लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड (Lactational Amenorrhea Method) क्या है?
लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड को शॉर्ट में एलएएम भी कहते हैं। इसे स्तनपान गर्भनिरोधक विधि के तौर भी जाना जाता है। इस वजह से बर्थ कंट्रोल स्वतः होने वाली एक प्रक्रिया है। डिलिवरी के तुरंत बाद महिला के योनि से रक्तस्राव शुरू हो जाता है, जो लगभग एक माह तक चलता रहता है। वहीं, मां द्वारा बच्चे को जन्म के तुरंत बाद से ही स्तनपान कराया जाता है जो कि मां के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। एक माह रक्तस्राव के बाद मां को आने वाले कुछ माह (लगभग पांच या छह महीने) तक माहवारी नहीं आती है। जिससे गर्भधारण होने का जोखिम कम हो जाता है।
लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड (Lactational Amenorrhea Method) कितना प्रभावी है?
लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। डॉ. शिप्रा धर ने बताया कि स्तनपान के दौरान 70 फीसदी गर्भधारण न करने की संभावना होती है। लेकिन, 30 प्रतिशत तक की संभावना होती है कि स्तनपान के दौरान मां को गर्भधारण हो सकता है। ऐसे में स्थाई उपाय यही है कि मां को डिलिवरी के तीन महीने के बाद से गर्भनिरोधक उपायों को अपनाना शुरू कर देना चाहिए, जिसमें गर्भ निरोधक गोलियां, कॉपर टी, गर्भ निरोधक इंजेक्शन और कंडोम शामिल है।
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स्तनपान (Breastfeeding) के दौरान हॉर्मोंस की भूमिका
डिलिवरी के बाद जब मां स्तनपान शुरू कराती है तो उसके शरीर में प्रोलैक्टिन हॉर्मोन (Prolactin Hormone) बनते है। ये हॉर्मोन मां को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करता है और दुग्ध उत्पादन में मदद करता है। प्रोलैक्टिन हॉर्मोन बनने से ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन (LTH), फॉलिकल स्टिम्यूलेटिंग हॉर्मोन (FSH), इस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन नहीं बन पाते हैं। ये सभी हॉर्मोन गर्भधारण के लिए उत्तरदायी होते हैं। अगर मां बच्चे को नियमित रूप या सही तरीके से स्तनपान नहीं करा रही है, तो प्रोलैक्टिन हॉर्मोन की अनियमितता हो जाती है और गर्भधारण होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए बर्थ कंट्रोल के लिए आप नियमित रूप से बच्चे को स्तनपान कराते रहें।