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आखिर कब लेनी चाहिए डॉक्टरी सलाह
सोने के दौरान यदि आपके बच्चों में अस्थमा के लक्षण दिखे तो आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। शुरुआती दौर में इलाज शुरू कर दिया जाए तो उस कारण न केवल बीमारी के लक्षणों को कम किया जा सकता है बल्कि अस्थमा के अटैक से भी बचा जा सकता है।
बच्चों में इस प्रकार के लक्षण दिखें तो लें डॉक्टरी सलाह :
– शारिरिक या आंतरिक गतिविधि के कारण लगातार कफिंग की समस्या होने से
– सांस लेने या छोड़ने के दौरान सीटी या घरघराहट की आवाज आने पर
– लगातार और असामान्य सांस लेना और रोक रोक कर सांस लेना
– बच्चे की ओर से छाती में तनाव की शिकायत करने की स्थिति में
– ब्रोंकाइटिस या नियोमोनिया के बार-बार लक्षण दिखने की स्थिति में
यदि आपके बच्चे को अस्थमा की बीमारी है तो उस स्थिति में वो यह कह सकता है कि उसकी छाती में हमेशा भरा भरा रहता है। कफिंग के कारण बार बार नींद से उठ जाना, कफिंग और घरघराहट के कारण रोना, चिल्लाना और इमोशनल रिएक्शन के साथ तनाव में रहना हो सकता है। यदि आपका बच्चा अस्थमा की बीमारी से ग्रसित हो जाता है और उसका पता चल जाए तो उस स्थिति में पेरेंट्स की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। बच्चों के लिए आप अस्थमा प्लान तैयार कर सकते हैं ताकि उसे कम से कम तकलीफ हो।
सही तरह से बीमारी को न पकड़ पाने की स्थिति में
बच्चों में अस्थमा की बात करें तो कई बार एकस्पर्ट भी इसे नहीं पकड़ पाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह डिस्फंक्शनल ब्रिदिंग से जुड़ा है (जिसे हाइपरवेंटिलेशन और वोकल कॉर्ड डिस्फंक्शन, वीसीडी) भी कहा जाता है। वहीं सही प्रकार के सांस न ले पाने के कारण एक्सपर्ट इसे ट्रैकियल मलेसिया- tracheal malacia, वैस्कुलर रिंग मान बैठते हैं। इतना ही नहीं कई एक्सपर्ट इसे कार्डिएक एनोमेलिस-cardiac anomalies, इम्युन डेफिशिएंशी, प्राइमरी सिलैरी डिस्नेसिया-primary cilliairy dyskinesia, सिस्टिक फाइब्रोसिस-cystic fibrosis, ब्रोंककाइटिस, ऑबिटरवेटिव ब्रोंकाइटिस, इनहेल्ड फॉरन बॉडी, एलर्जिक रेनिटिस और गेस्ट्रोफेगल रिफ्लक्स की बीमारी मान बैठते हैं।
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कब पड़ सकती है इमरजेंसी ट्रीटमेंट की जरूरत
बच्चों में अस्थमा होने की वजह से यदि आपके बच्चे की छाती बार बार अंदर की तरफ असामान्य रूप से जाए या फिर उसे सांस लेने में तकलीफ हो, वहीं असामान्य रूप से बच्चे का हार्ट बीट अचानक बढ़ जाए, उसे पसीना हो, चेस्ट पेन हो, तो आपको इमरजेंसी ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे लक्षणों को कतई इग्नोर नहीं करना चाहिए।
– बोलते बोलते वाक्य को पूरा कर पाने के बीच में ही सांस लेने की आदत
– सांस लेने में परेशानी होना, सामान्य लोगों की तुलना में काफी मशक्कत करना
– सांस लेने के दौरान नाक का सिकुड़ना