इम्यून सिस्टम कमजोर होना
शरीर को उचित मात्रा में आहार मिलने और पेट के कीड़ों के कारण लगातार संक्रमित होने के कारण बच्चे का इम्यून सिस्टम भी कमजोर होने लगता है। जिससे बच्चे को अन्य बीमारियां होने का खतरा भी अधिक बढ़ जाता है। इसके कारण बच्चा सीजनल बीमारियों की चपेट में अधिक आ सकता है।
मानिसक समास्याएं
लगातार बीमार रहने और कमजोर होने के कारण बच्चा काफी सुस्त भी हो सकता है। जिसके कारण वो अपनी उम्र के बच्चों के दिमाग के मुकाबले काफी पीछे हो सकता है। साथ ही, किसी भी तरह का खेल खेलते समय बच्चे का बहुत जल्दी थक जाना, बहुत ज्यादा नींद आना, हमेशा चिड़चिड़ा रहने के कारण दूसरों बच्चों से झगड़ा करना भी शामिल हो सकता है।
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बच्चों में पिनवॉर्म का निदान कैसे किया जा सकता है? (Diagnosis Pinworm infection in children)
बच्चों में पिनवॉर्म का निदान करने के लिए बच्चे के मल का परीक्षण कर सकते हैं। अगर ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण आपको बच्चे में दिखाई देते हैं, तो बच्चे के मल का निरीक्षण करें। अगर बच्चे के मल में सफेद रंग के छोटे-छोटे कीड़े दिखाई दें, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा डॉक्टर आपको टैप टेस्ट का भी निर्देश दे सकते हैं।
टैप टेस्ट
टैप टेस्ट की प्रक्रिया बहुत ही आसान होती है। इसके लिए डॉक्टर आपको एक टैप देते हैं। सुबह सो कर उठने के बाद इस टैप को मलाशय के आसपास के हिस्सों पर लगाना होता है और फिर इसे हटा लेना होता है। इसके बाद भी टॉयलेट के लिए जाना होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि, मादा कीड़े बच्चे के सोते समय ही आंत से बाहर निकलकर मलाशय के आस-पास की त्वचा पर अंडे देती है। ऐसे में सो कर उठने पर वो अंडे टैप टेस्ट के दौरान टैप में चिपक जाएंगे। हालांकि, इस टेस्ट को लगातार तीन सुबह तक करना होता है। टेस्ट करने के बाद इन टैप को वापस डॉक्टर को टेस्ट की जांच करने के लिए दिया जाता है। जिसे डॉक्टर माइक्रोस्कोप के जरिए पिनवॉर्म के अंडे की जांच करते हैं और संक्रमण होने के कारणों की पुष्टि करते हैं।
बच्चों में पिनवर्म के लिए घरेलू उपचार (Home remedies for Pinworm infection)
आमतौर पर बच्चों में पिनवॉर्म की समस्या से घरेलू उपचार से ही राहत पाई जा सकती हैं। जिसके लिए आप निम्न घेरलू उपचार अपना सकते हैंः
कच्चा लहसुन
कच्चे लहसुन को काटकर अपने बच्चे को खानें के लिए दें। वो इसे सादा या रोटी के साथ भी खा सकता है। इसके अलावा लहसुन का पेस्ट बनाएं फिर उसे बेस ऑयल या पेट्रोलियम जेली के साथ मिला कर बच्चे के मलाशय और इसके आसपास की त्वचा में लगा सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि, इस तरह के घरेलू उपायों को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
सेब का सिरका