backup og meta

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद फॉलोअप का काम करेगा ये आईबॉक्स

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद फॉलोअप का काम करेगा ये आईबॉक्स

पेरिस में फस्ट यूनिवर्सल एल्गोरिथम की पहचान की गई है जो किडनी ट्रांसप्लांट (kidney transplant) के लॉस को पहचाने का काम करता है। इसे आईबॉक्स का नाम दिया गया है। ये किडनी ट्रांसप्लांट के बाद फॉलोअप का काम करता है। आईबॉक्स इम्युनोसप्रेसिव ट्रीटमेंट को डेवलप करने का काम करता है। ये क्लीनिकल ट्रायल के समय को भी कम करता है। आज के समय में क्रोनिक डिसीज दस में से एक व्यक्ति को है। अपनी आखिरी अवस्था में ये बीमारी भयानक रूप ले लेती है और पेशेंट के लिए जानलेवा साबित होती है। डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की हेल्प से पेशेंट को बचाया जा सकता है। लेकिन दुखद बात ये है कि 55 % लोगों को समय पर ऑर्गन उपलब्ध नहीं होता है। इस कारण उन्हें डायलिसिस (Dialysis) की जरूरत पड़ती है। फ्रांस में डायलिसिस का सालाना 2.6 बिलियन और यूएसए में 40 बिलियन खर्चा आता है। डायलिसिस का खर्चा और हर बार कराने की मजबूरी पेशेंट को परेशान करती है। कई बार जब ऑर्गन उपलब्ध नहीं होता है, तो डायलिसिस मजबूरी होती है। ऑर्गन के उपलब्ध हो जाने पर शरीर उसे एक्सेप्ट करेगा या नहीं, ये भी बड़ी समस्या होती है। आईबॉक्स इस बारे में जानकारी देकर किडनी पेशेंट को राहत पहुंचाने का काम करता है।

प्रोफेसर अलेक्जेंड्रे लौपी के अनुसार, आईबॉक्स का उपयोग प्रत्येक किडनी ट्रांसप्लांट के रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर लंबे समय तक ट्रांसप्लांट को सर्वाइव करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

और पढ़ें: किडनी डैमेज होने के कारण और 8 संकेत

आईबॉक्स बताएगा 10 साल तक के ग्राफ्ट लॉस को

कई बार किडनी ट्रांसप्लांट सर्वाइवल के लिए ये स्थिति अच्छी नहीं होती है। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन और यूरोपीय औषधीय एजेंसी सहित नियामक एजेंसियों ने इस बात पर जोर दिया है कि हमे ऐसे किसी टूल की जरूरत है जो सर्वाइवल के बारे में जानकारी दे सके। अब तक अलग-अलग देशों में एल्गोरिदम को मान्य नहीं किया गया है, न ही परिक्षणों की सेटिंग की गई है। अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान संघ ने किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज के फॉलो-अप के दौरान आईबॉक्स का यूज किया। ये आईबॉक्स उपकरण मरीज के मूल्यांकन के बाद 10 साल तक के ग्राफ्ट लॉस की संभावनाएं को बताता है। आईबॉक्स उपकरण से 7,500 से अधिक रोगियों पर परीक्षण किया गया। जो पूर्वानुमान मिले, वो डॉक्टर्स के लिए विश्वसनीय थे। आईबॉक्स का यूज न केवल प्रत्येक रोगी के जीवन की गुणवत्ता पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, बल्कि ट्रांसप्लांट किडनी के लंबे समय तक चलते रहने के बारे में जानकारी भी देता है। आईबॉक्स की जानकारी सिर्फ ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित की गई है। इसका अध्ययन फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका और बेल्जियम में अनुसंधान समूहों, ​​केंद्रों और रोगी संघों ने किया था।

[mc4wp_form id=’183492″]

और पढ़ें: गुड न्यूज निमोनिया की पहली स्वदेशी वैक्सीन हो गई है तैयार, डीसीजीआई ने दिया ग्रीन सिग्नल

पेरिस ट्रांसप्लांट ग्रुप के बारे में

पेरिस ट्रांसप्लांट ग्रुप एक एक्टिव नेटवर्क है जो अंग प्रत्यारोपण के लिए पहचाना जाता है। ये ग्रुप प्रत्यारोपण चिकित्सा के लिए एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण रखता है जो विभिन्न विशेषताओं और जानकारियों को साझा करता है। ग्रुप में इम्यूनोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट, महामारी विज्ञानियों, सांख्यिकीविदों और गणित के प्रोफेसर्स को एक साथ देखा जा सकता है। इसका वैश्विक उद्देश्य बुनियादी विज्ञान और अनुप्रयुक्त बायोमेडिकल शोधों के बीच अंतर को भरना और प्रतिरोपण के नैदानिक ​​क्षेत्र में इम्यूनोलॉजिकल और जीन एक्सप्रेशन संबंधित खोज के अनुवाद में तेजी लाना है।

और पढ़ें: क्यों और किसे है ऑस्टियो सार्कोमा कैंसर का खतरा ज्यादा?

किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता क्यों पड़ती है? (Why is a kidney transplant needed?)

किडनी के लिए आईबॉक्स

किडनी फेलियर होने की स्थिति में किडनी ट्रांसप्लांट की जाती है। दरअसल किडनी जब शरीर के विषाक्त को फिलटर करने में किसी भी कारण असमर्थ होने लगती है तो ऐसी स्थिति में किडनी ट्रांसप्लांट का विकल्प अपनाया जाता है। ट्रांसप्लांट के  आईबॉक्स डिवाइस से जानकारी भी ली जाती है। लेकिन, किडनी ट्रांसप्लांट के बाद पेशेंट को कुछ शारीरिक परेशानी महसूस हो सकती है। जैसे:-

  1. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद एक सप्ताह में चार किलो तक वजन बढ़ सकता है
  2. बॉडी टेम्प्रेचर सामान्य से ज्यादा होना (Body temperature higher than normal)
  3. ट्रांसप्लांट वाले हिस्से में लगातार दर्द महसूस होना
  4. सर्जरी वाली जगह पर सूजन होना या फिर सर्जरी वाली त्वचा का लाल होना
  5. स्टीच वाले हिस्से से तरल पदार्थ निकलना जैसे पानी, रक्त या मवाद
  6. यूरिन कम होना (Low urine)
  7. लेटने के दौरान सांस लेने में परेशानी महसूस होना
  8. यूरिन पास करते वक्त दर्द या जलन महसूस होना
  9. यूरिन का रंग बदलना या अलग तरह की स्मेल यूरिन से आना
  10. सर्जरी के 24 घंटे बाद भी उल्टी होना
  11. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद सतर्क रहें और हेल्दी हेल्थ के लिए डॉक्टर द्वारा बताये गए निर्देश का ठीक तरह से पालन करें
  12. किसी भी खाद्य पदार्थों या पेय पदार्थों के सेवन के बाद उल्टी हो जाना
  13. डॉक्टर द्वारा दी गई दर्द की दवा का सेवन करने के बाद भी दर्द लगातरा महसूस होना
  14. यूरिन से ब्लड आना (Blood from urine)
  15. 3 दिनों से ज्यादा कब्ज (constipation) या दस्त की परेशानी होना
  16. आराम करने के दौरान या खड़े होने पर भी चक्कर आना
  17. ब्लड प्रेशर कम होना (Low blood Pressure)
  18. ब्लड प्रेशर हाई होना (High Blood Pressure)

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद एक या दो तरह की परेशानी नहीं बल्कि ऊपर बताये गए अठाहरह अलग-अलग तरह की शारीरिक परेशानी हो सकती है। अगर ये परेशानी बढ़ने लगे तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क कर उन्हें इसकी जानकारी दें।

और पढ़ें: वैज्ञानिकों की बड़ी खोज, माइक्रोब से मलेरिया की रोकथाम हो सकेगी

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद कैसे रखें पेशेंट का ख्याल? (How to take care of the patient after kidney transplant?)

आईबॉक्स

  • किडनी ट्रांसप्लांट के बाद किडनी से जुड़े इंफेक्शन होने का खतरा ज्यादा हो जाता है। इसलिए पेशेंट के खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। डॉक्टर ने जो डायट फॉलो करने की सलाह दी हो वही करें।
  • किडनी ट्रांसप्लांट के बाद शरीर के वजन का खास ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि ट्रांसप्लांट के बाद वजन बढ़ने का खतरा बना रहता है। इसलिए ऐसे आहार को अपने डायट में शामिल न करें जिससे वजन बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है। ट्रांसप्लांट की वजह से कमजोरी भी ज्यादा होने लगती है इसलिए सतर्क रहना चाहिए।
  • किडनी ट्रांसप्लांट के बाद डॉक्टर पेशेंट को कुछ दिनों तक आराम करने की सलाह देते हैं। यही नहीं किडनी ट्रांसप्लांट के बाद कम सेकम पांच से छह महीने तक ड्राइव न करें और न ही लॉन्ग रूट जर्नी पर जाएं। इसलिए किडनी प्रत्यारोपण के बाद ज्यादा से ज्यादा पेशेंट को आराम करने की सलाह दी जाती है।
  • ट्रांसप्लांट होने के बाद तकरीबन छे महीने तक अचानक या तेजी से उठने, बैठने, चलने या लेटने की कोशिश न करें। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद एक्सरसाइज और स्विमिंग भी न करें। एक्सरसाइज या स्विमिंग करने से पहले अपने डॉक्टर से मिलने और फिर जो सलाह दी जाए उसका पालन करें।

और पढ़ें: कैशलेस एयर एंबुलेंस सेवा भारत में हुई लॉन्च, कोई भी कर सकता है यूज

इन ऊपर बताये गए बिंदुओं पर ध्यान रखें और डॉक्टर के निर्देश का पालन करें। उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में आईबॉक्स  से जुड़ी जानकारी देने की कोशिश की गई है। अगर आप किडनी ट्रांसप्लांट या आईबॉक्स से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Development and Validation of a Multidimensional Score to Predict Long-term Kidney Transplant Outcomes (iBOX)/https://clinicaltrials.gov/ct2/show/NCT03474003/Accessed on 18/05/2020

PARIS EXPERTISE CENTER FOR ORGAN TRANSPLANTATION/https://www.paristransplantgroup.org/Accessed on 18/05/2020

Capital Reporting Company Surrogate Endpoints for Clinical Trials in Kidney Transplantation/https://www.fda.gov/files/drugs/published/Transcript–Surrogate-Endpoints-for-Clinical-Trials-in-Kidney-Transplantation–Public-Workshop.pdf/Accessed on 18/05/2020

Care After Kidney Transplant/https://www.kidney.org/atoz/content/immunosuppression/Accessed on 18/05/2020

Biopsy of the Transplanted Kidney/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3036241/Accessed on 18/05/2020

Machine preservation of donor kidneys in transplantation/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6503225/Accessed on 18/05/2020

Kidney Transplant/https://www.mayoclinic.org/tests-procedures/kidney-transplant/about/pac-20384777/Accessed on 18/05/2020

Current Version

18/02/2022

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore


संबंधित पोस्ट

कैंसर रोगियों के लिए डांस थेरिपी है फायदेमंद, तन और मन दोनों होंगे फिट

मलेरिया से जुड़े मिथ पर कभी न करें विश्वास, जानें फैक्ट्स


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement