के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
महिलाओं में सिफलिस यौन संचारित संक्रमण है जो ट्रेपोनिमा पैलिडम नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। सिफलिस आमतौर पर वेजाइनल, ओरल और एनल सेक्स करने से फैलता है। एक गर्भवती महिला से उसके बच्चे को भी सिफलिस हो सकता है। सिफलिस शुरूआती चरण में दवाओं से ठीक किया जा सकता है लेकिन देर होने पर सिफलिस शरीर के कई अंगों को डैमेज कर सकता है जिससे गंभीर बीमारी होने के साथ ही मौत भी हो सकती है।
महिलाओं में सिफलिस होने पर मुंह या जननांगों में अल्सर हो सकता है और बाल झड़ना, सिरदर्द, गले में दर्द, त्वचा पर दाने निकलने जैसे लक्षण दिख सकते हैं। अगर समस्या की जद बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
महिलाओं में सिफलिस के तीन स्टेज होते हैं-फर्स्ट स्टेज, सेकेंड स्टेज और लैटेंट या थर्ड स्टेज। पहले स्टेज में इंफेक्शन के 10 से 90 दिन बाद अल्सर होता है। यदि अल्सर योनि के ऊपर या मुंह के अंदर हो तो सेक्स या किस करने से दूसरे व्यक्ति को सिफलिस हो सकता है। सेकेंड स्टेज में सिफलिस शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है। इस स्टेज में हथेली और पैरों के तलवों में रैशेज आ जाते हैं और महिला बेहोश भी हो सकती है। जबकि लैटेंट या थर्ड स्टेज में मस्तिष्क में इंफेक्शन हो जाता है और स्ट्रोक एवं मस्तिष्क बुखार का जोखिम हो सकता है।
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महिलाओं में सिफलिस एक गंभीर समस्या है। ये महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। पूरी दुनिया में लाखों महिलाओं में सिफलिस के संक्रमण से पीड़ित हैं। यह बीमारी आमतौर पर असुरक्षित यौन संबंध बनाने, एचआईवी से संक्रमित महिला और एक से अधिक पार्टनर के साथ संबंध बनाने वाली महिला को होती है। सिर्फ इतना ही नहीं गर्भवती महिला को भी सिफलिस का इंफेक्शन हो सकता है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
सिफलिस शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करता है। सिफलिस से पीड़ित महिला में तीन स्टेज में इस बीमारी के लक्षण नजर आते हैं। सिफलिस के पहले चरण में ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से कुछ समय के लिए बेचैनी महसूस होती है। सिफलिस के फर्स्ट स्टेज में जननांगों या मुंह के अंदर रैशेज आते हैं जिनमें दर्द नहीं होता है।
सेकेंड स्टेज में सिफलिस के निम्न लक्षण नजर आते हैं :
सेकेंड स्टेज में एनल, ओरल या वेजाइनल सेक्स करने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण फैलता है। जबकि रैशेज और अन्य लक्षण कुछ दिनों में समाप्त हो जाते हैं।नजर आते जो संक्रामक नहीं होते हैं लेकिन कई गंभीर बीमारियां उत्पन्न करते हैं।
इस दौरान कुछ अन्य लक्षण भी सामने आते हैं :
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ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर सिफलिस अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें। यदि आपके जननांगों से असामान्य स्राव हो रहा हो या घाव या रैशेज हों तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
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महिलाओं में सिफलिस बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होता है जो संभोग के दौरान संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। मुंह या जननांगों पर हल्के कट या घाव के कारण बैक्टीरिया शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। सिफलिस फर्स्ट और सेकेंड स्टेज में संक्रामक होता है। लेकिन यह संक्रमित व्यक्ति के कपड़े या बर्तन को शेयर करने, टॉयलेट यूज करने और हॉट टब या स्वीमिंग पूल में नहाने से नहीं फैलता है।
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इस बारे में शहानी हॉस्पिटल की डायरेक्टर की डाॅक्टर संतोष शहानी का कहना है कि महिलाओं में सिफलिस तीन स्टेज में महिला को प्रभावित करता है इसलिए यह शरीर में कई तरह की गंभीर बीमारियां उत्पन्न कर सकता है। सिफलिस से गर्भवती मां को गर्भपात हो सकता है या प्रीमैच्योर डिलीवरी हो सकती है। सिफलिस का संक्रमण मां से भ्रूण को भी हो सकता है। इसके अलावा भ्रूण के विकास में देरी, तेज बुखार, लिवर या प्लीहा में सूजन, पीलिया, खून की कमी, मानसिक रोग, आंख, कान, दांत और हड्डियां डैमेज होना सहित कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। सिफलिस से संक्रमित महिला में एचआईवी की संभावना बढ़ सकती है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
महिलाओं में सिफलिस का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
इसके अलावा गर्भवती महिलाओं में सिफलिस के इंफेक्शन का पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग की जाती है। बैक्टीरिया भ्रूण को भी संक्रमित कर सकता है जिससे महिला को गर्भपात हो सकता है। इससे बचने के लिए सिफलिस का उचित निदान बेहद जरुरी है। यदि जांच में महिला सिफलिस के बैक्टीरिया से संक्रमित पायी जाती है तो उसके सेक्स पार्टनर को भी अपनी जांच करानी चाहिए।सिर्फ इतना ही नहीं सिफलिस से संक्रमित महिला को एचआईवी टेस्ट भी कराना चाहिए।
महिलाओं में सिफलिस शुरुआती स्टेज में इलाज से आसानी से ठीक हो सकता है। कुछ थेरिपी और दवाओं से महिला में सिफलिस के असर को कम किया जाता है। सिफलिस के लिए तीन तरह की मेडिकेशन की जाती है :
गर्भवती महिला में सिफलिस के इंफेक्शन को कम करने के लिए पेनिसिलिन एकमात्र उपचार है। न्यूरोसिफलिस होने पर रोजाना पेनिसिलिन का एक इंजेक्शन लेना पड़ता है। यह सिफलिस के बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करता है। जब तक सिफलिस का इलाज पूरा न हो जाए तब तक नए पार्टनर से शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए और समय-समय पर जांच कराते रहनी चाहिए। इसके साथ ही डायट में बदलाव करके भी सिफलिस के इंफेक्शन से बचा जा सकता है।
अगर आपको सिफलिस है तो आपके डॉक्टर नए पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए मना करेंगे। हर बार सेक्स करने से पहले लैटेक्स कंडोम का इस्तेमाल करना सिफलिस के संक्रमण से बचने का सबसे बेहतर उपाय है। सिफलिस बचने के लिए ओरल या एनल सेक्स के दौरान डेंटल डैम या प्लास्टिक स्क्वायर का यूज करना चाहिए और अपना सेक्स टॉय किसी अन्य के साथ शेयर नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही धूम्रपान, एल्कोहल या किसी भी नशीली दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए। ये मादक पदार्थ सिफलिस के इंफेक्शन को बढ़ा सकते हैं। जीवनशैली और डायट में बदलाव करके भी सिफलिस के बचा जा सकता है। इस दौरान आपको निम्न फूड्स का सेवन करना चाहिए:
स्तनपान कराने वाली और प्रेगनेंट महिलाओं को विशेषरुप से अपनी देखभाल करनी चाहिए और सिफलिस का संक्रमण होने पर स्वास्थ्य की जांच करानी चाहिए। रोजाना योग, एक्सरसाइज करने के साथ ही जननांगों की सफाई पर भी ध्यान देना चाहिए। गंदे अंडरगारमेंट्स का यूज नहीं करना चाहिए और माहवारी के दौरान स्वच्छता पर ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा यदि प्रेगनेंट महिला को सिफलिस की शिकायत है तो उसे अपने शिशु की भी जांच करानी चाहिए। ये सभी सावधानियां बरतकर सिफलिस जैसी यौन संचारित संक्रमण से आसानी से बचा जा सकता है।
इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और महिलाओं में सिफलिस से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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