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किसी भी कपल के गर्भधारण न कर पाने के पीछे कई कारणों में से एक मेंटल इलनेस भी होता है। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य का प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। लेकिन अगर किसी महिला को गर्भधरण में कोई परेशानी हो रही है, तो निराश नहीं होना चाहिए। क्योंकि गर्भधारण के कई विकल्प हो सकते हैं। अगर प्रेग्नेंसी प्लानिंग में कोई समस्या हो, तो निराश न हों और हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लें।
निःसंतानता की समस्या से अगर कोई परेशान है, तो उनके लिए आईवीएफ यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) बेहतर विकल्प हो सकता है गर्भधारण करने का।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) क्या है?
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन गर्भधारण करने का कृत्रिम एवं बेहतर विकल्प होता है। आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान दवाइयों की मदद के साथ-साथ पुरुष के स्पर्म को महिला के एग्स के फर्टिलाइज करवाया जाता है और इस प्रोसेस के दौरान लैब में रखा जाता है। इस प्रोसेस के दौरान महिला एवं पुरुष (कपल) को हेल्थ चेकअप करवाने की सलाह दी जाती है। क्योंकि किसी भी महिला का गर्भधारण न हो पाना उनके एवं उनके पार्टनर दोनों पर निर्भर करता है। अगर महिला में फैलोपियन ट्यूब से संबंधित कोई परेशानी होना या पुरुष में स्पर्म संबंधी परेशानियों पर ध्यान दिया जाता है। इस दौरान आईवीएफ एक्सपर्ट यह भी समझने की कोशिश करते हैं कि क्या कोई और शारीरिक परेशानी की वजह से गर्भधारण में समस्या आ रही है।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के दौरान फर्टिलाइज्ड एग को डेवलप होने के लिए लैब में रखा जाता है और कुछ समय बाद फर्टिलाइज्ड एग को महिला के गर्भ (यूटरस) में इम्ब्रियो इम्प्लांट किया जाता है। इम्ब्रियो इम्प्लांटेशन के दो हफ्ते के बाद महिला का प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जाता है, जिससे यह जानकारी मिलती है कि महिला गर्भवती हुई या नहीं। कुछ केसेस में गर्भधारण नहीं हो पाता है, तो ऐसी स्थिति में आईवीएफ एक्सपर्ट्स समझने की कोशिश करते हैं की गर्भधारण न कर पाने का कारण क्या हो सकता है? वहीं जिन महिलाओं का गर्भधारण हो जाता है, उन्हें विशेष ख्याल रखने की जरूरत होती है।