नियम का उल्लंघन होने पर क्या करें
इस बारे में फोर्टिस अस्पताल मुलुंड के न्यूरोलॉजी विभाग के सलाहकार डॉ धनुश्री चोंकर का कहना है कि बच्चों में बढ़ रहा तनाव उनके हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है। इसका असर उनके व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य दाेनों पर पड़ रहा है। ध्यान रहे कि आपने नियम किशोर के व्यवहार को बेहतर बनाने के लिए बनाएं हैं और उनका उल्लंघन होने पर यदि आप भी उनसे निरादर से बात करेंगे तो वह भी नियम का उल्लंघन ही होगा। युवावस्था में बच्चे के नियम तोड़ने पर उसे डांटने की बजाए उससे इसका कारण जानने की कोशिश करें और धैर्य से उसे समझाएं कि उसने जो किया वह अनुचित था।बढ़ रहे सोशल प्रेशर से बच्चों में स्ट्रेस और भी ज्यादा बढ़ने लगा है। इन सभी कारणों से किशोरों में हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। काउंसलर से मिलें। बच्चें से बात करना और उसकी बात समझना ही,इस स्थिति का सबसे अच्छा उपाय है।
इसके अलावा यदि किशोरवस्था में बच्चा कोई बड़ी गलती करता है तो उसे दंड दें। जैसे कि यदि बच्चा तय किए गए समय पर घर नहीं आता है तो उसके अगले दो दिन तक बाहर जाने पर रोक लगा दें। इससे भविष्य में किशोर के व्यवहार में परिवर्तन जरूर देखने को मिलेगा।
किशोर को उसके व्यवहार का सामना करवाएं
यदि किशोरावस्था में बदलाव के परिणामों को बच्चे के सामने दर्शाया जाए, तो बच्चे को समझाने का यह एक बेहतर तरीका होता है। इससे किशोर को यह समझने में आसानी होती है कि वह क्या गलत कर रहा है और वह उसे दोहराने से कैसे रोक सकता है। उदाहरण के लिए अपने बच्चे को कहें कि तुम पिछली बार घर देर से आए थे इसलिए अगली बार मैं तुम्हें बताए गए समय पर खुद लेने आऊंगा, या बिना बताये देर से घर आने पर क्या-क्या मुसीबतें हो सकती हैं। ऐसा करने से किशोर अगली बार गलती दोहराने की कोशिश नहीं करेगा। साथ ही बच्चे से यह भी पूछें कि यदि यह दोहराया गया तो उसके परिणामस्वरूप क्या किया जाना चाहिए।
बच्चे पर कुछ भी थोपने से बेहतर है उससे बात करके चीजों को सुलझाने की कोशिश करें।
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सकरात्मक प्रेरणास्रोत बनने की कोशिश करें
शिशु से लेकर किशोरावस्था तक बच्चे वही करने की कोशिश करते हैं जो आप करते हैं। किशोरावस्था में व्यवहार परिवर्तन के लिए आपको एक बेहतर रोल-मॉडल बनना होगा। आपका व्यक्तित्व आपके शिशु के लिए बेहद शक्तिशाली और प्रभावशाली होता है। किशोरावस्था में व्यवहारिक बदलाव के लिए आपको स्वयं परिवार के नियमों का पालन करना होगा जिससे बच्चा आपको देख कर खुद भी नियमों को माने और उन्हें गंभीरता से लें।
टकराव के उद्देश्य को समझें
किशोरावस्ता के व्यवहारिक बदलाव को लेकर अपने शिशु से टकराव करने से पहले यह सोचें कि यह विषय बात करने योग्य है या नहीं। बिना वजह किशोर की गलतियां निकालने या उसे समझाने पर उनका व्यवहार चिड़चिड़ा हो जाता है, जिसके कारण कोई बात न होते हुए भी आपके और बच्चे के बीच टकराव पैदा हो सकते हैं। बच्चे की छोटी गलतियों को नजरअंदाज करने की कोशिश करें।
किशोरावस्था के बदलाव को गंभीरता से लें
किशोरवावस्था में व्यवहारिक बदलाव के कारण आपके शिशु का एक अलग व्यक्तित्व बनता है जिसकी आपको भी कदर करनी होगी। बच्चे को यह एहसास दिलाना जरूरी है कि आप उसके व्यक्तित्व को स्वीकार, आदर और महत्व देते हैं। बच्चे में हर समय कमियां निकालने से वह मानसिक रूप से आपसे दूर हो सकता है। इस स्थिति को विकसित न होने देने के लिए आपको किशोरावस्था में बदलाव आने पर बच्चे की बातों और विचारों को गंभीरता से लेना होगा, भले ही आप उनसे समहत न हों।
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बच्चे को जिम्मेदार बनाएं
किशोरावस्था में बदलाव आने पर बच्चे को जिम्मेदारियां उठाना सिखाएं। हालांकि, यह युवावस्था का सबसे मुश्किल कार्य हो सकता है। लेकिन एक पेरेंट होने के नाते आपका यह फर्ज बनता है कि आप उसे एक जिम्मेदार व्यक्ति बनने में मदद करें। बच्चे को अपना हेयर स्टाइल और कपड़े खुद चुनने दें। इससे उनमें आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता बढ़ती है।
किशोरावस्था में व्यवहार की परेशानियों से बचें
बच्चे या अपने पार्टनर से किसी बात पर लड़ाई या असहमति होने पर उसे सकरात्मक तरीकों से सुलझाने की कोशिश करें। ऐसा करने से आप धैर्य रख सकेंगे और साथ ही आपके बच्चे पर इसका अच्छा असर पड़ेगा।
व्यवहारिक बदलाव में बच्चे की प्रशंसा करें
किशोरावस्था में बदलाव के कारण बच्चे का आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है, ऐसे में उसकी प्रशंसा करना उसे काफी उत्साहित कर सकता है। किशोरवस्था में भले ही बच्चे आत्मनिर्भर नजर आते हों लेकिन उन्हें फिर भी अपने माता-पिता की मंजूरी की आवश्यकता और चाहत होती है। बच्चे यदि कोई भी अच्छा काम करते हैं, तो उसकी प्रशंसा करें और हो सके तो उसे इनाम भी दें। इससे उसका उत्साह बढ़ेगा। इस बात का ध्यान रखें कि किशोरावस्था में बच्चे आपसे प्रशंसा अकेले में प्राप्त करना पसंद करेंगे न कि अपने दोस्तों के सामने।
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किशोरावस्था के बदलाव में बच्चों से कैसे बात करनी चाहिए?
किशोरावस्था में बदलाव के कारण हो सकता है कि आप में और आपके बच्चे में कुछ टकराव भरी बातें होने लगें। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप उसे डांटे या उसे सजा दें। सबसे पहले उसे अच्छे से समझें कि वह कहना क्या चाहता है और उसकी बातों को भावनात्मक रूप से समझने की कोशिश करें।
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किशोरावस्था में बच्चे के खराब व्यवहार को सुधारने के लिए आपको निम्न टिप्स फॉलो कर सकते हैं: