– वायरल इंफेक्शन जैसे कॉमन कोल्ड
– एयर पॉलुशन या फिर तंबाकू का सेवन करने के कारण
– धूलकण, पालतू जानवर, पोलेन आदि के कारण एलर्जी होने से
– फिजिकल एक्टीविटी
– मौसम के बदलने या फिर ठंड हवा के चलने के कारण
– कई मामलों में अस्थमा की बीमारी बिना किसी लक्षण के भी हो जाती है
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बच्चों में अस्थमा के होने के रिस्क फैक्टर
– पेसिव स्मोकिंग के कारण, धूम्रपान के संपर्क में आने की वजह से, शिशु जब मां के पेट में हो उस समय से है खतरा
– पूर्व में हुए एलर्जिक रिएक्शन के कारण, जैसे स्किन रिएक्शन, फूड एलर्जी या फिर हे फीवर (एलर्जिक रिनीटिस-Allergic rhinitis) के कारण
– परिवार में किसी एलर्जी या फिर अस्थमा की बीमारी होने के कारण
– हाई पॉपुलेशन वाले इलाके में रहने की वजह से
– ओबेसिटी के कारण
– रेस्पिरेटरी कंडीशन की वजह से जैसे, नाक का बहना (रिनीटिस), साइनिसाइटस या फिर नियोमोनिया के कारण
– महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को होती है ज्यादा बीमारी
अस्थमा के कारण इन प्रकार की बीमारी का है खतरा
– कुछ प्रकार के अस्थमा अटैक की वजह से इमरजेंसी ट्रीटमेंट या फिर हॉस्पिटल में जाने की जरूरत पड़ सकती है
– पूरी तरह लंग्स का काम न कर पाना
– बीमारी के कारण आम बच्चों की तरह स्कूल न जा पाना
– अच्छी नींद न आना, थका-थका महसूस करना
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बच्चों में अस्थमा की बीमारी का इस प्रकार करें बचाव
– अस्थमा न हो इसलिए बाहरी संपर्क करें कम: बच्चे को एलर्जी या फिर इरीटेशन के साथ दूसरी बीमारी से बचाने के लिए जितना संभव हो बाहरी संपर्क कम करें।
– बच्चे के आसपास स्मोकिंग न करें : बच्चा यदि छोटा है तो या मां के गर्भ में है तो उस स्थिति में उसके आसपास स्मोकिंग करना उसकी सेहत के लिए घातक हो सकता है। वहीं अस्थमा अटैक की संभावनाएं बढ़ सकती है।
– बच्चे को एक्टिव होने के लिए करें प्रोत्साहित : आप चाहते हैं कि बच्चे का अस्थमा लंबे समय तक कंट्रोल रहे इसके लिए जरूरी है कि बच्चे की फिजिकल एक्टिविटी पर जोर दें, उसे आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से वो इनहेलर से छुटकारा पा सकता है।
– जरूरत पड़ने पर लें डॉक्टरी सलाह : बच्चे की सेहत पर हमेशा नजर बनाए रखे, अस्थमा से संबंधित किसी प्रकार के लक्षण को इग्नोर न करें। वहीं जरूरत पड़ने पर इनहेलर पर जोर दें। समय के साथ अस्थमा की बीमारी में परिवर्तन देखने को मिलता है। समय समय पर डॉक्टरी सलाह लेते रहने से बीमारी के इलाज में सहुलियत होती है। वहीं लक्षणों को कंट्रोल रखा जा सकता है।
– बच्चे का उम्र के हिसाब से हो वजन : मोटापे के कारण अस्थमा की बीमारी बद से बदतर हो सकती है। वहीं यह आपके बच्चे को कई अन्य बीमारी होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
– हार्ट बर्न को रखें कंट्रोल : एसिड की वजह से बच्चों में हार्टबर्न की समस्या (गेस्ट्रोफेगल रिफलक्स डिजीज व जीईआरडी) हो सकती है। ऐसे में इस लक्षण को रोकने के लिए दवाओं का सेवन करना पड़ सकता है।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाक्टरी सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।