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ड्रीम गर्ल : आयुष्मान ने किया वॉयस मॉड्यूलेशन का यूज, जानें क्या होता है गले पर असर

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 14/08/2020

    ड्रीम गर्ल : आयुष्मान ने किया वॉयस मॉड्यूलेशन का यूज, जानें क्या होता है गले पर असर

    ‘पके पेड़ पर पका पपीता, पका पेड़ या पका पपीता, पके पेड़ को पकड़े पिंकू, पिंकू पकड़े पका पपीता…’आगे की लाइन अब आप खुद ही गा सकते हैं। लेकिन, क्या आप बिना अटके या जुबां लड़खड़ाए ये गा सकते हैं? हो सकता है अभी आप इसकी प्रैक्टिस भी करने लगे हों! अब आप यह भी कह सकते हैं कि भला ये सारी बातें मैं आपसे क्यों कह रही हूं? तो बता दें कि इसी की मदद से आप भी बॉलीवुड एक्टर आयुष्मान खुराना की तरह अपनी आवाज किसी भी लड़की की तरह बना सकते हैं।

    13 सितंबर को आयुष्मान की नई फिल्म ‘ड्रीम गर्ल’ रिलीज हो गई है, जिसमें वॉयस मॉड्यूलेशन की मदद से पूजा बनकर उन्होंने लाखों लोगों के दिलों में बवाल मचा दिया है। ‘ड्रीम गर्ल’ में उनका कैरेक्टर वैसे तो एक लड़के का ही है लेकिन, लड़की की आवाज में उन्होंने एक बार फिर से अपनी काबिलियत का जज्बा दिखाया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि आयुष्मान की ये कला तारीफ के काबिल है लेकिन, हेल्थ के नजरिए से बात करें, तो सवाल ये उठता है कि क्या वॉयस मॉड्यूलेशन गले पर असर डाल सकती है? इस आर्टिकल में हम इसी बारे में जानेंगे।

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    आयुष्मान की आवाज बदलने (वॉयस मॉड्यूलेशन) का कारण

    वॉयस मॉड्यूलेशन, मिमिक्री यानी आवाज बदलकर किसी दूसरे की आवाज में बोलना। पहले यह टैलेंट सिर्फ हंसी-मजाक का पात्र था लेकिन, अब इसे करियर के तौर पर भी चुना जा रहा है। अगर आपको लग रहा है कि आयुष्मान ने वॉयस मॉड्यूलेशन के लिए किसी स्पेशल टेक्निक या ऐप का इस्तेमाल किया होगा, तो ऐसा नहीं है। पूरी फिल्म में उन्होंने अपनी नेचुरल आवाज में ही एक लड़की की तरह आवाज बदली है। फिल्म के प्रमोशन के दौरान उन्हें यह कहते हुए भी सुना गया, “मैं 14 साल की उम्र से ही वॉयस मॉड्यूलेशन की मदद से आवाज बदलकर बात करने लगा था। दरअसल, बचपन में मैं जब भी अपनी पहली गर्लफ्रेंड को फोन करता था, तो उनके पिता फोन उठाते थें और तब मैं एक लड़की की आवाज में उनसे बात करता था।’

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    वॉयस मॉड्यूलेशन के लिए जरूरी टिप्स जानिए खुद एक्सपर्ट्स से

    हैलो स्वास्थ्य की टीम ने कुछ ऐसे ही हुनरमंद लोगों से बात की, ताकि आवाज बदलने के पीछे छिपे हुनर को करीब से जानने में मदद मिले।

    रेडियो Zabardast Hit FM 95 (दिल्ली) में डिजिटल प्रड्यूसर, मयंक वशिष्ठ कहते हैं “आवाज बदलने की कला अनोखी है। इसके लिए आप सेल्फ प्रैक्टिस और योग की मदद ले सकते हैं।’

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    वॉयस मॉड्यूलेशन के लिए करें सेल्फ प्रैक्टिस

    मयंक के मुताबिक, आप घर पर ही सेल्फ प्रैक्टिस की मदद से अपनी आवाज बदल सकते हैं। बस इसके लिए कुछ नई आदतों को फॉलो करना होगा।

    1.टंग-ट्विस्ट गेम्स खेलें

    आपको शाहरुख खान और अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ याद ही होगी। इस फिल्म में बार-बार एक अटपटा वाक्य ‘चंदू के चाचा ने चंदू की चाची को चांदनी चौक में चांदनी रात में चांदी की चमची से चटनी चटाई’ भी सुना होगा। तो बस यही है आपके लिए टंग-ट्विस्ट का गेम। इसे याद करें और तब तक बोलने की प्रैक्टिस करें, जब तक बिना रुके आप इसे साफ शब्दों में न कह सकें।

    इसके अलावा, इसी तरह ‘चंदा चमके चम चम चीखें चौंकन्ना चोर, चीटी चाटे चीनी चटोरी चीनीखोर’ इसकी भी प्रैक्टिस करें।

    अगर ये भी कम पड़ जाए, तो ‘खड़ग सिंह के खड़कने से खड़कती हैं, खिड़कियों के खड़कने से खड़कता है खड़ग सिंह’ इसकी भी प्रैक्टिस कर सकते हैं।

    2.योग करें

    वॉयस मॉड्यूलेशन के लिए सुबह-सुबह उठते ही कुछ मिनट के लिए ‘ओम’ शब्द का उच्चारण करें। ओम के उच्चारण से आवाज में भारीपन और ठहराव लाने में मदद मिलती है। ओम शब्द के उच्चारण के साथ-साथ रोजाना योगा भी करें।

    3.अपनी आवाज रिकॉर्ड कर सुनें

    फोन का वॉइस रिकार्डर ऑन करें। फिर खुद की आवाज रिकॉर्ड करें। अब उसे सुनें। खुद की आवाज आपको कैसी लगी? ज्यादातर लोगों को अपनी आवाज अच्छी नहीं लगती, हो सकता है कि आपका जवाब इनसे अलग हो। यह अच्छी बात है। लेकिन, अगर जवाब कुछ ऐसा ही है, तो खुद की आवाज अच्छे से सुनें। आवाज में क्या कमी या खराबी है, उस पर ध्यान दें। फिर उसे सुधारने और अच्छा बनाने के लिए बार-बार आवाज रिकॉर्ड करें।

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    वाक्य और शब्द पर फोकस

    उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले अभिजीत श्रीवास्तव मुंबई में बतौर राइटर और वॉयस ओवर आर्टिस्ट काम करते हैं। वो कई ऑडियो बुक और कई शोज को अपनी आवाज दें चुके हैं।

    अभिजीत का कहना है “वॉइस ओवर (वॉयस मॉड्यूलेशन) या मिमिक्री करते समय यह ध्यान रखना होता है कि उस शब्द या वाक्य को किस अंदाज में बोलने की जरूरत है। उसके लिए किस तरह की वॉइस या टोन की आवश्यकता हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी टीवी विज्ञापन के लिए आवाज देना है, तो उसका टोन अलग होगा। विज्ञापनों में आपकी आवाज में उत्साह की आवश्यकता होगी क्योंकि, टीवी विज्ञापनों में आवाज के साथ-साथ तस्वीरें भी दिखाई जाती हैं, जहां पर शब्दों के साथ-साथ उसकी भावनाओं की तरह ही चेहरे के हाव-भाव भी दिखाने की जरूरत होती है। शब्दों का साफ उच्चारण करना होता है।’

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    वॉयस मॉड्यूलेशन के लिए इसे भी आजमाएं

    BBC हिंदी जैसे जानी-मानी संस्थानों का हिस्सा रह चुकीं निधि सिन्हा राइटर के साथ-साथ एंकर और वॉइस ओवर आर्टिस्ट भी हैं। वो किस तरह अपने गले का ख्याल रखती हैं, इसके लिए जानिए उनके वॉयस मॉड्यूलेशन टिप्सः

    • गुनगुने पानी से गरारे करें।
    • ऊंची आवाज में बात करने या चिल्लाने से बचें।
    • बहुत ज्यादा मीठा या खट्टा न खाएं।
    • ज्यादा मिर्च-मसालों वाले खाने से दूरी बनाएं।
    • ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक या एल्कोहॉल पीने से बचें।
    • रोजाना दो से तीन लीटर पानी पिएं।
    • आवाज से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर वोकल मेडिसिन स्पेशलिस्ट से संपर्क करें।

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    क्या बार-बार आवाज बदलने से होते हैं साइड इफेक्ट्स?

    इस तथ्य में कितनी सच्चाई है यह जानने के लिए हैलो स्वास्थ्य की टीम ने ओटोराइनोलैरिंगोलॉजिस्ट एक्सपर्ट, डॉ. अनूप राज (एमएस – ओटोराइनोलैरिंगोलॉजी, एमबीबीएस) से बात की। डॉ. अनूप राज को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर प्रोफेसर और विभाग के प्रमुख के कान, नाक और गला के रूप में 42 साल से अधिक का अनुभव है।

    उनका कहना है कि हमारे बोलने की सामान्य क्षमता 512 वेग तक ऊंची होती है। अगर कोई इससे ज्यादा ऊंची आवाज में बात करता है या चिल्लाता है, तो उसकी आवाज में बदलाव देखा जा सकता है। गले की कुदरती नमी सूख जाती है और वोकल कॉर्ड्स का काम करना बंद हो सकता है। साथ ही,

    • गले में खराश आ सकती है।
    • गले में तकलीफ की समस्या हो सकती है।
    • डॉ. अनूप राज के अनुसार, जब भी सांस लेते हैं तो वोकल कॉर्डस ऊपर-नीचे होते हैं, जिन पर जोर पड़ता है। इस दौरान सांस लेने की प्रक्रिया में बदलाव होती है। इसलिए, अगर कोई भी किसी दूसरे की आवाज में मिमिक्री करता है या आवाज बदलता है तो उसे ऐसा 20 से 30 मिनट की अधिक देरी तक नहीं करना चाहिए।

    अगर आप भी आवाज बदलने का हुनर या वॉयस मॉड्यूलेशन करते हैं तो ओटोरहिनोलारेंजोलॉजिस्ट एक्सपर्ट, डॉ. अनूप राज के बताए गए इस टिप्स को जरूर फॉलो करें।

    क्या करें?

    चेस्ट एक्सरसाइज चेस्ट एक्सरसाइज सांस लेने की प्रक्रिया को बेहतर बनाती है, जो वोकल कॉर्डस को हेल्दी रखने में भी मददगार होती है। इसलिए आवाज को बेहतर बनाए रखने के लिए चेस्ट से जुड़ी एक्सरसाइज करनी चाहिए।

    बता दें कि आयुष्मान खुराना कॉलेज के दिनों में शाहरुख खान, अमरीश पुरी, गुलशन ग्रोवर और नाना पाटेकर की भी मिमिक्री (वॉयस मॉड्यूलेशन) किया करते थे। फिल्मों में आने से पहले वो रेडियो के शो ‘मान न मान मैं तेरा आयुष्मान’ में बतौर आरजे भी काम कर चुके हैं। अगर आप भी बार-बार आवाज बदलने के हुनर को सीखना चाहते हैं, तो कुछ जरूरी प्रैक्टिस के साथ-साथ नियमों को भी फॉलो करें, जो आपके गले के लिए नुकसानदेह हो उन खाने-पीने की चीजों से भी बचें।

    डिस्क्लेमर

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