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निमोनिया की स्वदेशी वैक्सीन सबके लिए वरदान
एनआईटीआई के हेल्थ मेंबर डॉ वी के पॉल का कहना है कि “निमोनिया के लिए यह वैक्सीन शिशुओं में “स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया’ के कारण होने वाले आक्रामक रोग और निमोनिया के खिलाफ एक्टिव इम्यूनाइजेशन के लिए उपयोग किया जाएगा। स्वदेशी न्यूमोकोकल वैक्सीन होने से बाल मृत्यु दर कम करने के हमारे प्रयास में एक गेम-चेंजर होगा। निमोनिया बच्चे की मौत का सबसे महत्वपूर्ण कारण है, और आधे से ज्यादा गंभीर निमोनिया के मामले में न्युमोकोकल जिम्मेदार है। भारत का टीका हमारे देश और दुनिया के लिए एक वरदान साबित होगा।
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सीरम इंस्टिट्यूट कोरोना वैक्सीन बनाने में भी अग्रसर
पुणे स्थित सीरम संस्थान ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ COVID-19 वैक्सीन के लिए उत्पादन शुरू करने के लिए सख्ती से काम कर रहा है। उम्मीद करते हैं कि संभावित कोरोना वैक्सीन नोवल कोरोना वायरस को खत्म करने में सहायक होगी। सीईओ अदार पूनावाला ने बताया कि उत्पादित वैक्सीन का 50 प्रतिशत भारत के लिए रिजर्व रहेगा और बाकी का 50 प्रतिशत विश्व के लिए होगा।
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खतरनाक है ये बीमारी
निमोनिया एक खतरनाक बीमारी है जो ज्यादातर छोटे उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। यह फेफड़ों को प्रभावित करने वाला एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन है। आम तौर पर एल्वियोली (फेफड़ों में छोटी थैलियां) सांस लेने के दौरान हवा से भर जाती हैं, लेकिन निमोनिया होने पर एल्वियोली मवाद और तरल पदार्थ से भर जाती है। इसकी वजह से सांस लेने में समस्या होने लगती है। निमोनिया वायरस, बैक्टीरिया और फंगी सहित कई संक्रामक एजेंटों के कारण होता है। भारत में निमोनिया, 2018 में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का दूसरा बड़ा कारण था।
जबकि भारत में सरकार की पहल और जागरूकता कार्यक्रमों के कारण इस बीमारी के खिलाफ टीकाकरण में सुधार हुआ है। फिर भी कई बच्चे मुख्य रूप से फीमेल चाइल्ड आज भी इसकी पहुंच से दूर हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर बनी निमोनिया के लिए वैक्सीन की पहुंच अधिक सुलभ और सस्ती साबित हो सकती है।