पैंक्रिएटिक कैंसर का समय पर डायग्नोस न होने और इलाज न मिलने पर इंसान का बचना मुश्किल हो जाता है। वहीं अगर समय के लिहाज से देखा जाए, तो पैंक्रिएटिक कैंसर होने पर एक साल के अंदर औसतन 19 फीसदी लोग ही बच पाते हैं। वहीं इस बीमारी के साथ पांच साल तक रहने से लगभग चार फीसदी लोग ही बच पाते हैं। ऐसे में समय पर इस बीमारी का निदान करना जरूरी हो जाता है।
[mc4wp_form id=”183492″]
और पढ़ें :कैंसर रोगियों के लिए डांस थेरिपी है फायदेमंद, तन और मन दोनों होंगे फिट
भारत में पैंक्रिएटिक कैंसर या अग्नाशय कैंसर के मामले
भारत में पैंक्रिएटिक कैंसर के मामले बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। आंकड़ों की बात की जाए, तो ये प्रति एक लाख पुरुषों में 0.5 से 2.4 फीसदी पाया जाता है। वहीं प्रति एक लाख महिलाओं में इसकी दर 0.2 से 1.8 फीसदी पाई जाती है।
पैंक्रिएटिक कैंसर एक दुर्लभ किस्म का कैंसर है। यह आसानी से डायग्नोस नहीं हो पाता, जिसके कारण कई मामलों में इसके इलाज में काफी देर हो जाती है। अगर शरीर में अचानक से ही कोई परिवर्तन महसूस हो तो उसे इग्नोर न करें। किसी भी प्रकार का लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। आप साथ ही अपनी लाइफस्टाइल में सुधार कर भी कई प्रकार की बीमारियों से बच सकते हैं। अगर आप रोजाना हेल्दी खाना खाएंगे और एक्सरसाइज करेंगे तो हेल्दी रहेंगे। जो लोग लाइफस्टाइल में सुधार नहीं करते हैं, उनके शरीर में धीरे-धीरे बीमारियां पनपने लगती हैं।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। आप डॉक्टर से पैंक्रिएटिक कैंसर के लक्षण, उपाचार आदि के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं।