अगर आपके लेटने से या हल्का दबाव देने से हर्निया वापस अपनी जगह पर चला जाता है, तो ऐसी स्थिति में सर्जरी की आवश्यक्ता नहीं पड़ती। अगर हर्निया बेहद छोटा है और उसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते, तो भी आपको सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। इतने तरह की होती है हर्निया की सर्जरी
आपका डॉक्टर एक-दो तरह से हर्निया को ठीक कर सकता है। कई मामलों में आपको कुछ दिन हॉस्पिटल में रहना पड़ सकता है जबकि अन्य मामलों में आप सर्जरी वाले दिन ही घर जा सकते हैं
ओपन सर्जरी (Open Surgery)
ओपन सर्जरी में सबसे पहले एनेस्थीसिया देकर मरीज का वह अंग सुन्न कर दिया जाता है। इसके बाद सर्जन प्रभावित जगह के ऊपर की स्किन काटकर हल्का दबाव बनाकर हर्निया को वापस धकेलने की कोशिश करता है। कई बार उस हिस्से पर गठान बांध दी जाती है तो कई बार उस हिस्से को अलग भी कर दिया जाता है। इसके बाद उस अंग के पास मजूद कमजोर मांसपेशियों को टांके लगाकर बंद कर दिया जाता है। अगर हर्निया काफी बड़ा है तो सर्जन उस जगह पर सपोर्ट भी लगा सकता है।
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic Surgery)
इस सर्जरी में सबसे पहले पेट को हानिरहित गैस से भर दिया जाता है। इसकी मदद से सर्जन पेट और अन्य अंगों को आसानी से देख पाता है। हर्निया का पता लगने के बाद उसके पास कई कट लगाए जाते हैं और उन छिद्रों से कैमरा (लैप्रास्कोप) अंदर डाला जाता है। इस कैमरे से मिली इमेज के आधार पर सर्जन हर्निया के उपचार की रूपरेख बनाते हैं। ओपन सर्जरी के मुकाबले इस सर्जरी में लोग तेजी से ठीक हो जाते हैं और अपने दैनिक कार्य फिर से शुरू कर सकते हैं।
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हर्निया की सर्जरी में क्या खतरे हो सकते हैं ?
हर्निया के ऑपरेशन यूं तो बहुत ही सुरक्षित होते हैं, लेकिन सभी सर्जरी की तरह इसमें भी कुछ खतरे हो सकते हैं।
इंफेक्शन (Infection)