक्स के दौरान ब्लीडिंग की समस्या हो जाती है।

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    सही समय पर  वैक्सीन है जरूरी

    स्टडी के अनुसार, शोधकर्ताओं का अनुमान है कि ह्युमन पेपिलोमावायरस (HPV) को रोकने के लिए लो और मिडिल इंकम कंट्री की लड़कियों को सही समय पर वैक्सीन लगवाने से सर्वाइकल कैंसर की बीमारी को 89.4% तक कम किया जा सकता है। एचपीवी वायरस आसानी से फैल सकता है, ये वायरस उन लोगों में अधिक आसानी से प्रवेश कर सकता है, जो लोग यौन रूप से सक्रिय होते हैं। वायरस के कारण जननांग में मस्सा हो जाता है और साथ ही आगे चलकर सर्वाइकल कैंसर की समस्या हो जाती है। एचपीवी वायरस के कारण सर्वाइकल कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। कई बार वायरस किसी भी प्रकार का इंफेक्शन पैदा किए बिना ही समाप्त हो जाता है।

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    स्टडी के दौरान यह बात सामने आई कि अगर लड़कियों को सही समय पर वैक्सीन दी जाए तो भविष्य में सर्वाइकल कैंसर की संभावनाओं को कम किया जा सकता है। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (NCI) की सिफारिश है कि बच्चों के 11 से 12 साल की उम्र में टीकाकरण हो। साथ ही ये भी जरूरी है कि 9 वर्ष की आयु तक बच्चों का टीकाकरण हो जाए। आपको बताते चलें कि वैक्सीन 45 वर्ष की उम्र तक भी ली जा सकती है।

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    चेकअप और स्क्रीनिंग जरूर कराएं

    पहली स्टडी में प्रो ब्रिसन और उनके सहयोगियों ने तर्क दिया कि पर्याप्त टीकाकरण हो जाने के बाद कई देशों में सर्वाइकल कैंसर की बीमारी के 61 मिलियन मामलों को 2120 तक रोका जा सकता है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अपने जीवनकाल में कम से कम इस बीमारी से सुरक्षा के लिए दो बार चेकअप जरूर कराएं। ऐसा करने से सर्वाइकल कैंसर की बीमारी में 96.7% की कमी आ सकती है और साथ ही 2.1 मिलियन अन्य मामले औसत हो सकते हैं। ये भविष्यवाणी उन देशों के लिए सही साबित हो सकती है जो एचपीवी टीकाकरण की नीति को 2055-2102 के बीच सही तरह से अपनाते हैं। जीवनकाल में दो बार स्क्रीनिंग करवाने से भी सर्वाइकल कैंसर की बीमारी से बचा जा सकता है। डॉ. ब्रिसन इस बारे में कहते हैं कि हम इस बारे में अनुमान लगा रहे हैं कि डब्लूएचओ की रणनीति को लागू करने में बीमारी में कितनी कमी आ सकती है।

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    क्या कहा गया दूसरी स्टडी में ?

    डब्ल्यूएचओ के कंसोर्टियम शोधकर्ताओं का अनुमान है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में सर्वाइकल कैंसर की वजह से मृत्युदर 2020 में 1 लाख महिलाओं में 13.2 प्रतिशत होगा। अगर इन देशों में जीवनकाल में दो बार स्क्रीनिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाए तो 2030 तक मृत्यु दर को 34.2% तक कम किया जा सकता है। अगर सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मृत्यु का हिसाब लगाया जाए तो 10 सालों के अंदर सर्वाइकल कैंसर से 4 लाख से ज्यादा मौतें हाेंगी। डॉ. ब्रिसन ने अनुमान लगाया है कि टीकाकरण की दर में सुधार करने से 2070 तक मृत्यु दर को 61.7% तक कम किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि बेहतर स्क्रीनिंग और सर्वाइकल कैंसर ट्रीटमेंट प्रैक्टिस की मदद से मृत्यु दर 88.9% तक कम हो सकती है। जीवनकाल में एक बार स्क्रीनिंग से 60.8 मिलियन मौतों को रोक सकता है, जबकि जीवनकाल में दो बार स्क्रीनिंग से 62.6 मिलियन लोगों की मृत्यु को टाला जा सकता है।

    मई 2020 में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में आयोजित होने वाली 73वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में डब्लूएचओ सर्वाइकल कैंसर एलिमिनेशन स्ट्रेटजी को शोधरर्ता प्रस्तुत करेंगे। स्टडी में कुछ बातों को ध्यान रखते हुए अध्ययनकर्ताओं ने अनुमान लगया है कि अगर कुछ देशों में सही निवारण किया जाए तो 100 सालों में सर्वाइकल कैंसर की समस्या से निपटा जा सकता है।

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    सवाईकल कैंसर के लक्षण नहीं पहचान पाती हैं महिलाएं

    अक्सर महिलाएं अपने शरीर में होने वाले बदलावों को नजरअंदाज कर देती हैं, जिसके कारण उनको शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है। सर्वाइकल कैंसर की समस्या होने पर भी महिलाएं पहचान नहीं पाती हैं और शरीर में हो रहे बदलावों को आम बदलाव ही मानती हैं। सवाईकल कैंसर की समस्या होने पर भूख कम लगना, यौन संबंध बनाने में दर्द महसूस होना, डिस्चार्ज की अधिक समस्या होना, पैरों में दर्द महसूस होना आदि समस्याएं हो जाती हैं। साथ ही वजन में भी कमी महसूस होने लगती हैं। अगर समय रहते लक्षणों को पहचान लिया जाए तो सर्वाइकल कैंसर की समस्या से निपटा जा सकता है।

    अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें। बिना डॉक्टर के परामर्श किसी भी तरह का फैसला न लें। हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल है तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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