परिचय
क्वाड स्क्रीन टेस्ट को क्वाडरूपल (quadruple) मार्कर टेस्ट, सेकंड ट्रिमस्टर स्क्रीन या क्वाड टेस्ट भी कहा जाता है। इस टेस्ट से कई जानकारियां मिलती हैं। जानिए क्वाड स्क्रीन टेस्ट के बारे में विस्तार से।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist
क्वाड स्क्रीन टेस्ट को क्वाडरूपल (quadruple) मार्कर टेस्ट, सेकंड ट्रिमस्टर स्क्रीन या क्वाड टेस्ट भी कहा जाता है। इस टेस्ट से कई जानकारियां मिलती हैं। जानिए क्वाड स्क्रीन टेस्ट के बारे में विस्तार से।
क्वाड स्क्रीन टेस्ट वह टेस्ट है जिससे गर्भवती महिला के खून में चार पदार्थों के स्तरों को जांचा जा सकता है। यह चार पदार्थ इस प्रकार हैं।
और पढ़ें : Fetal fibronectin test : फीटल फाइब्रोनेक्टिन टेस्ट क्या है?
क्वाड स्क्रीन टेस्ट को इन स्थितियों को जांचने के लिए किया जाता है
ऊपर बताई गई परेशानियों की गंभीरता को इस टेस्ट की मदद से आसानी से समझा जा सकता है।
आमतौर पर क्वाड स्क्रीन गर्भवस्था के 15वें हफ्ते और प्रेग्नेंसी के 18वें हफ्ते में किया जाता है यानी दूसरी तिमाही के बाद। हालांकि यह टेस्ट गर्भावस्था के 22 वे हफ्ते तक किया जा सकता है। इस टेस्ट को यह जांचने के लिए किया जाता है कि कहीं आपकी गर्भावस्था में डाउन सिंड्रोम और तंत्रिका संबंधी ट्यूब विकार आदि होने की संभावना नहीं है। यदि आपमें यह जोखिम कम है, तो क्वाड स्क्रीन टेस्ट से यह चीज़ साफ हो जाती है कि डाउन सिंड्रोम, ट्राइसॉमी 18, न्यूरल ट्यूब दोष और एब्डोमिनल वाल विकार आदि होने की संभावना कम है।
अगर आपका स्क्वाड स्क्रीन टेस्ट नेगेटिव आता है तो इस बात की गारंटी नहीं दी जाती कि आपके बच्चे को कोई जन्म संबंधी विकार या क्रोमोसोमल समस्या है। अगर आपका यह टेस्ट पॉजिटिव आता है तो डॉक्टर आपको कुछ अन्य टेस्ट कराने की सलाह देंगे
और पढ़ें : Clonidine Suppression Test : क्लोनिडीन सप्रेशन टेस्ट
क्वाड स्क्रीन टेस्ट एक सामान्य प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट है। इस टेस्ट को कराने से गर्भपात या इससे जुडी अन्य समस्याओं का कोई जोखिम नहीं होता। हालांकि इस क्वाड स्क्रीन टेस्ट से आपको इसके रिजल्ट को लेकर चिंता हो सकती है क्योंकि यह टेस्ट पूरी तरह से आपके बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़ा होता है।
इस टेस्ट से पहले आपके डॉक्टर आपको आनुवंशिक परमार्शदाता से मिलने की सलाह दे सकते हैं। या डॉक्टर आपको खुद कई सलाहें दे सकते हैं। इस टेस्ट से पहले आप सामान्य रूप से खा और पी सकते हैं। क्वाड स्क्रीन टेस्ट के दौरान आपके डॉक्टर आपके खून का सैंपल ले सकते हैं। इसके बाद इन नमूनों को लेब में टेस्ट के लिए भेज दिया जाता है। क्वाड स्क्रीन टेस्ट से आप गर्भावस्था के दौरान कई जरूरी जानकारियां मिलती हैं इस टेस्ट से इस बात का पता चल जाता है कि गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्म संबंधी कोई दोष तो नहीं है।
और पढ़ें : Calcium Blood Test : कैल्शियम ब्लड टेस्ट क्या है?
[mc4wp_form id=’183492″]
हाँ, क्वाड स्क्रीन टेस्ट पूरी तरह से सुरक्षित और लाभदायक है। इससे गर्भ में पल रहे शिशु के जन्म संबंधी विकार और जेनेटिक रोगों के बारे में आसानी से पता चल जाता है। यह टेस्ट शिशु को लेकर भी कोई जोखिम भरा नहीं है। क्योंकि, इस टेस्ट को करने के लिए केवल माँ के शरीर से ही खून का नमूना लिया जाता है।
सभी गर्भवती महिलाओं को क्वाड स्क्रीन टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। लेकिन, यह आपका निर्णय है कि आप इस टेस्ट को कराना चाहती हैं या नहीं। कुछ स्थितियों में इस टेस्ट को कराने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। जैसे:
इन ऊपर बताई गई बातों को ध्यान में रखकर यह टेस्ट करवाना चाहिए।
और पढ़ें : Urinalysis : पेशाब की जांच क्या है?
अगर यह टेस्ट नार्मल आता है तो इसका अर्थ है कि आपके गर्भ में पल रहा शिशु पूरी तरह से स्वस्थ है। 98% से अधिक गर्भवस्था के मामलों में क्वाड स्क्रीन टेस्ट के रिजल्ट सही आते हैं और इनमे कोई बड़ी जटिलता नहीं आती। लेकिन, ऐसा कोई टेस्ट नहीं है जिससे इस बात का पता चले कि आपका शिशु और प्रेगनेंसी पूरी तरह से स्वस्थ और बिना किसी जटिलता के पूरी होगी।
1,000 गर्भवती महिलाओं के साथ क्वाड स्क्रीन टेस्ट किया गया। 1,000 में से केवल पचास महिलाओं के क्वाड स्क्रीन टेस्ट के परिणाम यह दर्शा रहे थे कि गर्भ में पल रहे शिशु को बर्थ डिफेक्ट होने की संभावना बढ़ सकती है। इनमें से भी एक या दो महिलाओं के बच्चे को ओपन न्यूरल टयूब विकार निकला। इनमें से चालीस महिलों को रिजल्ट में ऐसा दिखाया गया था कि उनके बच्चे को डाउन सिंड्रोम हो सकता है लेकिन बाद में उनमें से केवल दो महिलाओं के बच्चे डाउन सिंड्रोम से पीड़ित निकले।
आमतौर पर अगर इसका परिणाम पॉजिटिव आता हां तो आपको अन्य टेस्ट कराने की सलाह दी जाएगी, जैसे:
अगर आप क्वाड स्क्रीन टेस्ट से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
डिस्क्लेमर
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।