परिभाषा
हेमिप्लेगिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर का आधा हिस्सा काम करना बंद कर देता है। ये शरीर में दायीं या बायीं ओर हो सकता है और दिमाग के बाएं हिस्से में स्ट्रोक होने पर शरीर का दायां हिस्सा प्रभावित होगा। हेमिप्लेगिया होने पर आपके शरीर का आधा हिस्सा निष्क्रिय हो जाएगा, लेकिन कुछ हद तक इसमें हलचल होती है। डॉक्टर्स की मानें तो कई मामलों में पूरा शरीर भी निष्क्रिय हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्ट्रोक के कारण मांसपेशियों पर गहरा असर पड़ता है और उनमें कमजोरी आ जाती है।
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हेमिप्लेगिया के दो प्रकार हैं-
कनजेनाइटल हेमिप्लेगिया ( Congenital Hemiplegia) दिमाग में चोट लगने की वजह से होता है। ये जन्म से पहले होने वाला हेमिप्लेगिया है।
अक्वायर्ड हेमिप्लेगिया ( Aquired Hemiplegia) किसी चोट या बीमारी की वजह से हो सकता है। ये आपको जीवन काल प्रारंभ होने के बाद होता है इसलिए इसे अक्वायर्ड हेमिप्लेगिया कहते हैं।
एक तरफा कमजोरी के कारण हाथ, भुजाओं, पैर और चेहरे की मांसपेशियों पर असर पड़ सकता है और वे काम करना बंद कर देंगी।
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हेमिप्लेगिया और मिर्गी के बीच क्या संबंध है?
हेमिप्लेगिया और मिर्गी दोनों मस्तिष्क की विकृति या क्षति के कारण होता है, या फिर मस्तिष्क के काम करने के तरीके में बदलाव होने के कारण होता हैं। कुछ लोगों में मस्तिष्क की क्षति होती है, जिसके कारण हेमिप्लेगिया होता है। हेमिप्लेगिया भी मिर्गी का कारण बन सकती है। कम से कम 20% (पांच में से एक) लोगों में हेमिप्लेगिया के साथ मिर्गी भी होती है। हेमिप्लेगिया और मिर्गी से ग्रसित अधिकांश बच्चों में मिर्गी पांच साल की उम्र से पहले शुरू हो जाती है।
हेमिप्लेगिया का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसकी स्थिति समय के साथ खराब नहीं होती है। इलाज के द्वारा हेमिप्लेगिया के प्रभाव को कम करने की कोशिश की जाती है।
हेमिप्लेगिया होना कितना आम है?
ये हेल्थ स्थिति बहुत आम है। किसी भी मरीज को ये किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन इसके कारणों को नियंत्रित करने से स्थिति के प्रभाव को कम किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से मिलें।
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हेमिप्लेगिया के खतरे को क्या बढ़ा देता है ?
इन स्थितियों में निष्क्रियता होने की संभावना बढ़ जाती है :
- हाइपरटेंशन
- हार्ट डिजीज
- स्ट्रोक
- जन्म से ट्रॉमा होना।
- लेबर में परेशानी होना।
- नवजात शिशु में जन्म से पहले स्ट्रोक होना
- सिर पर चोट लगना।
- माइग्रेन होना।
- मधुमेह होना।
- ब्रेन ट्यूमर होना।
- इंसेफेलाइटिस या मैनिंजाइटिस जैसी बीमारियां होना।
- ल्यूकोडिस्ट्रॉफी (Leukodystrophy) का होना।
- वैस्क्युलाइटिस ( vasculitis )
यदि आप इनमें से किसी भी स्थिति से गुजर रहे हैं तो अपना खास ख्याल रखें।
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लक्षण
हेमिप्लेगिया के क्या लक्षण हो सकते हैं ?
इन लक्षणों के होने पर हेमिप्लेगिया होने की संभावना हो सकती है :
- शरीर का संतुलन बिगड़ना।
- चलने में परेशानी होना।
- खाने में परेशानी होना।
- बोलने में परेशानी होना।
- चीजों को न पकड़ पाना।
- मांसपेशियों में थकान होना।
- तालमेल में कमी आना।
आप डॉक्टर से कब मिलें ?
अगर आपको संकेत और लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
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कारण
हेमिप्लेगिया किन कारणों की वजह से हो सकता है ?
निम्नलिखित कारणों की वजह से हेमिप्लेगिआ हो सकता है :
- ब्रेन हैमरेज (स्ट्रोक)
- सेरीब्रम की बीमारी होना।
- दिमाग में खून न पहुंच पाना। (इस्केमिक स्ट्रोक )
- ट्रॉमा (trauma)
- ब्रेन ट्यूमर
- ब्रेन ऑब्सेस्सेस
- मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस
- मैनिंजाइटिस (Meningitis)
- इन्सेफेलाइटिस (Encephalitis)
- पोलिओमायलेटिस (poliomyelitis)
- स्पाइनल कॉर्ड की मोटर नर्व सेल्स में खराबी होना।
- मोटर सिस्टम में खराबी होना।
इन कारणों के अलावा भी बहुत से कारण हैं जिनकी वजह से निष्क्रियता आ सकती है इसलिए अगर आपको ये लक्षण दिखाई देते हैं तो सही कारण और सटीक इलाज के लिए अपने डॉक्टर से मिलें और सलाह लें।
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जांच और इलाज को समझें
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा परामर्श का विकल्प नहीं है। सही जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
हेमिप्लेगिया की जांच कैसे की जा सकती है ?
फिजिकल और न्यूरोलॉजिकल जांच से मांसपेशियों में कमजोरी की जांच की जाती है। मांसपेशियों की कमजोरी और पैरालिसिस की जांच से आपके नर्वस सिस्टम में किस हद तक खराबी आई है इसका पता लगाया जा सकता है।
कुछ आम टेस्ट जो डॉक्टर करवा सकते हैं वे ये हैं :
- कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट( Complete Blood Count Test)
- ब्लड बायोकेमिस्ट्री टेस्ट( Blood Biochemistry Test)
- क्रेनियल कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (Cranial Computerized Tomography)
- क्रेनियल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग( Cranial Magnetic Resonance Imaging)
- इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम ( Electroencephalogram )
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हेमिप्लेगिया का इलाज कैसे किया जा सकता है ?
हेमिप्लेगिया को ठीक होने में समय लगेगा और एक इलाज सब मरीजों में काम नहीं करेगा क्योंकि हर शरीर अलग परिस्थिति में अलग व्यवहार करता है, हेमिप्लेगिया का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। नीचे दिए गए टिप्स इलाज में कारगर हो सकते हैं:
- ब्लड प्रेशर को कम करने की दवाएं इस स्थिति से उभरने में मददगार हो सकती हैं।
- ब्लड थिनर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है इससे स्ट्रोक की संभावना कम हो जाती है।
- दिमाग में हुए संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक्स से किया जा सकता है।
- सर्जरी से दिमाग में होने वाली सूजन को कम किया जा सकता है।
- मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाएं भी मदद कर सकती है।
- सेकंडरी समस्याए जैसे कि इन्वॉलन्टरी मांसपेशियों में कॉन्ट्रैक्शन, स्पाइनल डैमेज और लिगामेंट की सर्जरी से भी इलाज संभव है।
- फिजिकल थेरेपी भी बेजान भाग को दोबारा सक्रिय बनाने में मददगार हो सकती है।
- साइकोथेरपी की मदद से आप मानसिक तनाव से भी बच सकते हैं।
- आपकी असक्रियता में भी फिजिकल थेरेपी की मदद से आप स्वस्थ्य रह सकते हैं।
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जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपाय
जीवनशैली में इन बदलावों और घरेलू उपायों को अपनाने से हेमिप्लेगिआ को नियंत्रण में लाया जा सकता है :
- सक्रिय रहें, जिससे मांसपेशियों और हड्डियों में स्थिरता न आए।
- एक्सरसाइज करें और मांसपेशियों को मजबूत करें।
- शरीर में संतुलन के लिए व्यायाम करें।
- चौड़े सोल के जूते और चप्पलें पहनें।
- डॉक्टर की बताई हुई डिवाइस को सहारे के लिए इस्तमाल करें। घर में पड़े हुए फर्नीचर का प्रयोग न करें।
- नींद लाने वाली दवाओं को लेते समय सावधानी रखें।
- चलते समय सावधानी रखें।
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हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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