टीनएजर्स के सवालों का जवाब देने के लिए हमेशा तैयार रहें
बतौर पेरेंट्स बेशक बच्चे से आपके पास कहने के लिए बहुत कुछ होगा, लेकिन, कभी—कभी आपको बच्चे की बातों को भी सुनना चाहिए। टीनएजर्स के सवालों से आप उनके मानसिक विकास के मूल जड़ तक पहुंच पाएंगे। उनकी बातों को काउंटर करने से बेहतर है कि आप उनकी बातों को सुनें। इस बारे में दिल्ली की पेरेंटिंग काउंसलर रीता वासवानी हेलो स्वास्थय को बताती हैं,”बच्चों को जवाब देने से अधिक महत्वपूर्ण यह है कि आप उनसे बात करें और उनके सवालों को जवाब देते हुए उन्हेंं सही और गलत का फर्क बताएं।”
जो बच्चों को बताते हैं उसे खुद भी अभ्यास करें
अपने बच्चे में जिस व्यवहार को देखने की आप आशा करते हैं, उसे अपने व्यवहार में भी शामिल करें। किशोर के अजीब सवाल सुन कर आप शॉक होने के बजाए, उससे उस विषय पर बात करें और समझाएं।माता-पिता अपने किशोर के लिए रोल मॉडल के रूप में होते हैं, न्यूयॉर्क के मनोचिकित्सक लिज मॉरिसन कहते हैं कि “ऐसा करना टीनएजर्स के लिए पॉजिटिव रहता है, जहां माता-पिता बच्चे के सभी विषयों पर खुलकर बात करते हैं, वे टीनएजर्स की जिज्ञासा जल्दी शांत होने के साथ उनकी पेरेंट्स के साथ बॉन्डिंग भी अच्छी रहती है।
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पारिवारिक संस्कृति के मूल्यों को समझाएं
टीनएजर्स को आपसी सम्मान की पारिवारिक दृष्टिकोण से परिचय कराना बहुत जरूरी होता है। संस्कृति की स्थापना और कम उम्र (किशोर अवस्था) से संचार को खुला रखने में मदद मिलेगी। पेरेंट्स का बच्चों के किशोरावस्था पर बहुत अधिक झुकाव नहीं होता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे बड़े होंगे तो सब सीख जाएंगे। लेकिन, पेरेंट्स को उन्हें किशोरावस्था में में ही फैमिली वैल्यूज जरूर सिखाना चाहिए।