खिलाड़ियों को प्रोटीन प्रोडक्ट्स देने से पहले उन प्रोडक्ट्स का लैब टेस्ट करवाया था। जिनमें से 70% प्रोडक्ट्स फेल हुए। उनमें कैफीन की अधिक मात्रा और हानिकारक कंपाउंड पाए गए। प्रोटीन सप्लिमेंट्स लेने पर वर्कआउट करना जरूरी होता है। अगर आप सप्लिमेंट्स ले रहे हैं और वर्कआउट नहीं कर रहे हैं, तो इसका असर किडनी पर होगा। इसलिए एथलीट्स के लिए इनको लेना सही होता है। एथलीट्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए वे सस्ते के चक्कर में लो क्वालिटी और स्टेरॉइड युक्त सप्लीमेंट्स न लें। मैं पहले अपने खिलाड़ियों को पहले नॉर्मल डायट में नैचुरल प्रोटीन लेने की सलाह देता हूं। अगर किसी कॉम्पिटीशन की तैयारी करनी है और समय कम है, तो प्रोटीन सप्लिमेंट लिया जा सकता है।
कोच से जानकारी लेने के बाद मैंने रांची के नेशनल पॉवर लिफ्टिंग चैम्पियन सनी कुमार से बात की। वे कई नेशनल और स्टेट लेवल कॉम्पिटिशन में हिस्सा लेकर कई मेडल अपने नाम कर चुके हैं। आइए जानते हैं उन्होंने कहा क्या?
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प्रोटीन सप्लिमेंट्स (Protein supplements) को लेकर लोगों की धारणा है गलत
“प्रोटीन सप्लिमेंट्स को लेकर लोगों की गलत धारणा है। वे प्रोटीन सप्लिमेंट्स और स्टेरॉइड के बीच में कंफ्यूज रहते हैं और सोचते हैं कि ये (प्रोटीन सप्लिमेंट्स) बहुत नुकसान करते हैं। अगर इन्हें सही ढंग से लिया जाए तो फायदा ही पहुंचाते हैं। खिलाड़ी ही नहीं आम इंसान भी बॉडी में प्रोटीन की पूर्ति करने के लिए इन सप्लिमेंट्स को ले सकता है। एक बात और बता दूं कि प्रोटीन सप्लिमेंट्स के साथ प्रॉपर डायट लेना भी जरूरी होता है। तभी ये ठीक से काम करते हैं। मैं एक्सरसाइज करने के 5 मिनट के बाद सप्लिमेंट्स लेता था। सामान्य तौर पर खिलाड़ियों के द्वारा एक्सरसाइज के बाद सप्लिमेंट्स लिए जाते हैं ताकि वे मसल्स को रिपेयर कर सकें।
पहचान करना बहुत जरूरी
सनी का कहना है कि, लोगों को प्रोटीन लेने से पहले ये पता करना जरूरी है कि इसमें स्टेरॉइड मिक्स तो नहीं है। इसके लिए वे कंटेंट और इंडीग्रेंट्स चेक करें। फिर भी समझ न आए तो किसी फिटनेस ट्रेनर या डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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प्रोटीन (Protein) क्या है?
प्रोटीन लार्ज मॉलेक्यूल्स हैं, जो सेल्स के ठीक से काम करने के लिए जरूरी है। इसमे एमिनो एसिड होता है। हमारी बॉडी का स्ट्रक्चर और उसके फंक्शन प्रोटीन पर डिपेंड करता है। बॉडी के सेल, टिशूज और ऑर्गन का रेगुलाइजेशन प्रोटीन के बिना नहीं हो सकता। मसल्स, स्किन और हड्डियों के अलावा शरीर के दूसरे हिस्सों में एंजाइम्स, हार्मोंस, एंटीबॉडीज और प्रोटीन की निश्चित मात्रा होती है। प्रोटीन न्यूरोट्रांसमिटर्स की तरह काम करता है। हीमोग्लोबिन, जो ब्लड में ऑक्सिजन लेकर जाता है वो भी प्रोटीन है।
प्रोटीन तीन प्रकार के होते हैं। कंप्लीट प्रोटीन, ये हमें एनिमल फूड्स जैसे कि मीट, डेयरी प्रोडक्ट्स और अंडे से प्राप्त होता है। इनकंप्लीट प्रोटीन, ये बीन्स, मटर और चना में पाया जाता है। तीसरा कंप्लीमेंटरी प्रोटीन, जिन दो फूड्स में इनकंप्लीट प्रोटीन पाया जाता है उन्हें एक साथ लेकर कंप्लीट प्रोटीन लिया जा सकता है। जैसे राइस और बींस या पीनट बटर के साथ ब्रेड।
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