बदलते जीवनशैली में बढ़ते तनाव की वजह से पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसी परेशानी हो सकती है। वैसे PTSD की परेशानी बढ़ने के पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
- कॉम्बैट एक्सपोजर।
- बचपन में नजरअंदाज किया गया हो।
- शारीरिक आघात हुआ हो।
- डराया या धमकाया गया हो।
कई अन्य दर्दनाक घटनाएं भी PTSD की समस्या शुरू करने केलिए काफी है, जैसे प्राकृतिक आपदा, कार दुर्घटना, विमान दुर्घटना, अपहरण, आतंकवादी हमला या फिर इनसब से जुड़ी कोई अन्य घटना।
निदान और उपचार को समझें
दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करें।
पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) का निदान कैसे किया जाता है?
PTSD का निदान घटना घटने के कुछ दिनों बाद किया जा सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है की एक महीने तक का वक्त लग सकता है किसी भी घटना से निकलने के लिए। ऊपर बताए गए लक्षणों के आधार पर पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर समझा जा सकता है। ऐसे में डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर विकल्प होता है। लक्षण समझ आने पर डॉक्टर अपनी ओर से इलाज शुरू कर सकते हैं। इस दौरान कुछ बॉडी चेकप भी की जा सकती है। जिससे बीमारी कौन से स्टेज में है समझा जा सकता है।
अगर कोई शारीरिक बीमारी नहीं पाई जाती है, तो आपको मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक या अन्य मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर के पास भेजा जा सकता है जो विशेष रूप से मानसिक बीमारियों के निदान और उपचार के लिए प्रशिक्षित होते हैं। मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक स्थिति को समझते हुए इलाज शुरू करेंगे। डॉक्टर लक्षणों के आधार पर पीटीएसडी का निदान कर सकते हैं।