पहली स्टडी में प्रो ब्रिसन और उनके सहयोगियों ने तर्क दिया कि पर्याप्त टीकाकरण हो जाने के बाद कई देशों में सर्वाइकल कैंसर की बीमारी के 61 मिलियन मामलों को 2120 तक रोका जा सकता है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अपने जीवनकाल में कम से कम इस बीमारी से सुरक्षा के लिए दो बार चेकअप जरूर कराएं। ऐसा करने से सर्वाइकल कैंसर की बीमारी में 96.7% की कमी आ सकती है और साथ ही 2.1 मिलियन अन्य मामले औसत हो सकते हैं। ये भविष्यवाणी उन देशों के लिए सही साबित हो सकती है जो एचपीवी टीकाकरण की नीति को 2055-2102 के बीच सही तरह से अपनाते हैं। जीवनकाल में दो बार स्क्रीनिंग करवाने से भी सर्वाइकल कैंसर की बीमारी से बचा जा सकता है। डॉ. ब्रिसन इस बारे में कहते हैं कि हम इस बारे में अनुमान लगा रहे हैं कि डब्लूएचओ की रणनीति को लागू करने में बीमारी में कितनी कमी आ सकती है।
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क्या कहा गया दूसरी स्टडी में ?
डब्ल्यूएचओ के कंसोर्टियम शोधकर्ताओं का अनुमान है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में सर्वाइकल कैंसर की वजह से मृत्युदर 2020 में 1 लाख महिलाओं में 13.2 प्रतिशत होगा। अगर इन देशों में जीवनकाल में दो बार स्क्रीनिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाए तो 2030 तक मृत्यु दर को 34.2% तक कम किया जा सकता है। अगर सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मृत्यु का हिसाब लगाया जाए तो 10 सालों के अंदर सर्वाइकल कैंसर से 4 लाख से ज्यादा मौतें हाेंगी। डॉ. ब्रिसन ने अनुमान लगाया है कि टीकाकरण की दर में सुधार करने से 2070 तक मृत्यु दर को 61.7% तक कम किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि बेहतर स्क्रीनिंग और सर्वाइकल कैंसर ट्रीटमेंट प्रैक्टिस की मदद से मृत्यु दर 88.9% तक कम हो सकती है। जीवनकाल में एक बार स्क्रीनिंग से 60.8 मिलियन मौतों को रोक सकता है, जबकि जीवनकाल में दो बार स्क्रीनिंग से 62.6 मिलियन लोगों की मृत्यु को टाला जा सकता है।
मई 2020 में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में आयोजित होने वाली 73वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में डब्लूएचओ सर्वाइकल कैंसर एलिमिनेशन स्ट्रेटजी को शोधरर्ता प्रस्तुत करेंगे। स्टडी में कुछ बातों को ध्यान रखते हुए अध्ययनकर्ताओं ने अनुमान लगया है कि अगर कुछ देशों में सही निवारण किया जाए तो 100 सालों में सर्वाइकल कैंसर की समस्या से निपटा जा सकता है।