इम्यूनोथेरेपी- इम्यूनोथेरेपी को हाइपोसेंसिटाइजेशन भी कहा जाता है। इस थेरेपी की मदद से इम्यून सिस्टम को मजबूत किया जाता है। इसका मकसद एलर्जेन के प्रति लंबे समय तक सहनशीलता बढ़ाना होता है। लेकिन, इम्यूनोथेरेपी सिर्फ गंभीर एलर्जी का इलाज करने के लिए ही उपयोग की जाती है।
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नाक में एलर्जी की जांच
इसकी जांच के लिए आपका डॉक्टर आपके एलर्जी के कारणों के बारे में पूछ सकता है या उसके ज्यादा होने के एक निश्चित समय के बारे में पूछ सकता है।
- इसके अलावा, डॉक्टर आपकी नाक की जांच कर सकता है, कि कहीं उसमें नेजल पोलिप तो विकसित नहीं हो गए हैं।
- एलर्जी टेस्ट के लिए दो प्रकार के टेस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है। पहला- स्किन प्रिक टेस्ट और दूसरा ब्लड टेस्ट।
- स्किन प्रिक टेस्ट में आपके विभिन्न तरह के एलर्जेन को सुई की मदद से आपके शरीर में डाला जाता है और उसके प्रति आपके इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया देखी जाती है।
- ब्लड टेस्ट में आपके रक्त में इम्यूनोग्लोब्युलिन ई एंटीबॉडी की जांच की जाती है, जो कि एलर्जेन के संपर्क में आने से उत्पादित होने लगता है।
- नेजल एंडोस्कोपी
- सीटी स्कैन
क्या एलर्जी शॉट्स असरदार होते हैं?
इम्यूनोथेरेपी को ही एलर्जी शॉट्स कहा जाता है। अगर, आपको हर साल तीन महीने से ज्यादा नोज में एलर्जी के लक्षण परेशान करते हैं, तो यह तरीका काफी असरदार साबित हो सकता है। इसकी मदद से आपकी नाक में एलर्जी के लक्षणों को कम करने के लिए दवाइयों की निर्भरता को कम किया जा सकता है।
नोज में एलर्जी के लिए घरेलू उपाय
इसके लिए घरेलू उपाय आपकी एलर्जी के कारण या प्रकार पर निर्भर करता है। जैसे कि अगर आपको मौसमी नोज में एलर्जी होती है, तो आपको उस मौसम में ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ सकती है। यदि आपको घर के अंदर मौजूद कारणों की वजह से नाक में एलर्जी होती है, तो आपको उससे संबंधित बचाव करने चाहिए। आइए, नोज में एलर्जी के लिए घरेलू उपायों के बारे में जानते हैं।
बटरबर- बटरबर एक पौधा होता है, जो कि एक स्टडी में आंखों में खुजली के लिए काफी असरदार होता है। इसे, ओरल एंटीहिस्टामाइन की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
पपीता या पाइनएप्पल- पपीता या पाइनएप्पल में मौजूद ब्रोमलेन एंजाइम होता है। यह एंजाइम नाक में हुई सूजन को कम करके लक्षणों में मदद करता है।
शहद- शहद खाने से एलर्जिक रिएक्शन कम होने लगता है।
विटामिन सी- नेचुरल मेडिकेशन के प्रैक्टिस करने वाले लोगों का सुझाव है कि विटामिन-सी का प्रतिदिन सेवन 2000 मिलीग्राम करने से हिस्टामाइन लेवल कम होता है।
प्रोबायॉटिक्स- 2015 में हुई 23 स्टडी से सामने आया है कि प्रोबायॉटिक्स का उपयोग करने से लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है, लेकिन इनका उपयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करें।