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'जोकर' में स्यूडोबलबार अफेक्ट का शिकार हैं Joaquin Phoenix, जानें क्या है ये बीमारी

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar


Lucky Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/12/2019

    'जोकर' में स्यूडोबलबार अफेक्ट का शिकार हैं Joaquin Phoenix, जानें क्या है ये बीमारी

    रिलीज होने के बाद से ही वाकीन फीनिक्स (Joaquin Phoenix)  की फिल्म जोकर (Joker) की जोर-शोर से चर्चाएं हो रही हैं। इस फिल्म में आर्थर फ्लेक यानि की ‘जोकर’ स्यूडोबलबार अफेक्ट (Pseudobulbar affect) से पीड़ित है। यह एक मानसिक बीमारी है और फिल्म में उसके अनियंत्रित रूप से हंसने का कारण भी है। ‘जोकर’ में अपने रोल के लिए फीनिक्स वाह-वाही बटोर रहे हैं। फिल्म में उनकी हंसी लोगों के साथ काफी समय तक रह जाती है। क्रिटिक्स और फैंस के अलावा इस फिल्म को स्कॉट लॉटन से भी सराहना मिली है, जो खुद इस बीमारी से पीड़ित रह चुके हैं।

    जोकर फिल्म में फिनिक्स ने जिस तरह से यह कैरेक्टर निभाया है, उसकी तारीफ हर तरफ हो रही है। आइए आज हम आपको बताते हैं कि स्यूडोबलबार अफेक्ट (Pseudobulbar affect) क्या है और क्यों इसकी वजह से व्यक्ति को हंसी का दौरा पड़ता है।

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    स्यूडोबलबार अफेक्ट क्या है

    स्यूडोबलबार अफेक्ट (पीबीए) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति अचनाक बेकाबू होकर हंसने या रोने लगता है। ऐसा बार-बार भी हो सकता है।  स्यूडोबलबार अफेक्ट आमतौर पर कुछ न्यूरोलॉजिकल स्थितियों या चोट लगने से होता है, जो दिमाग में भावनाओं को नियंत्रित करने के तरीके को प्रभावित कर सकता है।

    अगर कोई व्यक्ति स्यूडोबलबार अफेक्ट से प्रभावित है, तो वह आमतौर पर अपनी भावनाओं को सामान्य रूप से अनुभव करेगा। लेकिन, कभी-कभी ऐसे लोग अपनी भावनाओं को या तो बढ़ा-चढ़ा कर या अन्य किसी दूसरे तरीके से व्यक्त करते हैं। ऐसी स्थिति उनके दैनिक जीवन के लिए शर्मनाक और परेशानी खड़ी करने वाली हो सकती है।

    स्यूडोबलबार अफेक्ट अक्सर डायग्नोस नहीं हो पाता और इसे मूड डिसॉर्डर समझने की गलती की जाती है। एक बार डायग्नोस होने पर स्यूडोबलबार अफेक्ट को दवा के माध्यम से कम किया जा सकता है।

    स्यूडोबलबार अफेक्ट के लक्षण

    स्यूडोबलबार अफेक्ट (पीबीए) की पहचान अक्सर बिना रुके बेकाबू रोने या हंसने का दौरा है, जिसको रोकना मुश्किल है। इसके अलावा सबसे खास बात यह है कि ये आपकी भावनात्मक स्थिति से जुड़े नहीं हैं। इस तरह की बेकाबू हंसी अक्सर आंसू में बदल जाती है। हंसी का यह दौरा पड़ने के बीच आपका मूड सामान्य दिखाई देता है, जिसमें किसी भी समय दौरा दोबारा पड़ सकता है। रोना, हंसी की तुलना में पीबीए का अधिक सामान्य लक्षण है।

    पीबीए का दौरा पड़ने से व्यक्ति का रिएक्शन एकदम बदल जाता है और वह अचानक हंसने या रोने लगता है और यह कुछ मिनट तक चलता रहता है। उदाहरण के लिए, आप हल्के कमेंट के जवाब में बेकाबू होकर हंसने लगते हैं या आप उन स्थितियों में हंस सकते हैं या रो सकते हैं जो दूसरों को मजाकिया या उदास नहीं लगती हैं।

    स्यूडोबलबार अफेक्ट के लक्षणों में अक्सर रोना शामिल होता है, इसलिए इस परेशानी को डिप्रेशन समझ लिया जाता है। हालांकि, पीबीए का दौरा कम समय के लिए होता है, जबकि डिप्रेशन में व्यक्ति लगातार उदास रहता है। इसके अलावा, पीबीए वाले लोगों में अक्सर डिप्रेशन के कुछ लक्षण नहीं होते है, जैसे नींद में गड़बड़ी या भूख न लगना। लेकिन जो लोग स्यूडोबलबार अफेक्ट से पीड़ित होते हैं उनमें डिप्रेशन होना आम बात है।

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    क्यों होता है स्यूडोबलबार अफेक्ट?

    स्यूडोबलबार अफेक्ट (PBA) आमतौर पर न्यूरोलॉजिकल स्थितियों या चोट लगने से होता है, जिसके कुछ कारण हैः

    स्ट्रोक (Stroke)

    अमायोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS)

    मल्टीपल स्केलेरोसिस (MS)

    दिमागी चोट

    अल्जाइमर रोग

    पार्किंसंस रोग

    कॉम्प्लीकेशन

    स्यूडोबलबार अफेक्ट (PBA) के गंभीर लक्षण शर्मिंदगी, सामाजिक अलगाव, चिंता और डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं। यह स्थिति आपके काम करने और दैनिक कार्यों को करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है, खासकर जब आप पहले से ही एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति का सामना कर रहे हों।

    इस बारे में जब हैलो हैल्थ ने जब लखनऊ के कंसल्टेंट न्यूरो साइकियाट्रिस्ट, डॉ अभिनव पांडे से बात की तो उन्होंने बताया कि ‘न्यूरोबलबार दो दिमागी परेशानियों का मिश्रण है। इसमें मरीज मेनिएक और बाईपोलर डिसॉर्डर से ग्रसित होता है। कभी-कभी एक बीमारी दूसरी बीमारी पर हावी होने लगती है और मरीज के हाव-भाव बदलने लगते हैं। इसमें व्यक्ति को पता नहीं होता कि उसे यह परेशानी है और वह या तो ज्यादा बोलने लगता है या एकदम शांत हो जाता। इस दौरान या तो मरीज को तेज गुस्सा आता है या मरीज एकदम सामान्य रहता है। इसके अलावा हंसने और रोने की परेशानी भी होती है। लेकिन, अभी इस बीमारी के बारे में ज्यादा लोगों को पता नही हैं। इस बीमारी से ग्रसित लोगों को अकेलेपने से डर लगता है और ऐसे लोगों के साथ हमेशा किसी का साथ रहना जरुरी है। ऐसे लोग भावनात्मक तौर पर कमजोर होते हैं और इन्हें परिवार से किसी के सर्पोट की जरुरत होती है।’

    डिस्क्लेमर

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    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

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    Lucky Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/12/2019

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