के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
किडनी शरीर का सबसे जरूरी अंग है जो खून में मौजूद अवशिष्ट पदार्थ (Waste) को अलग करने का काम करता है। किडनी फेल होने पर पेशाब की समस्या शुरू हो जाती है या पेशाब से खून आने लगता है। जिसके लिए मरीज को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। ऐसे में किसी स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर से एक किडनी निकाल कर मरीज को लगाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को किडनी ट्रांसप्लांट कहते हैं।
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आइए जानें कि किडनी क्यों फेल होती है? किडनी फेल्योर के कई कारण है। किडनी से संबंधित कई बीमारियां किडनी को फेल करने के लिए जिम्मेदार होते हैं :
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लक्षणों के आधार पर डॉक्टर किडनी में समस्या होने पर कुछ टेस्ट कराते हैं। कई तरह की बीमारियों के कारण गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा डॉक्टर आपके शारीरिक परिस्थिति को भी देखते हैं।
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गुर्दे का प्रत्यारोपण कराना हमेशा बेहतर विकल्प नहीं होता है। इसलिए कुछ मामलों में आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए :
इसके साथ ही आपको जानना जरूरी है कि किडनी ट्रांसप्लांट के पहले किडनी मिलने में वक्त लगता है। डोनर से किडनी लेने से पहले ब्लड ग्रुप, किडनी की स्थिति आदि डॉक्टर द्वारा चेक किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि कभी-कभी मरीज का शरीर किडनी को स्वीकारता नहीं है। किडनी ट्रांसप्लांट एक बड़ी सर्जरी है। ऐसे में आपको डॉक्टर के पास रेग्यूलर चेक अप के लिए जाना पड़ेगा।
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बढ़ती तकनीकी और आधुनिकता के चलते पिछले कई दशकों से गुर्दे के प्रत्यारोपण का रिस्क कम हुआ है। लेकिन, इसके बावजूद ये सर्जरी पूरी तरह से रिस्क फ्री नहीं है। जैसे :
कम समय के लिए होने वाली समस्याएं :
लंबे समय के लिए होने वाली समस्याएं :
ऐसा नहीं है कि हर मामले में ये समस्याएं आएं। लेकिन, फिर भी आपको जानना जरूरी है कि सर्जरी के बाद भी किस तरह की समस्याएं सामने आ सकती है।
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ट्रांसप्लांट कराने से पहले आपको मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से तैयार होना चाहिए। सबसे पहले आप किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ से मिलें। किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ आपकी जांच कर के ये कंफर्म करते हैं कि आपका शरीर किडनी ट्रांसप्लांट के लायक है या नहीं। इसके लिए विशेषज्ञ आपका ब्लड सैंपल और एक्स-रे लेगा।
टेस्ट में ये प्रक्रियाएं होती हैं :
इसके अलावा आप एक से ज्यादा हॉस्पिटल की स्पेशलाइजेशन भी देख सकते हैं। इसके बाद ही किडनी ट्रांसप्लांट कराने का फैसला लें। अपने विशेषज्ञ से पूछे कि उसने अब तक कितनी किडनी ट्रांसप्लांट की है। कितने ऑपरेशन सफल रहें। इस नंबर की तुलना पर ही आप किडनी ट्रांस्पलांट विशेषज्ञ का चुनाव करें।
इसके बाद आपका विशेषज्ञ आपको वेटिंग लिस्ट में डालेगा। जब तक आप वेटिंग लिस्ट में रहेंगे तब तक डॉक्टर आपको कुछ निर्देश देंगे :
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किडनी ट्रांसप्लांट करने में लगभग तीन घंटे लगते हैं। किडनी ट्रांसप्लांट करवाने वाले व्यक्ति को सर्जरी से पहले बेहोश किया जाता है। इसके बाद इस तरह की प्रक्रिया की जाती है :
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हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। डॉक्टर द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करने पर आपका किडनी ट्रांसप्लांट सफल हो सकती है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने सर्जन से जरूर पूछ लें।
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।
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Dr Sharayu Maknikar