टीनएजर्स की पेरेंटिंग (Parenting of teenagers) : सीमाओं का सम्मान करें
यह अक्सर माता-पिता के लिए एक चुनौती है कि वे अपने किशोरों को अधिक प्राइवेसी और स्वतंत्रता प्रदान करें, लेकिन अच्छा निर्णय लेने के लिए, उन्हें गलतियां करने और उनसे सीखने के लिए बहुत सारे अवसरों की आवश्यकता होती है। उनकी सीख को प्रोत्साहित करें। अगर बच्चा गलती करें तो उसे चांस जरूर दें और कहें कि कोशिश करते रहे, तुमसे ये काम जरूर हो जाएगा।
टीनएजर्स की पेरेंटिंग: अपनी उम्मीदों को बच्चों से शेयर करें
जब बच्चे आपके वैल्यू जानते हैं, परिवार के नियमों और उन्हें तोड़ने के परिणामों के बारे में जानते हैं, तो वे हेल्दी रिलेशन बनाने को उत्सुक होते हैं। इस लिए अपने बच्चों से यह शेयर करें कि बतौर पेरेंट्स आपकी क्या और कैसी उम्मीदें हैं उनसे? इससे बच्चे आपको और अधिक समझेंगे।
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टीनएजर्स की पेरेंटिंग (Parenting of teenagers) : उनके कार्यों की सराहना करें
जैसे बच्चे बड़े होते हैं, देखा गया है कि पेरेंट्स की तरफ से बच्चों को जो प्रशंसा मिलना चाहिए वो कम होती जाती है। बच्चा जब छोटा होता है तब उसकी छोटी सी छोटी बात पर लोग उनकी सराहना कर देते हैं। बच्चों के अच्छे कामों की सराहना करना चाहिए, फिर चाहे वे किसी भी उम्र के हो चुके हों।
टीनएजर्स की पेरेंटिंग: परिवार व उनके लिए नियमित रूप से समय निर्धारित करें
किशोर बच्चों से अच्छे संबंध बनाने हों, तो सबसे पहले यह जरूरी है कि, आप उनके साथ नियमित बात-चीत कर सकें। परिवार के साथ समय बिताएं, जिससे बच्चों के बारे में अधिक-से-अधिक जान सकें। घर के सभी सदस्यों से बच्चों की वार्तालाप अति आवश्यक है। वन वे कम्यूनिकेशन रिश्तों में दूरी बढ़ा सकता है। ऐसा माहौल बनाएं कि बच्चा पेरेंट्स से और पेरेंट्स बच्चों से रोजाना बात करें।
टीनएजर्स की पेरेंटिंग (Parenting of teenagers) : एडवेंचर देते रहें
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वैसे ही उन्हें रोमांच और उत्साह की चाहत होती है आपने देखा होगा कि, किशोर बच्चों के पास मोटर गाडी आते ही फुल स्पीड से दौड़ने लगते हैं। किशोर अवस्था में बच्चों की ध्यान को ऐसी चीजें ज्यादा खींचती हैं। इसलिए घर में हमेशा बच्चों के साथ कहीं कोई एडवेंचर ट्रिप प्लान कर सकते हैं, बच्चे इसे एन्जॉय करेंगे और आपके साथ अच्छे संबंध बन सकेंगे। फॅमिली एक्टिविटी में रूटीन के अंदर क्या ऐड करना है, इन पर विचार करना शुरू करें। आप बच्चों के साथ एडवेंचर ट्रिप भी प्लान कर सकते हैं।
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टीनएजर्स की पेरेंटिंग (Parenting of teenagers): बोले कम सुनें ज्यादा
जब तक बच्चा बोल नहीं पाता था, तब आपने उसे बोलना सिखाया, अब चूंकि बच्चा चीजों को समझता है और अपनी बातें भी बताता है और आपको अपनी आदतों में परिवर्तन करना होगा। आपको बोलना कम और सुनना ज्यादा चाहिए। पहले बच्चे की बात को अच्छे से सुने, ऐसा न हो कि आप ज्यादा बोल जाए और जब बच्चे का नंबर आए तो आप उसे डांट कर चुप करा दें। जब आप बच्चे को मौका देंगी, तभी वो अपनी बात बिना संकोच या फिर डर के कह पाएगा।