जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशु के वायु मार्ग से एमनियोटिक द्रव को साफ करना होता है, जो प्राकृतिक तौर पर बच्चे का शरीर साफ करता है, इसके लिए भी नवजात शिशु का शरीर छींक की प्रक्रिया करता है।
सामान्य सर्दी-जुकाम के दौरान शिशु का छींकना
सामान्य सर्दी-जुकाम का कारण भी सांस नली में इंफेक्शन ही होता है। ऐसे में इसके कारण भी नवजात शिशु को छींक आ सकती है। आमतौर पर इसकी समस्या गंभीर नहीं मानी जाती, लेकिन स्थितियों में आसामान्य बदलाव होने अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
हवा में सूखापन के कारण
शिशु के छोटे से नाक मार्ग में नाक का बलगम आसानी से सूख सकता है। वातानुकूलित कमरों में अधिक रहने या बहुत ही ड्राई एयर में रहने के कारण भी शिशुओं में इसकी समस्या हो सकती है। ऐसे में इससे बचने के लिए शिशु का शरीर छींकने की प्रक्रिया करता है, ताकि नाक का निचले हिस्से में छींकनी की क्रिया के दौरान भाप मिले और नाक बहुत ज्यादा सूखी न हो।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, उनके पास इस तरह के कई मामले आते हैं, जिनमें बच्चे का बहुत ज्यादा छींकना या शिशु की भरी हुई नाक की समस्याएं शामिल होती है। जिस पर उनका कहना है कि, जब तक बच्चे को सांस लेने में कोई परेशानीनहीं होती है, तब तक यह स्थितियां बेहद सामान्य होती है। ऐसी स्थितियों में बच्चे को किसी तरह के खास उपचार या सलाइन ड्राप या नाक के एस्पिरेटर की जरूरत नहीं होती है। बच्चे के सांस की नली बहुत छोटी है, ऐसे में इन प्रक्रियों को पूरा करने में बच्चे का शरीर समय लेता है। ऐसे में बच्चे का छींकना कुछ लंबे समय तक पूरी तरह से सुरक्षित हो सकता है। बस उन्हें धूल भरी स्थानों और धुएं वाली जगहों में न ले जाएं।
और पढ़ेंः नवजात शिशु का मल उसके स्वास्थ्य के बारे में क्या बताता है?
नवजात शिशु क्यों छींकते हैं?
आपके नवजात शिशु का छींकना कई कारणों से हो सकता हैं। सबसे पहले, इस बात का ध्यान रखें कि आपके नवजात शिशु का छींकना उसके स्वस्थ्य होने का इशारा होता है। इसलिए इसे ज्यादा लेकर गंभीर न हो। क्योंकि नवजात शिशु का छींकना यह बताता है कि बच्चे का तंत्रिका तंत्र सही तरीके से काम कर रहा है। हमारे शरीर में छींकने का कार्य तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित होता है। नवजात शिशु का छींकना, मुंह से थूक या लार बहना, जम्हाई लेना, हिचकी आना और डकार लेना ये सभी बेहद सामान्य और स्वस्थ्य आवस्थाएं हैं।
दरअसल, जब भी कोई बाहरी तत्व या कण हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा होता है तो हमें छींक आती है और छींक के साथ वो संक्रामक चीज शरीर से बाहर आ जाती है। छींक की गति काफी तेज होती है और सांस नली में प्रवेश करने वाले ये कण भी कफी छोटे हैं, तो आंखों से इन कणों को नहीं देखा जा सकता है। लेकिन, अगर किसी माइक्रोस्पोप से आप छींक के बूदों को देखेंगे, तो इसके अंदर के कण और किसी भी तरह के संक्रामक कण को आप देख सकते हैं।
आमतौर पर किसी वयस्क या बड़े बच्चों के मुकाबले एक नवजात शिशु का छींकना बार-बार जारी रह सकता है। क्योंकि नवजात शिशुओं में वयस्कों की तुलना में नाक का मार्ग काफी छोटा होता है। हवा में हल्का धुआं या धूल होने पर भी छोटे शिशुओं को छींक आ सकती है। इसलिए कभी भी नवजात शिशुओं के आस-पास स्मोकिंग भी नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा जन्म के बाद शिशुओं में अंदर तंत्रिका तंत्र में विकास होता रहता है, इस दौरान वे नाक की जगह मुंह से भी सांस लेते हैं।
नवजात शिशु का छींकना कब हो सकता है गंभीर?