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Stockholm syndrome : स्टॉकहोम सिंड्रोम क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/05/2020

Stockholm syndrome : स्टॉकहोम सिंड्रोम क्या है?

परिचय

स्टॉकहोम सिंड्रोम (Stockholm syndrome) क्या है?

स्टॉकहोम सिंड्रोम (Stockholm syndrome) एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है जहां किडनैप हुए व्यक्ति को अपने किडनैपर से भावनात्मक लगाव हो जाता है। सिंड्रोम का नाम स्वीडिश अपराधविज्ञानी और मनोचिकित्सक निल्स बेजेरोट ने रखा था।

इस सिंड्रोम का नाम स्वीडन के स्टॉकहोम में हुए एक बैंक डकैती के आधार पर रखा गया है। 23 अगस्त 1973 को स्वीडन में एक बैंक डकैती हुई थी। दो लोग मशीन गन के साथ बैंक में घुसे और 4 बैंकक्रमियों को बंधक बनाकर 6 दिनों तक बैंक के लॉकर में किडनैप करके रखा था। जब पुलिस ने 6 दिनों के बाद दोनों डकैतो को पकड़ा तो उनके बनाए गए चारों बंधकों ने उन दोनों के प्रति सहानभूति जताई थी। इतना ही नहीं उन्हें जेल जाने से बचाने के लिए भी बैंकक्रमियों ने फंड भी इक्ठ्टा किया था। यह भी कहा जाता है कि उन्में से एक बंदी ने चुपके से एक डकैत से सगाई भी कर ली थी।

कितना सामान्य है स्टॉकहोम सिंड्रोम होना?

ऐसे कई उदाहरण हैं जब स्टॉकहोम सिंड्रोम किडनैप किए गए लोगों में पाया गया है। यहां कुछ लोकप्रिय मामले हैं जहां स्टॉकहोम सिंड्रोम के लक्षण दिखाई दिए थे।

  • सन् 1974 में हेइरेस पैटी हर्स्ट का राजनीतिक संगठन सिम्बायोनी लिबरेशन आर्मी ने अपहरण कर लिया था। बाद में, वह समूह की सदस्य बन गईं और बैंक डकैतियों में भी उनकी सहायता की।
  • सन् 1998 में, एक 10 साल की लड़की नताशा कम्पुश को ऑस्ट्रिया में अपहरण कर लिया गया था। वह साल 2006 में वापस घर आई थी। उसके बयान के मुताबिक किडनैपर ने उसे आठ सालों तक एक कोठरी में बंद करके रखा था। लेकिन फिर भी उस लड़की ने अपने किडनैपर के प्रति दया दिखाई।
  • साल 2203 में, साल्ट लेक सिटी में रहने वाले एक पुजारी ने 15 साल की एलिजाबेथ स्मार्ट नाम की एक लड़की का अपहरण किया था। वह नौ महीने बाद घर वापस आई। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि वह बहुत पहले बच सकती थी अगर उसने अपने कैदी के साथ खुद की पहचान नहीं की होती।

अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने चिकित्सक से चर्चा करें।

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लक्षण

स्टॉकहोम सिंड्रोम होने के लक्षण क्या है?

स्टॉकहोम सिंड्रोम के कुछ प्रसिद्ध लक्षण हैं:

  • अपहरणकर्ताओं की प्रशंसा करना
  • उनका बचाव करना
  • अपहरणकर्ताओं को खुश करने की कोशिश करना
  • किडनैपर्स के खिलाफ गवाही देने से इनकार करना
  • अपहरणकर्ताओं से पास रहना

स्टॉकहोम सिंड्रोम के लक्षणों पति-पत्नि के मामलों में भी देखा जाता है।

इसके सभी लक्षण ऊपर नहीं बताएं गए हैं। अगर इससे जुड़े किसी भी संभावित लक्षणों के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।

मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

अगर ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण आपमें या आपके किसी करीबी में दिखाई देते हैं या इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हर किसी का शरीर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया करता है।

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कारण

स्टॉकहोम सिंड्रोम के क्या कारण हैं?

इस मनोवैज्ञानिक स्थिति के पीछे सटीक कारण बता पाना बहुत मुश्किल है। इन सालों में, अपराधविज्ञानिकों और मनोचिकित्सकों ने कई बातों को ध्यान में रखा है जिसे स्टॉकहोम सिंड्रोम का कारण माना जा सकता है:

  • जब किडनैप हुए व्यक्ति को लगता है कि किडनैपर्स उसकी मदद कर रहा है न कि उसके साथ उसकी जान को कोई खतरा है।
  • किडनैपर्स बंधक के साथ सहानुभूति जताए और उसे एक अच्छे माहौल में रखे। आमतौर पर, किडनैपर्स बंधक बनाएं गए लोगों के साथ बहुत निर्दयी व्यवहार करते हैं। जो उनकी जान के लिए खतरा हो सकता है।
  • ऐसी स्थितियां जब बंदी बनाया गया शख्स किडनैपर्स की मजबूरियों को समझने लगता है और उसका साथ देने लगता है। वे उन परिस्थितियों को समझने लगते हैं जिन्होंने शायद अपराधियों को अपराध करने के लिए मजबूर किया था।
  • जब किडनैप हुआ शख्स अपने किडनैपर के साथ शारीरिक या भावनात्मक रिश्ता बनाने की कोशिश करें। क्योंकि, लंबे समय तक साथ रहने पर दो लोग एक-दूसरे के करीब आ सकते हैं और अपने भावनाओं को साझा कर सकते हैं।
  • जब अगवा किए गए लोग अपने अपहरणकर्ताओं को खुश करने की कोशिश करने लगें।
  • अपहरणकर्ताओं के साथ रहने पर अपनी जान को सुरक्षित महसूस करना।
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    उपचार

    यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

    स्टॉकहोम सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है?

    स्टॉकहोम सिंड्रोम से पीड़िता लोगों को मनोविज्ञान की सहायता लेनी चाहिए। स्टॉकहोम सिंड्रोम मानसिक तौर पर पाई जाती है और इसमें कई सामाजिक गतिविधियां भी शामिल हो सकती हैं। इन सामाजिक गतिशीलता में से कुछ में दूसरों के बीच समानता, सामूहिकता, प्रेम और मदद की भावना विकसित कर सकती है।

    • मनोचिकित्सक की मदद लेंः मनोचिकित्सक स्टॉकहोम सिंड्रोम के शिकार लोगों के मन को पढ़ते हैं। वो अपने किडनैपर्स से किस तरह का एहसास रखते हैं मनोचिकित्सक की मदद से इस बात को आसानी से समझा जा सकता है।
    • पीड़ित को किडनैपर्स का विरोध करने के लिए फोर्स न करेंः अगर पीड़ित शख्स अपने किडनैपर्स के लिए किसी भी तरह की गवाही नहीं देना चाहता है तो उसे इसके लिए फोर्स न करें। ऐसा करने पर पीड़ित शख्स अपने किडनैपर्स को बचाने का प्रयास कर सकता है।
    • सुकराती विधि का प्रयोग करेंः  पीड़ित से सवाल पूछें कि वे अपनी इस स्थिति को कैसे देखते हैं, वे कैसा महसूस करते हैं और क्या सोचतें है और आगे वो किस तरह की गतिविधियां चाहते हैं।
    • पीड़ित को सलाह न देंःजब तक पीड़ित खुद से अपना फैसला लेने में सक्षम न हो जाए तब तक उन्हें अपने किसी सलाह को मनवाने के लिए दबाव न डालें।

    अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।

    स्टॉकहोम सिंड्रोम का इलाज कैसे होता है?

    स्टॉकहोम सिंड्रोम आमतौर पर एक ऐसी स्थिति के रूप में माना जाता है जो अत्यधिक तनाव और भय के कारण पैदा होता है।इसके लिए सबसे प्रभावी इलाज है कि मनोचिकित्सकों की देखरेख में पीड़ित का उपचार करवाया जाए और परिवार के सदस्यों का प्यार और समर्थन दिया जाए। साथ ही धैर्य बनाए रखें। धीरे-धीरे पीड़ित स्टॉकहोम सिंड्रोम के प्रभाव से मुक्त हो सकता है।

    अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो उसकी बेहतर समझ के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

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