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अगर आंखों का रंग है ऐसा, तो हो सकता है बीमारी का संकेत!
बच्चे की आंखों का रंग जन्मजात बीमारियों (जिन बीमारियों के साथ आप पैदा हुए हैं) और अन्य हेल्थ कंडीशन को भी प्रकट कर सकता है। जिन शिशुओं की आंखें अलग-अलग रंग की होती हैं, उन्हें हेटरोक्रोमिया कहा जाता है, उनमें वार्डनबर्ग सिंड्रोम हो सकता है। यह एक जेनेटिक कंडीशन है, जो एक या दोनों कानों में सुनाई न देने का कारण बन सकता है। वार्डनबर्ग सिंड्रोम वाले लोग में पीली आंखों या एक आंख के साथ पैदा होने की संभावना होती है। कुछ लोगों में दो रंगों की आंखें भी हो सकती है। बहुत पीली नीली आंखें ओकुलर ऐल्बिनिजम (ocular albinism) के कारण हो सकती हैं। यह तब होता है जब आईरिस में पिगमेंट नहीं होता है। एक्स-लिंक्ड रिसेसिव डिसऑर्डर के रूप में, ऑक्यूलर ऐल्बिनिजम पुरुषों में ही होता है। महिलाओं में दो एक्स सेक्स क्रोमोसोम होते हैं, इसलिए वे कैरियर या फिर वाहक का काम करती हैं। आपको डॉक्टर से बेबी की आंखों का रंग के संबंध में अधिक जानकारी लेनी चाहिए।
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जन्म के बाद बच्चों की आंखों की देखभाल करना भी बहुत जरूरी होता है। ऐसा कुछ बच्चों में अक्सर देखने को मिलता है कि बच्चों की आंखों से लगातार पानी आता है या फिर डिस्चार्ज निकलता है। अगर आपके बच्चों को भी इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं। आंखों में किसी प्रकार की समस्या होने पर लापरवाही करने पर बच्चों की आंखों की रोशनी के साथ समस्या पैदा हो सकती है। बेहतर होगा कि बिना देरी किए डॉक्टर को दिखाएं।
अगर आपके मन में यह प्रश्न आ रहा है कि बच्चों की आंखों के रंग से बच्चों की देखने की क्षमता पर कोई प्रभाव पड़ता है, तो यह बिल्कुल गलत है बच्चों की आंखें काली, भूरी, हल्की नीली या हल्की हरी हो सकती है लेकिन इससे बच्चों की देखने की क्षमता पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। यह पूर्ण रूप से प्राकृतिक होता है और बच्चों की आंखों का रंग अनुवांशिकी (जेनेटिक) पर निर्भर करता है।
इस आर्टिकल में हमने आपको बेबी के आंखों का रंग (Baby Eye Color) के बारे में अहम जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको बेबी या पेरेंटिंग के संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हैलो हेल्थ की वेबसाइट में आपको अधिक जानकारी मिल जाएगी।