WHO की गाइडलाइन्स में कहा गया है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों का स्क्रीन टाइम शून्य होना चाहिए और दो से चार साल तक के बच्चों को स्क्रीन पर एक घंटे से कम समय बिताना चाहिए। हालांकि, विभिन्न कारणों और मोबाइल की जरूरत की वजह से हमेशा इसका पालन नहीं किया जा सकता, लेकिन पेरेंट होने के नाते आप बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के लिए सीमा निर्धारित कर सकते हैं और बच्चों में चिड़चिड़ापन से बचा सकते हैं।
बच्चों के लिए तय करें स्क्रीन फ्री टाइम
बच्चे से इस बारे में चर्चा करें कि वह कब टीवी ओर मोबाइल देखेगा और कब इससे दूर रहेगा। घर में कुछ जगहें ऐसी निर्धिरत करें जहां मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, जैसे खाने के समय और किचन में।
टीवी देखेने का समय निर्धारित करें
बच्चे के लिए टीवी ऑन करने से पहले टाइमर सेट करें। वह कितनी देर टीवी या मोबाइल देखेगा यह आप तय करें। समय तय करें और उस पर अडिग रहें। टीवी और मोबाइल पर चाइल्ड मोड ऑन कर दें और उसे अपनी मर्जी की चीजें देखने दें, लेकिन समय आप तय करें।
कर्फ्यू टाइम
सोने के एक घंटे पहले और सुबह उठने के बाद एक घंटे तक बच्चे को टीवी और मोबाइल नहीं देखने देना है इस बात का भी ध्यान रखें। यह तरीका बच्चों में चिड़चिड़ापन होने से बचा सकता है।
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दूसरी एक्टिविटीज पर ध्यान दें
बच्चों में चिड़चिड़ापन होने पर इससे बचाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें। बच्चा बोर हो रहा है इसलिए उसे टीवी या मोबाइल न दें। बच्चा बोर हो रहा है या उसके पास करने को कुछ नहीं है, तो उसे किसी हॉबी में शामिल करें जो भी उसे पसंद हो, जैसे- ड्रॉइंग, कलरिंग, खेलना, स्विमिंग आदि। अपने बच्चे को हमउम्र बच्चों के साथ खेलने और दोस्त बनाने के लिए प्रेरित करें। इससे उनकी सोशल स्किल्स (Social skills) विकसित होगी। ऐसा करने से बच्चों में चिड़चिड़ापन की समस्या नहीं होगी और वह खुश रहने के साथ-साथ उसका शारीरिक विकास भी बेहतर होगा।
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टीवी से ध्यान हटाने के लिए
यदि आपने बच्चे के साथ बहस की है या आपके पास समय की कमी है, तो उसे शांत करने के लिए टीवी या मोबाइल न दें। बच्चों को अपनी भावनाओं को समझना और उसे संभालना सीखने की जरूरत है। यह सिर्फ पेरेंट्स ही सीखा सकते हैं। बच्चों को संभालने के लिए उनसे बातचीत बहुत जरूरी है। बच्चे से बात करें और यह जानने की कोशिश करें कि वह कैसे शांत होंगे और किस चीज से उन्हें अच्छा महसूस होता है। टीवी और मोबाइल को बच्चे की भावनाओं को छुपाने और ढंकने के लिए इस्तेमाल न करें। इस बच्चों में चिड़चिड़ापन (Irritability in children) से भी बचायेगा।
एक बार सीमाएं निर्धारित कर देने के बाद बच्चों को पता होता है कि उनका रूटीन तय हो गया है। वह डेली रूटीन के लिए तैयार रहते हैं और ज्यादा टीवी या मोबाइल देखने की डिमांड भी नहीं करते। अध्ययन बताते हैं कि स्क्रीन टाइम कम करके बच्चों को बाहर खेलने के लिए बढ़ावा देने से उनका मानसिक स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। अगर आपभी अपने बच्चों में चिड़चिड़ापन (Irritability in children) जैसे स्वभाव को समझते हैं तो हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लेना चाहिए। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।