- कान में दर्द होना
- बच्चे के कान में जलन होना
- बच्चे को सुनने में परेशानी होना
- बच्चे को नींद न आना
- बच्चे के कान में ऐंठन होना
- बच्चे को भूख कम लगना
- उल्टी या दस्त जैसी समस्याएं होना
- इसके अलावा, कुछ बच्चे बिना किसी वजह से चिड़चिड़े और लगातार रोते भी रह सकते हैं।
साथ ही, अगर इनमें से किसी भी लक्षण के साथ आपके बच्चे को बुखार की समस्या होती है या वो बहुत ही सुस्त हो और उसकी उम्र छह माह से कम हो, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। ऐसी स्थिति में अगर कान का संक्रमण सामान्य होता है, तो आपके डॉक्टर बच्चे के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन का निर्देश दे सकते हैं। जिसमें ओरल दवाओं के साथ-साथ कान में डालने वाले ड्रॉप भी शामिल हो सकते हैं।
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बच्चों में कान के इंफेक्शन के जोखिम कम करने के उपाय क्या हैं?
बच्चों में कान के इंफेक्शन को रोकने और खत्म करने के लिए उपचार के कई तरीके मौजूद हैं। जिनमें घरेलू तरीके से लेकर सर्जरी की प्रक्रिया भी शामिल हैं। हालांकि, सर्जरी या ऑपरेशन जैसे मामले बहुत ही दुर्लभ होते हैं। इसके अलावा आप निम्न बातों का ध्यान रखकर भी बच्चों के कान में संक्रमण होने के जोखिम को कम कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
एक साल तक स्तनपान कराएं
छोटे बच्चों के कान में खुजली की समस्या दूर करने के लिए मां का दूध ही काफी कारगार माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर बच्चों में कान के इंफेक्शन की समस्या होती है, तो उन्हें ब्रेस्टफीडिंग कराते रहना चाहिए। अगर आप अपने बच्चे को कान के संक्रमण होने के जोखिम से बचाना चाहती हैं, तो जन्म के लगभग एक साल तक उसे स्तनपान कराएं। ब्रेस्टमिल्क में एंटीबॉडी होते हैं जो कान के संक्रमण को होने से रोकते हैं।
बिठाकर दूध पिलाएं
इसके अलावा अगर आप बच्चे को दूध के बोतल से फीडिंग कराती हैं, तो बच्चे को बिठाकर दूध पिलाएं। लेट कर दूध पीने से बच्चे के मध्य कान में दूध जा सकता है।
सर्दी-जुकाम से बचाव करें
जैसा की छोटे शिशुओं में उनके इम्यून सिस्टम का विकास होता रहता है, ऐसे में सर्दी-जुकाम से उनका बचाव करें। बच्चे के कमरे का तापमान हमेशा सामान्य रखें। सर्दियों के मौसम में उन्हें नहलाने की जगह स्पंज बॉथ दें।
साफ-सफाई का रखें ख्याल
बच्चे बार-बार अपना हाथ मुंह में डालते रहते हैं, ऐसे में उनका हाथ हर घंटे साफ करते रहें। और जब भी आप या अन्य सदस्य बच्चे को खिलाएं, तो निश्चित करें कि उनका भी हाथ साफ होना चाहिए।
सेकेंड हैंड स्मोकिंग या स्मोकिंग न करें
कई अध्ययनों में इसका दावा किया गया है कि जो बच्चे सेकेंड हैंड स्मोकिंग के संपर्क में आते हैं, उनमें अन्य बच्चों की तुलना में कान के संक्रमण होने की संभावना दो से तीन गुना अधिक बढ़ सकती है। इसलिए बच्चे को स्मोकिंग वाले स्थानों से दूर रखें। अगर आपको भी स्मोकिंग की आदत है, तो उसे क्विट करने का प्रयास करें।
टीकाकरण करवाएं
अपने बाल रोग विशेषज्ञ से न्यूमोकोकल, फ्लू और मेनिनजाइटिस जैसे टीके के बारे में बात करें।
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छोटे बच्चों के कान में संक्रमण के उपचार के घरेलू तरीके
गर्म सिकाई करें
संक्रमण के कारण बच्चे के कान में होने वाले दर्द को कम करने के लिए कान की गर्म सिकाई करें। लगभग 10 से 15 मिनट तक ऐसा करें। दिन में दो से तीन बार इसकी प्रक्रिया दोहरा सकती हैं।
डॉक्टर के निर्देश पर दवाओं का सेवन
बुखार को कम करने के लिए आप अपने डॉक्टर के निर्देश पर बच्चे को उचित दवा की खुराक दे सकती हैं।
अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।