बनाए गए टीबी के लिए सेंसर की हेल्प से डॉक्टर अपने टीबी पेशेंट की निगरानी आसानी से कर सकते हैं। ये खोज क्षय रोग से जान बचाने के लिए क्रांति साबित हो सकती है। पीएलओएस (PLOS) मेडिसिन जर्नल (कैलीफोर्निया) में प्रकाशित खबर के मुताबिक 93 फिसदी लोग सेंसर की हेल्प से सही समय पर दवा ले रहे हैं। जबकि 63 फिसदी लोग सही समय पर दवा नहीं ले रहे हैं। टीबी के उपचार के दौरान सही से देखभाल न हो पाने के कारण क्षय रोग दूसरों तक आसानी से पहुंच जाता है। इस पूरी प्रक्रिया की देख रेख में वायरलेस ऑब्जर्व थेरिपी की मदद ली जाएगी।
वायरलेस ऑब्जर्व थेरिपी में ब्लूटूथ का इस्तेमाल
वायरलेस ऑब्जर्व थेरिपी (WOT) की हेल्प से टीबी के लिए बनाए गए सेंसर को आसानी से निगला जा सकता है। टीबी के लिए बनाया गया यह सेंसर एक छोटी कैप्शूल होती है। जो ब्लूटूथ की हेल्प से मेडिकेशन लेवल के बारे में जानकारी देता है। इस कैप्शूल में एक ब्लूटूथ होगा जिसे फोन से कनेक्ट किया जा सकता है। जिसकी हेल्प से फिजीशियन पेशेंट की दवाइयों के बारे में जानकारी ट्रेक कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के प्रोफेसर सारा ब्राउन कहते हैं कि ‘अगर हमे टीबी को पूरी तरह से खत्म करना है, तो रोगियों की अच्छी देखभाल करने की जरूरत पड़ेगी।’ विकासशील देशों में टीबी जैसी गंभीर बीमारी से ज्यादा मौत हो रही है। बाल स्वास्थ्य प्रोफेसर मार्क कॉटन कहते हैं कि ‘टेक्नोलॉजी भी टीबी की समस्या को बढ़ाने का काम कर रही है।’ कॉटन के मुताबिक, भारत और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में टीबी की बीमारी तेजी से फैल रही है। यहां वायरलेस ऑब्जर्व थेरिपी (WOT) का प्रयोग लाखों लोगों की जान बचा सकता है।
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टीबी क्या है?
आमतौर पर टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो एक खास वायरस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलॉसिस के कारण होती है। जो दो तरह के हो सकते हैं, जो एक्टिव (Active Tuberculosis) या छिपे हुए ((Latent Tuberculosis) हो सकते हैं। जब शरीर का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर हो जाता है, तो छिपे हुए वायरस एक्टिव हो जाते हैं जो टीबी के संक्रमण का कारण बन सकते हैं। मूल रूप से टीबी की बीमारी हमारे फेफड़ों को प्रभावित करता है, जो हड्डियां, लिम्फ ग्रंथियां, आंत, हमारे दिल, दिमाग और अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। शुरुआती अवस्था में इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है लेकिल अगर ये बिगड़ जाए, तो जानलेवा साबित हो सकती है।