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Shigellosis : शिगेल्लोसिस क्या है?

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Anu sharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/08/2020

Shigellosis : शिगेल्लोसिस क्या है?

परिचय

शिगेल्लोसिस क्या है?

शिगेल्लोसिस यानी शिगेला इंफेक्शन आंतों का एक रोग है जो एक बैक्टीरिया से होता है जिन्हे शिगेला कहा जाता है। इसके मुख्य लक्षण होते हैं दस्त जिन में आमतौर पर खून निकलता है। इसके साथ ही बुखार, ऐंठन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

पांच साल से कम उम्र के बच्चों को शिगेल्लोसिस होने की संभावना अधिक होती है जो डे-केयर या स्कूल में संक्रमित होते हैं। लेकिन, यह किसी भी उम्र में हो सकता है। अगर यह इंफेक्शन कम है तो इसे ठीक होने में एक सप्ताह से कम समय लगता है। लेकिन,गंभीर स्थितियों में एंटीबायोटिक्स लेना अनिवार्य है। आपको यह समस्या तब भी हो सकती है जब आप ऐसे देश की यात्रा करते हैं जहां स्वच्छता की कमी हो।

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कितना सामान्य है ये रोग?

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक अमेरिका में हर साल शिगेल्लोसिस के करीब 5 लाख मामले सामने आते हैं। इसके लक्षण भी संक्रमण की तीव्रता पर निर्भर करते हैं। आपको हल्का शिगेल्लोसिस संक्रमण होगा और आपको इस बात का पता भी नहीं चलेगा।

स्कूल जाना शुरू करने व शिशु में शिगेल्लोसिस संक्रमण होने की आशंका किशोरों और वयस्कों से ज्यादा होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शिशु अपनी उंगलियों को मुंह में डालते रहते हैं जिसके कारण बैक्टीरिया आसानी से पेट में चला जाता है।

चाइल्डकेयर सेंटर में बच्चों के बढ़े पैमाने पर डायपर बदलने से भी संक्रमण के फैलने की आशंका बढ़ जाती है।

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लक्षण

शिगेल्लोसिस के लक्षण क्या हैं?

पानी वाला मल शिगेल्लोसिस का सबसे सामान्य लक्षण होता है। शिगेल्लोसिस के लक्षण बैक्टीरिया के संपर्क में आने के 1 से 7 दिनों के भीतर दिखाई देने लगते हैं। यह लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:

  • पेट में गंभीर दर्द या ऐठन
  • अधिक बुखार
  • मल में खून, पस या रेशा आना
  • मलाशय में गंभीर दर्द
  • मतली और उल्टी
  • पतली दस्त
  • शिगेल्लोसिस के कारण होने वाला डायरिया और अन्य लक्षण 2 से 7 दिन तक रहते हैं। हल्का संक्रमण कुछ दिनों के लिए होता है जिसमें किसी प्रकार के इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है।

    हालांकि, की मल में पानी निकलने के कारण हाइड्रेटेड रहना बेहद आवश्यक होता है। यदि आपको 3 दिन से अधिक समय से दस्त हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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    डॉक्टर से संपर्क कब करें?

    • अगर आपको या आपके बच्चे को खून भरी दस्त हो जिसके कारण रोगी को डिहाइड्रेशन और वजन कम होने जैसी समस्याएं होने लगें।
    • इसके साथ ही तुरंत डॉक्टर के पास जाएं अगर रोगी का तापमान 101 F (38 C) हो।

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    कारण

    शिगेला बैक्टीरिया के कई प्रकार हैं, जैसे

    • शिगेला सोनेय (Shigella soney) जिन्हे “ग्रुप डी’ शिगेला भी कहा जाता है, यह बैक्टीरिया यूनाइटेड स्टेट्स में शिगेल्लोसिस के अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार हैं।
    • शिगेला फ्लेक्सनरी(Shigella flexneri) को “ग्रुप बी ‘ शिगेला भी कहा जाता है।
    • शिगेला पेचिश(Shigella dysenteriae) को “ग्रुप ए ‘ शिगेला भी कहा जाता है।

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    जो लोग बैक्टीरिया का शिकार होते हैं, वो मल में इन्हे बाहर निकालते हैं। इससे यह बैक्टीरिया पानी या भोजन में फैलते हैं। या यह सीधेतौर पर दूसरे व्यक्ति को भी प्रभावित कर सकते हैं। मुंह में थोड़े से शिगेला बैक्टीरिया का बस संक्रमण पैदा करने के लिए पर्याप्त है।

    शिगेल्लोसिस के प्रकोप को ख़राब स्वच्छता के साथ जोड़ा जाता है। जिसमें भोजन और पानी के साथ साथ खराब जीने की स्थिति भी है।

    शिगेल्लोसिस विकासशील देशों में यात्रा करने वाले यात्रियों और रिफ्यूजी कैम्प्स में रहने व काम करने वाले लोगों में होना भी सामान्य है।

    डे-केयर सेंटर और उन स्थानों में जहां बहुत से लोग रहते हों जैसे नर्सिंग होम में भी यह बैक्टीरिया अधिक फैलता है।

    शिगेल्लोसिस तब फैलता है जब कोई अचानक से शिगेला बैक्टीरिया को निगल लेता है। ऐसा दूषित पानी, भोजन या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होता है।

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    जोखिम

    शिगेल्लोसिस के जोखिम क्या है?

    • पांच साल से कम उम्र के बच्चों में शिगेला इंफेक्शन होने का जोखिम अधिक होता है हालांकि किसी भी उम्र को यह इंफेक्शन हो सकता है।
    • किसी व्यक्ति से नजदीकी संपर्क से भी यह इंफेक्शन फैल सकता है। इस इंफेक्शन का चाइल्डकेयर सेंटर, कम्युनिटी स्विमिंग पूल, नर्सिंग होम, जेल आदि में फैलने का या होने का जोखिम अधिक रहता है। क्योंकि, यहां सफाई की कमी होती है।
    • जो लोग विकासशील देशों की यात्रा करते हैं, उनमे भी शिगेल्लोसिस के फैलने की संभावना अधिक रहती है।
    • पुरुष जिनके अन्य पुरुषों के साथ शारीरिक सम्बन्ध होते हैं, उनमें भी इस इंफेक्शन के फैलने का जोखिम अधिक होता है।

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    जटिलताएं

    आपको शिगेल्लोसिस होने पर सुस्त महसूस हो सकता है। हालांकि, ऐसे मामलें बेहद दुर्लभ होते हैं। इसकी जटिलताओं में शामिल हैं –

    पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) – ऐसा तब होता है जब आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ मौजूद नहीं होता है। इस स्थिति में आपको थकान, चक्कर आना, आंसुओं की कमी और आंखें ड्राई हो सकती हैं। बच्चों में ड्राई डायपर के लक्षणों को पहचाने।

    संक्रमण के बाद अर्थराइटिस – यह टखनों, घुटनो, कूल्हों और पैरों में होने वाला जोड़ो का दर्द होता है। आपको आंख में जलन और पेशाब करते समय दर्द भी महसूस हो सकता है। यह बेहद दुर्लभ होता है और शिगेल्ला संक्रमण के केवल 2 प्रतिशत मामलों में ही दिखाई देता है।

    खून का संक्रमण – बुखार, शिगेल्ला और सनी संक्रमणों के कारण जब आंतों की लाइनिंग क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिससे खून का संक्रमण होने का खतरा रहता है। इस प्रकार का संक्रमण एचआइवी, कैंसर या कुपोषण से ग्रस्त लोगो में अधिक होता है।

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    उपचार

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    शिगेल्लोसिस का उपचार क्या है?

    • शिगेल्लोसिस का निदान करने के लिए सबसे पहले डॉक्टर आपसे इसके लक्षणों और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानेंगे। इसके बाद वो आपकी शारीरिक जांच कर सकते हैं।
    • शिगेल्लोसिस के कई कारण हो सकते हैं। आपको शिगेलोसिस है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए एक लैब टेस्ट की आवश्यकता हो सकती है। इसके लिए मल का सैंपल देने के लिए कहा सकते हैं। इसके साथ ही, आपके रोग में कौन सा एंटीबायोटिक सबसे प्रभावी होगा, यह जानने के लिए भी लैब के अन्य टेस्ट किये जा सकते हैं।
    • शिगेल्लोसिस में उपचार का उद्देश्य डायरिया के दौरान मरीज के शरीर को पानी का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करने के लिए तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स देना होता है। इसके उपचार के लिए डायरिया को रोकने वाली दवाईयां नहीं दी जाती क्योंकि इनसे इंफेक्शन को ठीक होने में अधिक समय लग सकता है।
    • शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रोलाइट सोलूशन्स लेने की सलाह दी जाती है। बाजार में कई तरह के इलेक्ट्रोलाइट सोलूशन्स उपलब्ध हैं।
    • एंटीबायोटिकस आपके इस इंफेक्शन को कम कर सकते हैं। गंभीर शिगेल्लोसिस की स्थिति में इनका प्रयोग किया जाता है। हालांकि, कुछ शिगेला बैक्टीरिया दवा प्रतिरोधी हो सकते हैं। इसलिए, इन दवाईयों का सेवन तब तक न करें जब तक यह इंफेक्शन गंभीर न हों।
    • एंटीबायोटिकस शिशुओं व बुजुर्गों के लिए भी आवश्यक हो सकती हैं। अगर आपको डायरिया है, लेकिन इसके साथ ही आपको जी मचलने की समस्या भी है। जिसके कारण आप तरल पदार्थ मुंह के द्वारा नहीं ले पा रहे हैं तो आपको मेडिकल केयर और इंट्रावेनस (IV) तरल पदार्थ की जरूरत पड़ सकती हैं।
    • जो लोग मूत्रवर्धक दवाएं लेते हैं, उन्हें गंभीर शिगेल्लोसिस होने पर इन दवाओं को लेने से बचना चाहिए। लेकिन, अपने डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी दवाई को लेना बंद न करें।

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    घरेलू उपाय

    शिगेल्लोसिस का घरेलू उपाय क्या है?

    शिगेल्लोसिस से बचने के लिए कोई वैक्सीन नहीं है लेकिन इसे कुछ आसान घरेलू उपायों से छुटकारा पा सकते हैं:

    • जब भी बाथरूम का प्रयोग करें, बच्चे का डायपर बदलें हमेशा साबुन से अपने हाथों को अच्छे से धोएं। यही नहीं, जब भी आप खाना खाएं या बनाये तो इससे पहले भी अपने हाथों को धोना न भूलें। अपने बच्चों को भी यह आदतें अवश्य सिखाएं।
    • अगर बच्चे को डायरिया है तो बच्चे को डे-केयर या स्कूल न भेजे।
    • स्विमिंग पूल या अन्य पानी के स्त्रोत से पानी न पीएं।
    • जब भी यात्रा पर जाएं हमेशा उबला, पका हुआ या छीला हुआ खाना ही खाएं।
    • गंदे डायपर को हमेशा अच्छे से लपेटकर डस्टबिन में डालें।
    • अगर किसी को डायरिया है तो उस व्यक्ति से शारीरिक संबंध न बनाएं।

    डिस्क्लेमर

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