क्रॉनिक डिजीजेस : गहराई से समझें एशिया की स्थिति को

दक्षिण पूर्व एशिया में, आधी से अधिक मौतें क्रॉनिक डिजीजेस के कारण होती हैं। इनमें हृदय रोग, मधुमेह, स्ट्रोक और कैंसर शामिल हैं।

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क्रॉनिक डिजीजेस : गहराई से समझें एशिया की स्थिति को

दक्षिण पूर्व एशिया क्रॉनिक और ​​नॉन कम्यूनिकेबल डिजेजस के साथ समस्याओं का सामना कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इस क्षेत्र में होने वाली 55% मौतों का कारण क्रॉनिक डिजीजेस हैं।

इन बीमारियों में हृदय रोग, मधुमेह, स्ट्रोक और कैंसर शामिल हैं।

दक्षिणपूर्व एशिया क्षेत्र में क्रॉनिक नॉन कम्यूनिकेबल बीमारियों से सबसे ज़्यादा मौतें होती हैं । क्रॉनिक नॉन कम्यूनिकेबल रोग या एनसीडी, आदि गैर-संक्रामक रोग हैं, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलते।

ये पुरानी बीमारियां प्रति वर्ष लगभग 8.5 मिलियन लोगों की मौत का कारण बनती हैं।

दक्षिण पूर्व एशिया में हार्ट फ़ेल्योर पर एक अध्ययन से पता चला है कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के लोगों की क्रॉनिक नॉन कम्यूनिकेबल बीमारियों से समय से पहले मरने की संभावना अधिक थी, जिसमें

  • फिलीपींस (27.9%)
  • म्यानमार (24.3%)
  • इंडोनेशिया (23.1%)
  • मलेशिया (19.6%)
  • कंबोडिया (17.7%)
  • वियतनाम (17.4%)
  • थाईलैंड (16.2%)
  • सिंगापूर (10.2%)

आदि का सामवेश होता है। इस बीच ताइवान में, एथेरोस्क्लोरोटिक कार्डियोवेस्क्यूलर डिजीज या आर्टरिज में प्लाक आदि समस्याएं, मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। भारत में क्रॉनिक एनसीडी से 60% मौतें होती हैं – जिसमें हृदय रोग, जैसे कि इस्केमिक हृदय रोग, और सेरेब्रोवास्कुलर स्थितियां जैसे स्ट्रोक प्रमुख कारण हैं।

इनमें से कई जानलेवा बीमारियां जीवनशैली के कुछ विकल्पों के कारण होती हैं। ज़्यादातर ख़राब खानपान, गतिहीन जीवन शैली और भारी मात्रा में तंबाकू के सेवन जैसी आदतें इन बीमारियों के प्रसार में योगदान देती हैं।

सही जीवनशैली – जिसमें स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और सिगरेट या अन्य तंबाकू उत्पादों से दूरी बरतने की सलाह दी जाती है  –  ऐसी आदतें कम से कम 80% स्ट्रोक और समय से पहले हृदय रोग और मधुमेह की समस्या को रोक सकती हैं। सवाल ये है: हम इसके बारे में क्या कर रहे हैं?

जैसा कि हम जानते हैं, अब भी इन खराब जीवनशैली से जुड़ी आदतों और बीमारियों के होने के रिस्क कम नहीं हुए हैं। हैलो हेल्थ रीडरशिप सर्वे में, जिसने इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, म्यानमार, ताइवान और भारत में हजारों पाठकों ने सर्वेक्षण किया,  इसमें खुलासा हुआ कि लोगों ने इन 3 विषयों को सबसे अधिक देखा:

एशियाई मे सबसे अधिक खोजने जानें वाले मुख्य स्वास्थ्य विषय हैं

हैलो हेल्थ रीडरशिप सर्वे जून-नवंबर 2020 में पूरे एशिया में 9,000 से अधिक सर्वेक्षणों के आधार पर

सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि दक्षिण पूर्व एशियाई बाकी की तुलना में अन्य विशेष बीमारियों के बारे में अधिक चिंतित थे।

दक्षिण पूर्व एशियाइयों की प्रमुख स्वास्थ्य चिंताएं

हैलो हेल्थ रीडरशिप सर्वे के अनुसार, वजन प्रबंधन और तनाव प्रबंधन दक्षिण पूर्व एशिया में शीर्ष स्वास्थ्य स्थितियों के रूप में सामने आई, जिससे लोग सबसे ज्यादा चिंतित थे।

दक्षिण पूर्व एशियाई लोगों  के लिए चिंता का गंभीर स्वास्थ्य विषयदक्षिण पूर्व एशियाई लोगों  के लिए चिंता का गंभीर स्वास्थ्य विषयदक्षिण पूर्व एशियाई लोगों  के लिए चिंता का गंभीर स्वास्थ्य विषयदक्षिण पूर्व एशियाई लोगों  के लिए चिंता का गंभीर स्वास्थ्य विषयदक्षिण पूर्व एशियाई लोगों  के लिए चिंता का गंभीर स्वास्थ्य विषयदक्षिण पूर्व एशियाई लोगों  के लिए चिंता का गंभीर स्वास्थ्य विषय
India
वजन में नियंत्रण
45
%
जोड़ों का दर्द (तनाव, दर्द, चोट)
31
%
सेक्शुअल वेलनेस
31
%
तनाव में नियंत्रण
26
%
next

इन दोनों ने अभी भी मलेशिया, म्यानमार और थाईलैंड में कैंसर, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप के मामले में अपने जीवनसाथी या प्रियजनों के लिए स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का ज़िक्र किया है।

जब उनसे स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में पूछा गया, तो वे अपने माता-पिता, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर और क्रॉनिक पेन के लिए सबसे ज्यादा चिंतित थे – यह दर्शाता है कि एशियाई अपने और अपने आसपास के लोगों के लिए क्रॉनिक कंडिशन के बारे में चिंतित हैं।

हैलो हेल्थ साइट्स पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली कैटेगरी 

क्रॉनिक बीमारियों से संबंधित श्रेणियों में से, सभी हैलो हेल्थ साइटों में हृदय स्वास्थ्य सबसे अधिक देखी जाने वाली श्रेणी के रूप में सामने आया है। जिसमें भारत को छोड़कर अधिकांश देशों में उच्च रक्तचाप सबसे लोकप्रिय स्वास्थ्य स्थिति है। इसके बाद हृदय रोग, अन्य हृदय रोग और हार्ट फ़ेल्योर जैसी स्थितियां हैं।

हैलो हेल्थ के पाठकों के लिए कैंसर और मधुमेह भी लोकप्रिय श्रेणियां बनी रहीं – लीवर, कोलोरेक्टल, फेफड़े और स्तन कैंसर कुछ सबसे अधिक पढ़े जाने वाले विषय थे।

हैलो हेल्थ वेबसाइटों पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली श्रेणियां:हैलो हेल्थ वेबसाइटों पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली श्रेणियां:हैलो हेल्थ वेबसाइटों पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली श्रेणियां:हैलो हेल्थ वेबसाइटों पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली श्रेणियां:हैलो हेल्थ वेबसाइटों पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली श्रेणियां:हैलो हेल्थ वेबसाइटों पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली श्रेणियां:हैलो हेल्थ वेबसाइटों पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली श्रेणियां:हैलो हेल्थ वेबसाइटों पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली श्रेणियां:

हैलो हेल्थ वेबसाइटों पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली श्रेणियां

26 मई, 2021 से 25 अगस्त, 2021 तक हैलो हेल्थ वेबसाइट के साथ इंटरेक्शन के आधार पर

India
कैंसर
हार्ट हेल्थ
मधुमेह
आघात
next
1/8

एशिया में सबसे आम क्रॉनिक डिजीजेस कौन सी हैं, और वे शरीर को वास्तव में कैसे प्रभावित करती हैं? अधिक जानकारी के लिए देखें

दिल की बीमारी

अध्ययनों से पता चलता है कि दक्षिण पूर्व एशिया में हृदय रोग और दिल की विफलता बढ़ रही है, क्योंकि अधिक से अधिक आबादी में उच्च रक्तचाप, मधुमेह और धूम्रपान जैसे रिस्क फ़ैक्टर्स दिखाई देते हैं।

जीवनशैली की आदतों के कारण होने वाले इन हृदय रोगों में से एक है एथेरोस्क्लेरोसिस, धमनियों का मोटा होना, जो उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, मधुमेह और शारीरिक गतिविधि में कमी जैसे जोखिम कारकों से उत्पन्न होते हैं।

मधुमेह

मधुमेह एशिया में होनेवाली एक महामारी है, जिसके कारण अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह संघ के अनुसार दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिमी-प्रशांत देशों में 1.2 मिलियन और 1.3 मिलियन मौतें होती हैं।

मोटापा जैसे लाइफस्टाइल फ़ैक्टर्स टाइप 2 मधुमेह के विकास के रिस्क को बढ़ा सकते हैं, जो आपके शरीर को इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी बनाता है। मधुमेह वाले लोगों में हृदय रोग विकसित होने की संभावना 2-3 गुना अधिक होती है।

कैंसर

कैंसर किसी को भी हो सकता है। उकुछ ऐसे कारक हैं जो कैंसर होने के रिस्क को बढ़ाते हैं। इनमें उम्र, आनुवंशिकी, और कुछ प्रकार के कैंसर के लिए, कुछ ट्रिगर्स ज़िम्मेदार माने जाते हैं।

जीवनशैली के विकल्प और पर्यावरण के संपर्क में आने से भी कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है:  तंबाकू के सेवन से फेफड़े, मुंह, गले और अन्य अंगों का कैंसर हो सकता है।

 

स्ट्रोक 

स्ट्रोक के कई मामले जीवनशैली कारकों के कारण होते हैं। इनमें उच्च रक्तचाप, मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर शामिल हैं। आप इनमें से किसी भी आदत को बदलकर स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकते हैं:

कम या कोई शारीरिक गतिविधि नहीं

अस्वास्थ्यकारी आहार

शराब का सेवन

तंबाकू से धूम्रपान

स्ट्रोक 2 प्रकार के होते हैं: इस्केमिक स्ट्रोक और रक्तस्रावी स्ट्रोक। इस्केमिक स्ट्रोक, स्ट्रोक के 87% मामलों का कारण बनता है। यह तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है, जिससे मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो जाती है। इससे मस्तिष्क कोशिकाओं को हानि होती है।

रक्तस्रावी स्ट्रोक मस्तिष्क की सतह पर रक्तस्राव के कारण होता है, जो धमनी के फटने के कारण होता है। उच्च रक्तचाप (उच्च रक्तचाप) और एन्यूरिज्म जैसी स्थितियों के कारण धमनियां फट जाती हैं और रक्त का रिसाव होता है, जो दबाव बढ़ा सकता है और मस्तिष्क की कोशिकाओं को मार सकता है।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • हृदय रोग, मधुमेह, स्ट्रोक और कैंसर जैसी क्रॉनिक गैर-संचारी बीमारियां (एनसीडी) दक्षिण पूर्व एशिया में लगभग 8.5 मिलियन लोगों के जीवन पर भारी पड़ चुकी हैं।
  • दक्षिण पूर्व एशियाई लोगों ने अपने और अपने प्रियजनों के लिए शीर्ष स्वास्थ्य चिंताओं में  वजन प्रबंधन, तनाव प्रबंधन, उच्च रक्तचाप का ज़िक्र किया है, जो एनसीडी और उनके संबंधित जोखिम कारकों के अनुरूप हैं।
  • ऑनलाइन सबसे अधिक खोजे जाने वाले विषयों में स्वस्थ जीवन शैली, रोग की रोकथाम, और रोग उपचार और मैनेजमेंट का सामवेश होता है। 
  • सभी हैलो हेल्थ साइटों में हृदय स्वास्थ्य सबसे अधिक देखी जाने वाली श्रेणी के रूप में उभरा है। वहीं अधिकांश देशों में उच्च रक्तचाप भी सबसे लोकप्रिय स्वास्थ्य स्थिति के रूप में देखा गया है। अन्य लोकप्रिय रूप से देखी जाने वाली श्रेणियों में हृदय रोग, अन्य हृदय रोग, हृदय गति रुकना, कैंसर और मधुमेह इत्यादि शामिल हैं।
  • इन सामान्य बीमारियों के जोखिम कारकों के बारे में अधिक जानने से आपको इन स्थितियों को रोकने और प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।
  • एक स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और सिगरेट या अन्य तंबाकू उत्पादों का धूम्रपान न करने के साथ-साथ सही जीवन शैली जैसी आदतें कम से कम 80% स्ट्रोक, समय से पहले हृदय रोग और मधुमेह को रोक सकती है।

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