आमतौर पर महिलाएं 20 से 30 साल की उम्र में मां बनती हैं। कुछ महिलाएं सोचती हैं कि इससे उनके पास ये फायदा होता है कि कुछ सालों बाद वह एक और बच्चे को प्लान कर सकती हैं। कुछ महिलाएं बच्चा करने में इसलिए देरी करती हैं क्योंकि वो पहले अपने करियर पर फोकस करना चाहती हैं। कुछ महिलाएं पहले दुनियाभर में घूमना चाहती हैं। सबके अपने-अपने कारण होते हैं। कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं जिन्हें अपना पार्टनर देर से मिलता है। 40 से 50 की उम्र में मां इसलिए भी बनने का सोचती हैं महिलाएं क्योंकि इस दौरान वो फाइनेंशियल स्ट्रांग होती हैं। इसके साथ ही बच्चे की अच्छे से केयर कर सकती हैं। 40 से 50 की उम्र में मां बनने का एक फायदा यह भी होता है कि इससे मां और बच्चे की उम्र में काफी अंतर होता है। महिलाएं जिनका पहले से बच्चा होता है और वो 40 से 50 की उम्र में मां एक बार फिर से बनने के लिए तैयार होती हैं। वो एक बार फिर मातृत्व को जी सकती हैं। इसके साथ ही वो इस अनुभव से पहले निकल चुकी हैं तो इस बार उनका स्ट्रेस कम होगा। और पढ़ें : पहली बार मां बनी महिला से ये 7 सवाल पूछना नहीं होगा सही, जान लें इनके बारे में
40 से 50 की उम्र में मां बनने वाली हैं तो इन बातों का ख्याल रखें
देर से बच्चा पैदा करना सहूलियतभरा तो लग सकता है, लेकिन इस उम्र में कंसीव करने में बहुत दिक्कत होती है। बड़ी उम्र की महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान स्वास्थ्य से जुड़े कई रिस्क शामिल होते हैं।
40 से 50 की उम्र में मां बनने से निम्नलिखित रिस्क होते हैं:
प्रीक्लेम्पसिया (preeclampsia): भारत में 8 से 10 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं प्रीक्लेम्पसिया से पीड़ित हैं। प्रेग्नेंसी में यह एक अतिसंवेदनशील विकार है। हाई ब्लड प्रेशर इसके मुख्य लक्षणों में से एक है।
जेस्टेशनल डायबिटीज (gestational diabetes): 40 से 50 की उम्र में मां बनने वाली महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या होती है। इसमें नवजात बच्चे में कुछ जन्मजात बीमारियां होने का खतरा रहता है।
इक्टोपिक प्रेग्नेंसी: इसमें बच्चा बच्चेदानी में न ठहरकर फैलोपियन ट्यूब या अंडेदानी में फंस जाता है।