के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
सीएसएफ टेस्ट एक ऐसा परीक्षण है जिसका प्रयोग यह लगाने के लिए किया जाता है की आपके मस्तिष्क और रीढ़ को क्या प्रभावित कर रही है। सीएसएफ (CSF) को सेरेब्रोस्पाइनल द्रव (Cerebrospinal fluid) कहते हैं। सीएसएफ टेस्ट सैंपल के आधार पर एक लैब में पूरा किया जाता है।
बता दें की CSF एक ऐसा फ्लूइड है जो आपके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central nervous system) को न्यूट्रिशन देता है। सीएनएस आपके मस्तिष्क(Brain) और रीढ़ की हड्डी(spinal cord) से जुड़े हुए होते हैं।
सीएसएफ (CSF) कोरॉइड प्लेक्सस के माध्यम से आपके मस्तिष्क(Brain) में बनता है और फिर आपके बल्ड फ्लो में दोबारा मिल जाता है। इस दौरान फ्लूइड को हर कुछ घंटों में पूरी तरह से बदल दिया जाता है। यह आपके मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को न्यूट्रिशन देने के अलावा, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के कॉलम के चारों ओर बहती है, और उसको सुरक्षा प्रदान करती है वहां जमा कचरे को बाहर ले जाने में मदद करती है। आपका लम्बर पंक्चर किस प्रकार काम कर रहा है इसके आधार पर CSF सैंपल जमा किया जाता है, जिसे स्पाइनल टैप के रूप में भी जाना जाता है। लिए गए सैंपल से इन सभी का जांच किया जा सकता है।
CSF आपके मस्तिष्क और रीढ़ के सीधे संपर्क में आते हैं। इसलिए सीएनएस लक्षणों को समझने के लिए बल्ड टेस्ट की तुलना में सीएसएफएनालिसिस अधिक प्रभावी माला जाता है। हालांकि, रक्त सैंपल की तुलना में रीढ़ की हड्डी के फ्लूइड का सैंपल प्राप्त करना अधिक कठिन है। सुई द्वारा रीढ़ की हड्डी से फ्लूइड निकालने के लिए उस व्यक्ति को आपके शरीर के एनाटोमी के बारे में और मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी की स्थिति को समझऩे का भरपूर ज्ञान होना बेहद आवश्यक है,क्योंकि इस प्रक्रिया में कुछ जटिलताएं खतरा बढ़ा सकती है।
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इस प्रक्रिया को करने में आमतौर पर 30 मिनट से कम समय लगता है। इस प्रक्रिया को एक खास डॉक्टर द्वारा किया जाता है जिनको सीएसएफ से जुड़ी ट्रेनिंग दी गई होती है।
-CSF आमतौर पर आपके निचले भाग रीढ़ से लिया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान आपका पूरी तरह से बने रहना बहुत जरुरी है क्योंकि इस प्रक्रिया में यदि आप अपनी जगह से इधर-उधर होते हैं तो फ्लूइड निकालने वाली सुई गलत जगह पर पड़ सकता है जिससे आपकी रीढ़ की हड्डी को नुकसान हो सकता है।
-आप रीढ़ की हड्डी के साथ नीचे की तरफ झुकेंगे और आपके घुटने आपके चेस्ट तक खिंचे होंगे। अपनी रीढ़ को मोड़ना पीठ के निचले हिस्से में आपकी हड्डियों के बीच एक जगह बनाता है।
-एक बार जब आप स्थिति में हैं, अपनी पीठ को एक सॉल्यूशन से साफ किया जाता है। आयोडीन अक्सर सफाई के लिए प्रयोग किया जाता है। वह सल्यूशन पूरी प्रक्रिया के दौरान बना रहता है। इससे आपको संक्रमण का खतरा कम होता है।
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-एक क्रीम या किसी प्रकार का स्प्रे आपकी त्वचा पर अप्लाई किया जाता है। इसके बाद डॉक्टर आपको एनेस्थीसिया दे देता है। जब वह जगह पूरी तरह से सुन्न हो जाती है, तो आपका डॉक्टर दो कशेरुकाओं (Vertebrae) के बीच एक पतली सुई डालता है। सुई का मार्ग दर्शन करने के लिए एक विशेष प्रकार के एक्स-रे का प्रयोग किया जाता है जिसे फ्लोरोस्कोपी कहा जाता है।
-स्कल के अंदर दबाव एक मेनोमीटर के उपयोग से मापा जाता है। उच्च और निम्न दोनों CSF दबाव कुछ स्थितियों के संकेत हो सकते हैं।
-फ्लूइड सैंपल फिर सुई के माध्यम से लिए जाते हैं। जब फ्लूइड निकालने की क्रिया पूरी हो जाती है, तो सुई निकाल दी जाती है। उस जगह को फिर से साफ किया जाता है।वहां पट्टी लगा दिया जाता है।
आपके मस्तिष्कमेरु (cerebrospinal) फ्लूइड में क्या है, यह आपके डॉक्टर को कई अलग-अलग बीमारियों की पहचान करने में मदद कर सकता है। यदि आपके पास इम्यूनोग्लोबुलिन नाम के पदार्थ का उच्च स्तर है, जिसका उपयोग आपका शरीर बीमारी से लड़ने के लिए करता है। यदि आपके डॉक्टर को लगता है कि आपको अल्जाइमर रोग या किसी अन्य प्रकार का पागलपन है, तो ऐसे रोग से जुड़े कुछ प्रकार के प्रोटीन फ्लूइड में हो सकते हैं। डिस्लेरेटेड फ्लूइड मस्तिष्क रक्तस्राव या स्ट्रोक का संकेत हो सकता है। बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के संकेत आपके डॉक्टर को बता सकते हैं कि आपको मेनिन्जाइटिस या एन्सेफलाइटिस जैसी बीमारी है कि नहीं।
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-जो लोग ब्लड थिनर लेते हैं उनमें रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है। काठ का पंचर(Lumbar puncture) उनके लिए बेहद खतरनाक है जिन लोगों को थक्के की समस्या होती है कम प्लेटलेट काउंट, जिसे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहा जाता है।
-स्पाइनल टैप होने का बहुत कम जोखिम होता है। सुई डालने पर आपको थोड़ा चुटकी या दबाव महसूस हो सकता है। परीक्षण के बाद, आपको सिरदर्द हो सकता है, 10 में से एक व्यक्ति को काठ का सिरदर्द मिलेगा। यह कई घंटों या एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकता है। यदि आपको सिरदर्द है जो कई घंटों से अधिक समय तक रहता है।
-यदि आपको मस्तिष्क द्रव्यमान(Brain mass), ट्यूमर, या फोड़ा है तो ये गंभीर जोखिम हैं। ये स्थितियां आपके मस्तिष्क के स्टेम पर दबाव डालती हैं। काठ का पंचर (Lumbar puncture) मस्तिष्क हर्नियेशन होने का कारण बन सकता है। जिससे ब्रेन डैमेज या मृत्यु भी हो सकती है।
-ब्रेन हर्नियेशन मस्तिष्क आमतौर पर उच्च इंट्राक्रैनील(High intracranial) दबाव के साथ होता है यह आपके मस्तिष्क को बल्ड की आपूर्ति को काट देती है जिससे डैमेज होने की संभावना अधिक होती है। यदि ब्रेन फ्लूइड सस्पेक्टेड है, तो परीक्षण पूरा नहीं हो पाएगा।
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सीएसएफ टेस्ट से किन-किन बीमारियों को पता लगाया जा सकता है। जिससे उनका निदान जा किया सके आइए देखते हैं इसमें कौन-कौन सी बीमारी शामिल है।
संक्रामक रोग(Infectious diseases)
वायरस, बैक्टीरिया, फंगस और परजीवी सभी सीएनएस को संक्रमित कर सकते हैं। सीएसएफ टेस्ट द्वारा कुछ संक्रमण पाए जा सकते हैं। सामान्य सीएनएस इंफेक्शन में शामिल हैं।
हिमोरेहाैगिँग (Hemorrhaging)
सीएसएफ टेस्ट द्वारा इंट्राक्रैनियल रक्तस्राव का पता लगाया जा सकता है। हालांकि, रक्तस्राव के सटीक कारण को अलग करने के लिए अतिरिक्त स्कैन या परीक्षण की आवश्यकता हो सकती है। सामान्य कारणों में उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक शामिल हैं।
प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकार(Immune response disorder)
यह CSF टेस्ट प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकारों (Immune response disorder)का भी पता लगा सकता है। प्रतिरक्षा प्रणाली सूजन से नुकसान पहुंचा सकती है। इसमें इस प्रकार के रोग शामिल हैं।
गिल्लन बर्रे सिंड्रोम(Guillain-Barré syndrome)
सारकॉइडोसिस(sarcoidosis)
न्यूरोसिफिलिस (neurosyphilis)
मल्टीपल स्क्लेरोसिस(multiple sclerosis)
ट्यूमर(Tumor)
सीएसएफ टेस्ट मस्तिष्क या रीढ़ में प्राइमरी ट्यूमर का पता लगा सकता है। यह मेटास्टेटिक कैंसर का भी पता लगा सकता है जो शरीर के अन्य भागों से आपके सीएनएस में फैलताहै।
-रीए (Reye’s ) सिंड्रोम, एक दुर्लभ, घातक बीमारी है जो बच्चों को प्रभावित करती है ये वायरल संक्रमण और एस्पिरिन अंतर्ग्रहण(Ingestion) से जुड़ी होती है।
-मैनिंजाइटिस, जो फंगस, वायरस या बैक्टीरिया से होता हैं।
-सारकॉइडोसिस, कई अंगों को प्रभावित करता है।
-न्यूरोसाइफिलिस, जो तब होता है जब सिफलिस के साथ एक संक्रमण आपके मस्तिष्क को शामिल होता है।
-मल्टीपल स्केलेरोसिस, एक ऑटोइम्यून विकार है जो आपके मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है।
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