अस्थमा एक कॉमन बीमारी बन चुकी है। इन दिनों बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक इससे पीड़ित हैं। इसका अटैक एक भयानक अनुभव होता है। इसमें सीने पर इतना भार महसूस होता है कि ऐसा लगता है कि सीने पर कोई बैठा है या फेफड़ों के ऊपर कुछ धुंध सी आ गई है। इस दौरान सांस लेने के लिए संघर्ष करना पड़ता हैं। सीना टाइट हो जाता है और सांसें तेज हो जाती हैं। अस्थमा पीड़ित के अनुसार ऐसा लगता है कि “जैसे आप हवा में डूब रहे हैं।’
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क्या है अस्थमा?
दरअसल अस्थमा ब्रोन्कियल ट्यूब्स में इन्फ्लमेशन और रुकावट है – वे मार्ग जो हवा को फेफड़ों में प्रवेश करने और छोड़ने की अनुमति देते हैं। अस्थमा के अटैक के दौरान, मांसपेशियों जो ब्रोन्कियल ट्यूब्स के आसपास होती हैं वायु मार्ग को संकुचित करती हैं जिससे सांस लेने में मुश्किल होती है। इसके अन्य सामान्य लक्षण हैं घरघराहट के साथ सांस लेना।
अटैक की अवधि अलग-अलग हो सकती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसकी वजह क्या है और कब तक वायुमार्ग को अवरुद्ध किया गया है। कई बार यह केवल कुछ मिनट तक रह सकता है। वहीं अधिक गंभीर अटैक घंटे से दिनों तक रह सकते हैं। माइल्ड अटैक को जल्दी ठीक किया जा सकता है इसके लिए आमतौर पर इन्हेलर की जरुरत होती है। अधिक गंभीर अस्थमा के अटैक को उचित उपचार के साथ कम किया जा सकता है।
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अस्थमा में योग के फायदे
इन योग आसन को कर भी आप अस्थमा से राहत पा सकते हैं:
कपालभाति प्राणायाम
![अस्थमा के लिए कपालभाति](https://cdn.helloswasthya.com/wp-content/uploads/2019/08/shutterstock_599270687.jpg)
कपालभाति प्राणायाम के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा। इस योग मुद्रा की मदद से मस्तिष्क और श्र्वसन नली की मांसपेशिया को आराम मिलता है। इसके साथ ही कपालभाति प्राणायाम अस्थमा के मरीजों को शक्ति प्रदान कर के उनकी तंत्रिका प्रणाली को भी मजबूत बनाता है।
कपालभाति करने का सही तरीका
कपालभाति मुद्रा अपनाने के लिए सीधे बैठ जाएं। ध्यान रहे कि आपकी रीढ़ की हड्डी बिलकुल सीधी रहनी चाहिए। अपनी हथेलियों को घुटनों पर रखें। एक गहरी लंबी सांस लें। सांस अंदर लेते समय अपने पेट को अंदर की तरफ खींचने की कोशिश करें। इसके साथ ही नाभि को कमर की दिशा में खींचे। इस प्रक्रिया को अपने सुविधा के अनुसार दोहराते जाएं। आमतौर पर इस प्राणायाम के सहारे 20 बार सांस अंदर व बाहर करने की सलाह दी जाती है।
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उत्तानासन
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इस आसान की मदद से न केवल अस्थमा के मरीजों को बल्कि संपूर्ण शरीर को फायदा पहुंचता है। इस योग मुद्रा को करना कुछ लोगो के लिए मुश्किल हो सकता है लेकिन इसकी मदद से सभी मांसपेशियों को बेहद लाभ मिलता है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि इस आसान से कब्ज जैसे समस्याएं भी ठीक की जा सकती हैं।
उत्तानासन करने का सही तरीका
इस योग मुद्रा को करने के लिए बिलकुल सीधे खड़े हो जाएं। आपके पैरों के बीच 5 से 6 इंच का गैप होना अनिवार्य है। अब अपने दोनों हाथों को नीचे की ओर ले जाते हुए जमीन को हथेलियों या उंगलियों से छूने की कोशिश करें। ध्यान रहे कि नीचे जाते या ऊपर आते समय आपकी कमर सीधी रहनी चाहिए। शुरुआत में इस योग मुद्रा को करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, इसलिए आप चाहें तो कुछ समय के लिए अपने घुटनों को मोड़ सकते हैं। हालांकि, समय के साथ-साथ आपको घुटनों को सीधा रखना सीखना होगा।
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भस्त्रिका प्राणायाम
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भस्त्रिका प्राणायाम से अस्थमा पेशेंट्स को काफी लाभ मिलता है। भस्त्रिका प्राणायाम करने से सबसे ज्यादा लाभ हमारे फेफड़ों को मिलता है।
भस्त्रिका प्राणायाम करने का सही तरीका
इसे करने के लिए सबसे पहले फर्श पर मैट बिछा लें और उस पर सुखासन अवस्था में बैठ जाएं। फिर रीढ़ की हड्डी को सीधा कर लें और गर्दन को भी सीधा रखें। अब नाक से पूरी तरह सांस लें, और कुछ सेकंड बाद नाक के दोनों छिद्रों से सांस को छोड़ दें। नाक से सांस तेज-तेज लें और छोड़ें। लेकिन, ध्यान रहे। जब आप यह आसान करें दोनों हाथ घुटने पर ज्ञान मुद्रा में होने चाहिए और आंखें बंद होनी चाहिए।
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शवासन योग
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अस्थमा पेशेंट्स शवासन योग का भी सहारा ले सकते हैं। इस आसन को करने के ओर भी कई फायदे हैं। यह शरीर में अत्यधिक शुगर की मात्रा को भी कंट्रोल करता है।
शवासन योग करने का सही तरीका
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले ऐसी जगह का चयन करना होगा जहां अच्छे से हवा आती हो। इसके साथ ही आप अच्छे से इस आसन को जहां कर सकें। सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं, और अपने दोनों घुटनों के बल फासला रखें। फिर दोनों पैरों के पंजे बाहर और एड़ियां अंदर की ओर रखें। फिर दोनों हाथों को शरीर से लगभग कुछ दूरी पर रखें, और अपने दोनों हाथों की उंगलियां मुड़ी हुई, गर्दन सीधी रखें।
इस अवस्था में आगे बढ़ते हुए अपनी आंखें बंद कर लें और अपने पैर के अंगूठे से लेकर सिर तक का भाग बिल्कुल ढीला छोड़ दें। फिर अपना ध्यान श्वास के ऊपर लगाएं और यह महसूस करें, कि दोनों नाक के छिद्रों से सांस अंदर जा रही है और बाहर आ रही है।
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अनुलोम-विलोम आसान – नाड़ी शोधन प्राणायाम
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इस आसान की मदद से श्र्वसन नली पूरी तरह से खुल जाती है। इस विधि को सांस लेने की प्रकिया में दोहराया जाता है। अनुलोम-विलोम एक ऐसा आसान है जो योग में सबसे अधिक लोकप्रिय माना जाता है। आप इस आसान को घर पर या किसी पार्क में कही पर भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको किसी विशेष उपकरण की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
अनुलोम-विलोम योग करने का सही तरीका
सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाएं। अब अपने एक हाथ की कानी (सबसे छोटी उंगली) से नाक के एक तरह के छिद्र को बंद कर दें। इसके बाद दूसरे छिद्र से सांस को अंदर-बाहर लें। एक छिद्र से सांस अंदर-बाहर करने पर उसी हाथ के अंगूठे से नाक के दूसरे छिद्र को बंद करें और विपरीत छिद्र से सांस अंदर-बहार लें। इस प्रकिया को शुरुआत में कम से कम 2 से 4 मिनट तक अपनाएं। समय के साथ योग करने की विधि के समय को बढ़ाते जाएं।
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दमा (अस्थमा) के मरीजों के लिए डाइट
- विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे दूध और अंडे
- बीटा कैरोटीन युक्त सब्जियां, जैसे कि गाजर और पत्तेदार सब्जियां
- मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे पालक और कद्दू के बीज
अगर आपको ऊपर बताएं गए किसी भी लक्षण को लेकर कोई शंका है तो डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही अगर आपको अस्थमा है तो यहां बताए गए टिप्स को फॉलों करें ताकि आप इसके अटैक से बच सकें।