के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
पाइलोरिक स्टेनोसिस (Pyloric Stenosis) छोटे शिशुओं में होने वाली पेट की समस्या है। इसकी स्थिति में शिशु के पाइलोरस में सूजन हो जाती है और यह मोटा हो जाता है। जिसके कारण शिशु कुछ भी पीने के बाद उल्टी कर देता है। पाइलोरस, पेट और छोटी आंत को जोड़ता है। पाइलोरिक स्टेनोसिस की स्थिति शिशु के आंत में भोजन जाने से रोक सकता है।
पाइलोरिक स्टेनोसिस एक असामान्य स्थिति होती है। किस भी शिशु को जन्म के 3 हफ्ते बाद या जन्म के 5 महीनों के बीच यह कभी भी हो सकता है। लड़कियों के मुकाबले इसकी समस्या लड़कों में अधिक देखी जाती है। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
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पाइलोरिक स्टेनोसिस के सामान्य लक्षणों में शामिल हैंः
इसके सभी लक्षण ऊपर नहीं बताएं गए हैं। अगर इससे जुड़े किसी भी संभावित लक्षणों के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
इन स्थितियों में आपको अपने बच्चे को डॉक्टर के उपचार की जरूरत हो सकती हैः
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पाइलोरिक स्टेनोसिस के क्या कारण हैं अभी तक इसके बारे में कोई उचित अध्ययन नहीं है। लेकिन, आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक इसके कारण हो सकते हैं। पाइलोरिक स्टेनोसिस आमतौर पर जन्म के समय मौजूद नहीं होता है। यह जन्म के 3 हफ्तों बाद हो सकता है।
कई कारक पाइलोरिक स्टेनोसिस के जोखिम को बढ़ाते हैं। जिनमें शामिल हैंः
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
आपका डॉक्टर एक शारीरिक परीक्षा करेंगे और आपके बच्चे के लक्षणों के बारे में पूछेंगे। अगर आपके बच्चे को पाइलोरिक स्टेनोसिस है, तो चिकित्सक पेट के ऊपरी हिस्से में एक छोटी सी गांठ महसूस कर सकते हैं।
कुछ मामलों में डॉक्टर शिशु के लिए इमेजिंग टेस्ट की परामर्श कर सकते हैं। जैसे कि अपर जीआई (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) सीरिज या पेट का अल्ट्रासाउंड। शिशु में डिहाइड्रेशन की स्थिति जांचने के लिए डॉक्टर बच्चे का ब्लड टेस्ट भी कर सकते हैं।
पेट और छोटी आंत के बीच के रास्ते को चौड़ा करने के लिए सर्जरी की जा सकती है। पाइलोरिक स्टेनोसिस में की जाने वाली सर्जरी को पाइलोरोमायोटमी कहते हैं। अधिकतर मामलों में सर्जरी एक सफल प्रक्रिया पाई जाती है। सर्जरी के बाद अधिकतर शिशु पूरी तरह से स्वस्थ्य महसूस करते हैं और दोबारा उन्हें इसकी समस्या भी नहीं होती है।
हर सर्जरी को करने में अलग-अलग समय लग सकता है। कुछ सर्जरी लंबे समय तक चलती हैं, तो कुछ कम समय के लिए चलती हैं। पाइलोरोमायोटमी सर्जरी करने में लगभग एक घंटा लगता है। इसके लिए डॉक्टर बच्चे को पहले ड्रिप लगाएंगे। इसके बाद सर्जन पेट के ऊपरी हिस्से पर एक चीरा लगाते हैं। इसके बाद पाईलोरिक मांसपेशी को फैलाते हैं। जिससे पेट और छोटी आंत के बीच का भाग खुल जाता है। फिर सर्जन चीरे के स्थान पर टांका लगाते हैं।
सर्जरी के बाद 2 दिनों तक शिशु अस्पताल में डॉक्टर की देखरेख में रहेगा, जिसके बाद आप अपने शिशु को घर ले जा सकेंगे। सर्जरी के बाद बच्चे को कब क्या खिलाना चाहिए, इसके बारे में उचित जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
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बच्चों में पेट की बीमारी के संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके शिशु के स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर शिशु के लिए उचित उपचार बता सकते हैं। बच्चे बीमारी के बारे में जानकारी देने में असमर्थ होते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को ही लक्षणों को देखकर जांच करानी चाहिए। अगर आपको बच्चे के दिनचर्या में किसी भी प्रकार का परिवर्तन दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
इस आर्टिकल में हमने आपको पाइलोरिक स्टेनोसिस से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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