दही (Curd)
जब आपका बच्चा 9 से 12 महीने का हो जाए, तो उसे आप चावल-दही भी दे सकते हैं। दही-चावल बच्चे के लिए काफी कैल्शियम का अच्छा आहार होता है। इसका सेवन करने से शिशु का पाचन भी ठीक रहता है। दही में गुड़ बैक्टीरिया भी पाया जाता है। जो बच्चे के लिए शरीरिक विकास के लिए काफी अच्छा होता है।
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ठोस आहार देने के दौरान रखें इन बातों का ध्यान
बच्चे के लिए सॉलिड डायट शुरू करने से पहले पेरेंट्स को और बातों का ध्यान रखना भी आवश्यक है। ब्रेस्डफिडिंग के साथ बच्चा अचानक से ठोस आहार खाने के तैयार नहीं होगा। इसके लिए पहले से कुछ बातों का ध्यान रखें:
- बच्चा का ठोस आहार शुरू करने से पहले ब्रेस्ट मिल्क या फॉर्मूला मिल्क कटोरी-चम्मच से धीरे-धीरे देना शुरू करें।
- शुरुआत में बच्चे आसानी से ठोस आहार को डायजेस्ट नहीं कर पाते हैं। इसलिए शुरू फल की प्यूरी से करें और मात्रा भी थोड़ी रखें। आप उन्हें खेल-खेल में खाना खिलाएं। जितना बच्चा अपने मन से खाए, उतना ही खिलाएं।
- शिशु को खाना खिलाने से पहले चैक करें कि खाने का तापमान ज्यादा गर्म तो नहीं है और फिर ठंडा होने पर ही खिलाएं।
- जब शिशु की तबीयत सही न हो या मूड खराब हो तो उस दौरान ठोस आहार न दें। ऐसें में उनमें ठोस आहार को लेकर गलत धारण बन सकती है।
- शुरुआत में शिशु को सादा खाना ही दें। फिर धीरे-धीरे नमक और चीनी वाला खाना खिलाएं। लेकिन नमक और चीनी की शुरूआत भी कम मात्रा में ही करें। लेकिन इसे देने से पहले एक बार डॉक्टर की भी सलाह कर लें।
- शिशु को शुरूआत में ज्यादा घी या तेल जैसा चिकना न खिलाएं। सैचुरेटेड फैटी एसिड होने के कारण घी को आसानी से पचाया जा सकता है। लेकिन शुरूआत में बच्चे का लिवर अभी बहुत ज्यादा मजबूत नहीं होता है। इसे खनिज पदार्थ और विटामिन्स का अच्छा स्रोत माना जाता है।
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बच्चे के लिए सॉलिड डायट की शुरूआत कैसे करें और किन बातों का ध्यान रखें। लेकिन इसी के साथ यह भी जानें कि हर बच्चे की शारीरिक जरूरते अलग-अलग होती है। इसलिए सभी के लिए खानपान और पोषक तत्वों की जरूरत भी अधिक होगी। यदि बच्चे को किसी प्रकार का हेल्थ डिजीज है, तो आप उसे अपने मन से कोई भी फूड देने की गलती न करें। उसकी डायट को लेकर पहले डॉक्टर से संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।