- सबसे पहले बच्चे की शारीरिक जांच करते हैं।
- बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में भी पेरेंट्स से पूछ सकते हैं।
- जरुरत होने पर रक्त परीक्षण भी किया जा सकता है।
- स्टूल का टेस्ट भी डॉक्टर कर सकते हैं।
- यूरिन टेस्ट भी हो सकता है।
और पढ़ें : आपके बच्चे का दिल दाईं ओर तो नहीं, हर 12,000 बच्चों में से किसी एक को होती है यह कंडीशन
बच्चों में टाइफाइड का इलाज कैसे किया जाए? (Treatment of Typhoid fever in children)
बच्चों में टाइफाइड बुखार (Typhoid fever) के लक्षण मिलने के बाद इलाज में देरी नहीं की जानी चाहिए। मेडिकल ट्रीटमेंट (Medical treatment) के बिना यह फीवर रिस्की हो सकता है। मियादी बुखार के उपचार-
लिक्विड (Liquid)
टाइफाइड बुखार के दौरान बच्चे को दस्त भी लग सकते हैं जिससे उसकी बॉडी में पानी की कमी हो सकती है। डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए बच्चे को अधिक से अधिक लिक्विड प्रोडक्ट्स देना चाहिए। अगर बच्चे को ज्यादा डिहाइड्रेशन है, तो डॉक्टर उसे हॉस्पिटल में भर्ती भी कर सकते हैं। ताकि सिरींज से उसे तरल पदार्थ दिए जा सके।
एंटीबायोटिक्स (Antibiotics)
टाइफाइड फीवर के असर को कम करने और बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए डॉक्टर बच्चे के लिए एंटीबायोटिक्स दे सकते हैं। इन दवाओं के एक निश्चित कोर्स होता है जिसे उस अंतराल तक देना चाहिए। ताकि बैक्टीरिया फिर से एक्टिव न हो पाए।
एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) मेडिसिन
फीवर को कम करने के लिए यह दवा दी जाती है। इससे बच्चे को बुखार में थोड़ा आराम मिल सकता है। ध्यान दें बच्चे को दवा देने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी बहुत जरूरी है।
और पढ़ें : क्या बच्चों को हर बार चोट लगने पर टिटेनस इंजेक्शन लगवाना है जरूरी?
बच्चों में टाइफाइड जानिए कैसे बचाएं? (Prevention of Typhoid fever)
बच्चे को मियादी बुखार होने से बचाने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं –
- ध्यान दें बच्चे को पीने के लिए सिर्फ साफ या उबला हुआ पानी ही दें। यहां तक कि उसके खाना पकाने में भी उबले पानी का इस्तेमाल करे।
- इसके साथ ही खाना बनाने से पहले हाथ अच्छे से धोएं।
- अन्य कामों जैसे ब्रश और कुल्ला करने के लिए भी स्वच्छ पानी ही दें।
- आइसक्रीम, बर्फ वाला पानी या दूसरे बर्फ वाले पेय पदार्थ देने से बचें।
- सीधे टैप वाटर पीने के लिए न दें।
- स्ट्रीट फूड्स बच्चे को न खाने दें।
- बच्चे को कच्चा या अधपका फल न दें।
- खाने को सही से उबालकर और सही से पकाकर ही दें।
- जब भी बच्चा बाहर से आए उसके हाथ अच्छी तरह साबुन से धुलवाना न भूलें।
- टॉयलेट से आने के बाद उसे नाक, आंख और कान को छूने से पहले बच्चे से सही से हाथ धोने को कहें।
और पढ़ें : बच्चों में डायबिटीज के लक्षण से प्रभावित होती है उसकी सोशल लाइफ