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शिशुओं में विटामिन डी कमी से हो सकते हैं ये खतरनाक परिणाम

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Mayank Khandelwal


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/03/2021

    शिशुओं में विटामिन डी कमी से हो सकते हैं ये खतरनाक परिणाम

    “शिशुओं में विटामिन डी की कमी आमतौर पर देखी जाती है। स्तनपान कराने वाली मां को अपने आहार में कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए ताकि शिशु को ब्रेस्ट मिल्क के जरिए कैल्शियम मिल सके। इसके साथ ही, बच्चे को रोजाना सन बाथ दें। उसे हर दिन सुबह की गुनगुनी धूप में (8-10 बजे के बीच) कम से कम 30 मिनट के लिए घुमाएं, क्योंकि विटामिन डी का 80% हिस्सा यहीं से आता है। विटामिन डी की अत्यधिक कमी से रिकेट्स, मोटर स्किल्स के विकास में कमी, मांसपेशियों में कमजोरी, फ्रैक्चर आदि की आशंका बढ़ सकती है। इसलिए शिशुओं में विटामिन डी डेफिसिएंसी को खत्म करना बहुत जरूरी हो जाता है।” “हैलो स्वास्थ्य’ की डॉ. श्रुति श्रीधर (कंसल्टिंग होम्योपैथी एंड क्लीनिकल नूट्रिशनिस्ट) का ऐसा ही कहना है। 

    अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स 12 महीने तक के नवजात शिशुओं (स्तनपान और ब्रेस्टफीडिंग के साथ आहार लेने वाले) को प्रति दिन 400 आईयू (IU) और बड़े बच्चों और किशोरों को प्रतिदिन 600 IU विटामिन डी लेने की सलाह देता है। शिशुओं में विटामिन डी की कमी की वजह से शारीरिक विकास में परेशानियां आती हैं। बच्चों में होने वाली विटामिन डी डेफिसिएंसी को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है? शिशु को एक दिन में कितनी विटामिन डी की जरुरत पड़ती है? जैसे कई सवालों के जवाब इस आर्टिकल में मिलेंगे।

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    बच्चों के लिए विटामिन डी क्यों आवश्यक है?

    शिशु के संपूर्ण विकास के लिए विटामिन डी की जरूरत पड़ती है। आमतौर पर लोग मानते हैं कि विटामिन डी सिर्फ हड्डियों के लिए ही जरूरी होता है लेकिन, यह सही नहीं है। हड्डियों को मजबूत करने के साथ ही विटामिन डी इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है। शिशु के शरीर में दूसरे विटामिंस को भी सक्रिय रखने के लिए विटामिन डी की जरुरत होती है। शिशुओं में विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। विटामिन डी की कमी से कई बच्चों की तो हाथों की उंगलियां और पैर तक सीधे नहीं होते हैं।

    अन्य विटामिनों के विपरीत, विटामिन डी एक हार्मोन की तरह हमारे शरीर में काम करता है और शरीर की हर एक कोशिका में इसके लिए एक रिसेप्टर होता है। जब भी हमारे शरीर की त्वचा सूरज की रोशनी के संपर्क में आती है, तो विटामिन डी का निर्माण अपने आप होने लगता है। व्यस्कों के साथ-साथ शिशुओं में विटामिन डी की कमी होना काफी आम समस्या हो सकती है। अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में लगभग 1 करोड़ लोगों के खून में विटामिन डी का स्तर काफी कम है।

    साल 2011, में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, अमेरिका में 41.6 फीसदी वयस्कों में विटामिन डी की कमी है। वहीं, हिस्पैनिक्स में यह संख्या 69.2 फीसगी और अफ्रीकी-अमेरिकियों में 82.1 फीसदी तक आंकी गई है।

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    किन कारणों से शिशुओं में विटामिन डी की कमी हो सकती है?

    शिशुओं में विटामिन डी की कमी होने के निम्न कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः

    • त्वचा की गहरी रंगत यानी काला होना
    • बढ़ती उम्र
    • ओवर वेट होना
    • कुपोषण
    • दैनिक आहार में विटामिन डी के स्त्रों की कमी
    • ऐसी जगह पर रहना, जहां सूर्य की रोशनी बहुत कम आती हो
    • घर से बाहर निकलते समय बहुत ज्यादा मात्रा में सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना
    • धूप के संपर्क में न आना
    • इनसके अलावा जो लोग भूमध्य रेखा के पास रहते हैं उनमें और वहां के शिशुओं में विटामिन डी की कमी होने की समस्या काफी आम हो सकती है। क्योंकि वहां सूरज निकलने की संभावना कम होती है। जिसकी वजह से उनका शरीर उचित मात्रा में विटामिन डी का उत्पादन करने में असमर्थ हो जाती है।

    आमतौर पर विटामिन डी की कमी के लक्षणों को महसूस नहीं किया जा सकता है। लोगों को इसका पता किसी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के होने के बाद ही चल पाता है।

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    शिशुओं को कितनी मात्रा में विटामिन डी देना चाहिए?

    • स्तनपान करने वाले शिशुओं को प्रति दिन 400 IU विटामिन डी की जरूरत पड़ती है।
    • ब्रेस्टमिल्क विटामिन डी का पर्याप्त सोर्स नहीं है, जिसमें आमतौर पर पांच से 80 आईयू (प्रति लीटर) ही विटामिन डी होता है। इसी वजह से अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ब्रेस्टफीडिंग करने वाले शिशुओं को प्रतिदिन 400 IU विटामिन डी लेने के लिए सप्लिमेंट्स लेने की सलाह देती है। 

    शिशुओं में विटामिन डी की कमी के क्या लक्षण दिखते हैं?

    • अगर शिशु अपना ही वजन संभाल पाने में सक्षम न हो या फिर उसे चलने-बैठने में दिक्कत है तो उसे विटामिन डी की कमी हो सकती है। 
    • अगर आपके बच्चे की उंगलियां टेढ़ी-मेढ़ी हैं और उसका पैर सीधा नहीं है तो उसे डॉक्टर को दिखाएं। हो सकता है कि शिशु में विटामिन डी की कमी हो।
    • विटामिन डी की कमी के चलते बच्चे थोड़ा झुक जाते हैं। उनकी रीढ़ की हड्डी पर इसका असर साफ नजर आता है। विटामिन डी की कमी से हड्ड‍ियों का विकास रुक जाता है।
    • अगर आपके बच्चे की खोपड़ी मुलायम है तो हो सकता है बच्चे के शरीर में विटामिन डी की कमी है।

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    बच्चों में विटामिन डी की कमी को दूर करने के उपाय 

    सूरज की रोशनी (Sun Light) 

    विटामिन डी की कमी को पूरा करने का सबसे अच्छा सोर्स सूरज की रोशनी को माना जाता है। इसलिए पहले के समय में शिशु की मालिश हल्की धूप में की जाती थी ताकि उसे विटामिन डी मिल सके। शिशु को सुबह की धूप में 15 से 20 मिनट जरूर बिठाएं। 

    विटामिन डी के लिए शामिल करें 

    डेयरी उत्पादों से विटामिन डी की कमी को पूरा करने में सहायता मिलती है। शिशु को दूध और दूध से बनी चीजें जैसे दही, मक्खन आदि दिया जा सकता है। विटामिन डी के लिए संतरे का जूस भी अच्छा रहता है। इससे बच्चों के शरीर में विटामिन डी की कमी पूरी होती है।   

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    विटामिन सप्लिमेंट्स 

    शिशुओं में विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए विटामिन सप्लिमेंट्स दिया जा सकता है। बच्चे को सही मात्रा देने के लिए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें। डॉक्टर से सलाह लेकर ही सप्लिमेंटि्स का उपयोग करें।   

    नवजात शिशुओं में विटामिन डी की कमी होना आम बात है। शिशु को सही आहार देकर विटामिन डी डेफिसिएंसी को कम किया जा सकता है। 

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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