संरचनात्मक समस्याओं की वजह से
कई संरचनात्मक समस्याओं के कारण भी पीठ दर्द हो सकता है।
- डिस्क ब्रेक होना:रीढ़ में हर वर्टिब्रे के लिए डिस्क कुशन का काम करता है। यदि डिस्क फटती है तो नसों पर अधिक दबाव पड़ेगा, जिसके परिणामस्वरूप पीठ दर्द होगा।
- उभरा हुआ डिस्क: एक ही तरह से टूटे हुए डिस्क के रूप में, एक उभड़ा हुआ डिस्क एक नर्व पर अधिक दबाव डाल सकता है। बल्जिंग डिस्क की वजह से भी रीढ़ की हड्डी में दर्द हो सकता है।
- सायटिका (Sciatica): एक तेज और तीखा दर्द बट्स के माध्यम से और पैर के पीछे से होकर, एक नस के दबने या हर्नियेटेड डिस्क के कारण होता है। इसकी वजह से लोगों को बैक में अधिक दर्द महसूस होता है।
- गठिया: पुराने ऑस्टियोअर्थराइटिस कूल्हों, पीठ के निचले हिस्से और अन्य स्थानों में जोड़ों के साथ समस्याओं का कारण बन सकता है। कुछ मामलों में, रीढ़ की हड्डी के चारों ओर का स्थान संकरा हो जाता है। इसे स्पाइनल स्टेनोसिस के रूप में जाना जाता है।
- रीढ़ की असामान्य वक्रता: अगर रीढ़ असामान्य तरीके से कर्व हो जाता है तो पीठ में दर्द हो सकता है। एक उदाहरण स्कोलियोसिस है, जिसमें रीढ़ एक तरफ झुकने लगता है।
- ऑस्टियोपोरोसिस: रीढ़ की वर्टिब्रे सहित हड्डियां आसानी से टूटने वाली हो जाती है और छिद्रपूर्ण हो जाती हैं, जिससे जल्दी फ्रैक्चर की अधिक संभावना होती है।
- किडनी की समस्या: किडनी में पथरी या किडनी में संक्रमण के कारण कमर दर्द हो सकता है।
और पढ़ेंः जॉइंट ट्विन्स क्या होते हैं? कैसा होता है इनका जीवन?
नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट
स्ट्रेन, स्प्रेन और न्यूरल कंप्रेशन जैसी समस्याएं कुछ दिन बेड रेस्ट करके और कम भागदौड़ करके ठीक की जा सकती हैं। अगर मोच हल्की है तो आमतौर पर एक से तीन दिन में ठीक हो जाती है। अगर दर्द ठीक हो जाए तो यह बेड रेस्ट को कम कर देना चाहिए, क्योंकि लंबे समय तक बिस्तर पर आराम करने से मांसपेशियों को नुकसान हो सकता है। इससे मांसपेशियों में जकड़न भी बढ़ सकती है, जिससे दर्द बढ़ सकता है। अगर दर्द हल्का है, तो शुरुआती इलाज में आमतौर पर नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी (non-steroidal anti-inflammatory) दवाएं ली जा सकती हैं।
सोते समय इन बातों का रखें ख्याल
रीढ़ की हड्डी के दर्द का एक कारण गलत तरह के मैट्रेस का चुनना भी हो सकता है। इस बारे में जब हैलो हैल्थ ने सीनियर कंसल्टेंट फिजियोथेरेपिस्ट, डॉ. तिजी मैथ्यू थॉमस से बात की तो उन्होंने कहा, “किसी के लिए भी जरुरी है कि सोते या बैठते समय पॉश्चर ठीक रखें। इसके अलावा रीढ़ की हड्डी के लिए सही सर्पोट मिलना भी जरूरी है ताकि हम लंबे समय तक आराम से बैठ या सोया जा सके। यह अच्छी नींद के लिए जरुरी है। बाजार में अलग-अलग तरह के मैट्रेस उपलब्ध हैं। ऐसा ही एक मैट्रेस रेंज है ड्यूरोपेडिक जिसमें फाइव जोन फुल प्रोन सपोर्ट सिस्टम इस्तेमाल किया गया है। ये फाइव जोन सपोर्ट सिस्टम रीढ़ की हड्डियों और पूरे शरीर को सपोर्ट करता है, जो नींद में भी आपकी हड्डियों को आराम देता है।
जानें कब लें डॉक्टर की मदद
- जब दर्द ठीक न हो और आप आराम न कर पा रहे हो
- गिरने के बाद या फिर इंज्युरी के बाद
- पैर में सुन्न होने की वजह से
- शरीर में कमजोरी होने के कारण
- बुखार होने की वजह से
- एकाएक वजन में कमी आने से
डॉक्टर ऐसे लगाते हैं बीमारी का पता
पीठ दर्द की समस्या का पता लगाने के लिए सामान्य तौर पर डॉक्टर मरीज से कुछ सवाल पूछ सकते हैं इसके अलावा उनकी फिजिकल इग्जामिनेशन भी की जाती है। कई मामलों में मरीज की इमेजिंक स्कैनिंग कर समस्या का पता लगाया जाता है। इसके तहत मरीज के पीठ की इमेज स्कैनिंग कर पता किया जाता है कि समस्या है या नहीं। यही जरूरत होती है तो उसके अनुरूप ही एक्सपर्ट इलाज करते हैं।
इसके अलावा एक्सपर्ट एक्स-रे, एमआरआई और सीटी स्कैन, बोन स्कैन, इलेक्ट्रोमायोग्राफी और ईएमजी आदि टेस्ट कर इलाज की प्रक्रिया शुरू करते हैं।
एक्सपर्ट की बातों का रखें ख्याल
यदि आपको भी इसी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो जरूरी है कि समय रहते आप एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। वहीं दिनचर्या में सुधार के साथ एक्सरसाइज, योग जैसे विकल्पों की तलाश करें। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपकी स्थिति और ज्यादा बिगड़ सकती है। तो अगर आप रीढ़ की हड्डी के दर्द से परेशान हैं तो अपने सोने का तरीका बदले और मैट्रेस लेते समय ऊपर बताई गई बातों का ध्यान रखें।
हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।