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Syncope : सिंकोप क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Suniti Tripathy द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/05/2020

Syncope : सिंकोप क्या है?

मूल बातों को जानें

सिंकोप क्या है ?

अस्थायी रूप से आने वाली बेहोशी को हम सिंकोप कहते हैं। ये स्थिति बहुत देर तक नहीं रहती और पीड़ित कुछ मिनटों बाद इससे बाहर आ जाता है। आमतौर पर ये उन लोगों में देखी जाती है जिन्हें लो ब्लड प्रेशर की समस्या है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हृदय ऑक्सीजन युक्त खून मस्तिष्क तक पहुंचाने में असमर्थ हो जाता है।

सिंकोप होना कितना आम है ?

बीमार रहने वाले लोगों में या फिर हृदय की समस्या से पीड़ित मरीजों में ये स्थिति देखी जा सकती है। आमतौर पर 3 प्रतिशत इमरजेंसी के मामलों और 6 प्रतिशत होने वाली हॉस्पिटल भर्तियों के लिए सिंकोप जिम्मेदार है।

सिंकोप सीरियस डिसऑर्डर या कुछ करने के दौरान भी भी हो सकता है। जैसे-

  • एक्सरसाइज करने के दौरान सिंकोप होने की संभावना हो सकती है।
  • महिला या पुरुषों में पल्पिटेशन या हृदय गति का असामान्य होना।
  • ब्लड रिलेशन में अगर कोई सिंकोप की समस्या से पीड़ित है, तो भी इस बीमारी के होने की संभावना ज्यादा हो सकती है।
  • अगर परिवार या निकट के किसी करीबी के देहांत (डेथ) होने की वजह से भी सिंकोप का खतरा बढ़ सकता है।

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लक्षणों को जानें

सिंकोप के क्या लक्षण हो सकते हैं ?

सिंकोप के लक्षण बेहोशी के कुछ समय पहले होते हैं जैसे कि हृदय की धड़कनें बहुत तेज होना। इसके अलावा और भी बहुत से लक्षण हो सकते हैं जैसे कि सांस उखड़ना, बेचैनी होना और बहुत ज्यादा पसीना आना। वैसे इन लक्षणों के साथ-साथ निम्नलिखित लक्षण भी हो सकते हैं। जैसे –

  • मतली होना
  • पल्स रेट ठीक नहीं होना
  • बॉडी टेम्प्रेचर में अचानक बदलाव होना जैसे अचानक से ठंड लगना
  • अचानक से पसीना-पसीना होना
  • तव्चा का रंग हल्का पड़ना
  • देखने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना या क्लियर दिखाई न देना
  • हल्का सिरदर्द होना
  • अचानक से वेटलेस महसूस होना
  • स्तब्ध हो जाना
  • चक्कर आना
  • वर्टिगो की समस्या
  • दिल का तेजी से धड़कना (सामान्य से ज्यादा)

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आपको डॉक्टर से कब मिलना चाहिए ?

बहुत ज्यादा चिंता, भूख या दर्द के कारण बेहोशी आ सकती है। अगर आप किसी हृदय रोग से पीड़ित हैं तो सीने में दर्द होने पर, बेचैनी होने पर या फिर किसी ऐसे लक्षण के दिखने पर डॉक्टर से तुरंत मिलें।

वैसे इन परेशानियों के साथ-साथ निम्नलिखित शारीरिक परेशानियों पर ध्यान देना चाहिए और डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जैसे-

  • बार-बार बेहोश होना
  • गर्भवती होने की आशंका होना
  • बेहोश होने के बाद ब्लैडर पर नियंत्रण न होना
  • सिने में दर्द होना
  • हार्ट डिजीज होना और इसके साथ ही हाई या लो ब्लड प्रेशर या ईरेगुलर हार्ट बीट होना
  • डायबिटीज की समस्या होना

Know the causes

इस स्थिति के सबसे अधिक कारण मस्तिष्क तक सही मात्रा में खून न पहुंचने से जुड़े हुए हैं :

धमनियों में खून इक्कठा होने की वजह से मस्तिष्क में खून नहीं पहुंच पाता, जिसकी वजह से बेहोशी हो सकती है। ये ग्रेविटी के प्रभाव से होता है और इसे वलसल्वा मैन्युवर (Valsalva’s maneuver) कहते हैं।

  • रक्त वाहिकाओं में खराबी के कारण भी ये स्थिति पनप सकती है।
  • हृदय की धड़कनों में असमानता आने की वजह से भी सिंकोप हो सकता है।
  • हार्ट वाल्व में खराबी के कारण या फिर हृदय की किसी और बीमारी की वजह से भी मस्तिष्क तक खून पहुंचने में बाधा आ सकती है।
  •  खून की कमी Anemia ( low red blood cell count) )होने पर।
  • शरीर में पानी की कमी होने पर (Dehydration)

वेगस नर्व में खराबी आने की वजह से ब्लड प्रेशर कम हो जाएगा और बेहोशी आ सकती है। वेगस नर्व की वजह से आने वाली बेहोशी को हम वैसोवैगल सिंकोप (vasovagal syncope) कहते हैं। इस परिस्थिति में आपको दर्द, चिड़चिड़ापन और खराश भी हो सकती है।

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इसके खतरे भी जान लें

सिंकोप का खतरा कैसे बढ़ सकता है ?

निम्नलिखित कारणों से इसका खतरा बढ़ सकता है। जैसे-

  • लेटे हुई स्थिति से झटके से उठने पर सिंकोप हो सकता है। इसलिए आराम से उठें और झटके से न उठें।
  • खाली पेट खून देने से भी अचानक बेहोशी यानि सिंकोप हो सकता है। इसलिए ब्लड डोनेट करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें और पौष्टिक आहार लें।
  • क्रोनिक लो ब्लड प्रेशर (सामान्य से ज्यादा ब्लड प्रेशर कम होना)
  • हृदय (दिल) की बीमारी होना या हार्ट बीट ठीक तरह से नहीं होना।
  • ज्यादा देर तक खड़े रहना।
  • जरूरत से ज्यादा डरना।
  • किसी भी कारण अत्यधिक तनाव में रहना।
  • गर्भावस्था
  • डिहाइड्रेशन होना
  • अत्यधिक थका हुआ होना

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जांच और इलाज

यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा परामर्श का विकल्प नहीं है। अगर आपको इस विषय में अधिक जानकारी चाहिए, तो कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

सिंकोप की जांच कैसे की जा सकती है ?

सिंकोप का कारण पता करने के लिए डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछेंगे और साथ ही आपके पूरे शरीर की बाहरी जांच भी की जाएगी। इसके अलावा अलग-अलग पोजीशन में लेटाकर आपका ब्लड प्रेशर भी लिया जा सकता है। इसके साथ ही असमान रूप से दिल धड़कने की स्थिति में हॉल्टेर मॉनिटर (Holter Monitor) का उपयोग कर सकते हैं। इससे हृदय की धड़कनों की गति का पता लगाया जा सकता है।

सिंकोप का इलाज कैसे करवाया जा सकता है ?

बेहोशी के कुछ समय बाद आप खुद से ठीक हो जाएंगे और अगर ऐसा नहीं होता है तो आपका हृदय सही मात्रा में खून पहुंचाने में असमर्थ है। ऐसी परिस्थिति में आपको कार्डियोलॉजिस्ट से मिल लेना चाहिए या फिर ऐसी दवाइयां जिनसे बेहोशी होती है उन्हें रोक देना चाहिए।

जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपाय

किन बदलावों और घरेलू नुस्खों की मदद से आप सिंकोप पर नियंत्रण पा सकते हैं ?

निम्नलिखित उपाये से इससे बचा जा सकता है। जैसे-

  • अगर आपको हृदय से जुड़ी कोई समस्या है तो ज्यादा व्रत न रखें इससे परेशानी हो सकती है।
  • अगर आपको ऐसा लगता है कि आप बेहोश हो जाएंगे तो तुरंत लेट जाए इससे मस्तिष्क में खून सही मात्रा में पहुंचेगा।
  • किसी भी और सवाल या जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।

अगर आप सिंकोप से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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