वयस्कों की तुलना में बच्चों में अस्थमा की बीमारी होने की ज्यादा संभावनाएं रहती है, खासतौर से तब जब वो संक्रमित व्यक्ति या वायरस के संपर्क में आते हैं। सांस के द्वारा पोलेन को अंदर लेने या फिर कोल्ड या अन्य रेसपीरेटरी इंफेक्शन के संपर्क में आने से बीमारी होती है। बच्चों को अस्थमा की बीमारी होने की स्थिति में उन्हें रोजमर्रा के काम करने में परेशानी आती है, जैसे उन्हें खेलने, किसी स्पोर्ट्स एक्टीविटी में भाग लेने स्कूल में या फिर सोने में परेशानी आती है। यदि अस्थमा की बीमारी को मैनेज न किया जाए या इलाज न किया जाए तो उस स्थिति में खतरनाक अस्थमा अटैक आ सकते हैं।