अच्छे संस्कार दें : शिशु के जन्म के समय से ही उसे अच्छे संस्कार दें। इससे वो किसी से भी मिलेगा तो उन्हें सम्मान देगा। संस्कार में बच्चों को सामान्य चीजें सीखाएं, जैसे प्लीज और धन्यवाद कहने की प्रवृत्ति उसमें डालें।
सीखने की ललक : बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति विकसित करें, ताकि जीवन भर उसमें यह गुण बना रहे। सिर्फ किताबों व टीचर्स व पैरेंट्स की बताई गई बातों से ही नहीं बल्कि जो भी अच्छा हो उसे सीखने की ललक बच्चों में विकसित करें। बच्चों को यह सीख दें कि किताबों से सीखने के साथ जीवन में कई ऐसी घटनाएं है जिससे सीखा जा सकता है।
पैसों की बचत करने की सीख : बच्चों को दी जाने वाली नैतिक शिक्षा के तहत उनको पैसों की बचत करने की सीख भी देनी चाहिए। इसे मनी मैनेजमेंट कहा जाता है। इसके तहत बच्चों को सेविंग्स की बात सिखानी चाहिए। बच्चों को शुरुआती दिनों में ही यह पता होना चाहिए कि ज्यादा खर्च करने के क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं। बच्चों को यह शुरुआती दिनों में ही पता होना चाहिए कि अपनी लिमिट से ज्यादा खर्च नहीं करना चाहिए। बल्कि अपने बजट में ही खर्च कर उसमें से पैसों की बचत करनी चाहिए, ताकि भविष्य में वो पैसे काम आ सके।
हेल्दी फूड का सेवन करने की सीख : नैतिक शिक्षा के अंदर बच्चों का खानपान भी आता है। बच्चों को यह नैतिक शिक्षा भी दी जानी चाहिए कि उनके स्वास्थ्य के लिए क्या सही है और क्या गलत। खराब लाइफस्टाइल के अनुसार ही बच्चे कई प्रकार की गलत चीजें खाने लगते हैं। इसलिए जरूरी है कि घर में हेल्दी पकवान बनाए जाए, इससे बच्चों का विकास भी होता है। बच्चों का खाना ऐसा होना चाहिए जो पौष्टिक होने के साथ विटामिन और मिनरल्स से भरपूर हो। ताकि उन्हें पोषक तत्व मिलता रहे। बच्चों को चॉकलेट और कूकीज देने की बजाय उन्हें खाने में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ देना चाहिए।
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असहमति को शांति से हल करना सीखाएं : बच्चों को नैतिक शिक्षा देने के क्रम में उन्हें यह सीख देनी चाहिए कि वो असहमति को भी शांति से हल करें। जीवन में कई ऐसे मौके आएंगे जब उनकी सोच दूसरों से नहीं मिलेगी, इसे लड़कर सुलझाने की बजाय शांति से सुलझाने की सीख बच्चों में विकसित करें।
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हमेशा दूसरों की मदद करें : बच्चों को नैतिक शिक्षा देते हुए उन्हें इस बात की सीख दें कि हमेशा उन्हें अपने से कमजोर लोगों की मदद करनी चाहिए। जितना संभव हो आर्थिक तौर पर या शारिरिक तौर पर जरूरतमंद की मदद करनी चाहिए। कहा जाता है कि दूसरों की मदद करने वालों की मदद भगवान करते हैं। इसलिए जीवन में ऐसे मौकों की तलाश में हमेशा रहना चाहिए जिससे किसी की मदद की जा सके। वहीं जीवन में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा के साथ जीना चाहिए। अपने जीवन में कभी भी नकारात्मक सोच नहीं लानी चाहिए।
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नैतिक शिक्षा देने की कोई उम्र नहीं, जब जागो तभी सवेरा
बच्चों को नैतिक शिक्षा देने की कोई उम्र नहीं होती है। लेकिन यह जरूरी है कि शुरुआती दिनों में ही बच्चों को नैतिक शिक्षा (Moral education to kids) का पाठ पढ़ाया जाए। मौजूदा समय में कई ऐसे स्कूल हैं जो बच्चों को नैतिक शिक्षा देने के वायदे करने के साथ उन्हें यह सीख देते हैं। ताकि बच्चे के व्यक्तित्व का निर्माण होने के साथ वो अच्छा भविष्य पा सके। वहीं यह पैरेंट्स की भी जिम्मेदारी बनती है कि बच्चों को इमानदारी, विनम्रता, दया की सीख दें। वहीं इस बात पर ध्यान दें कि आप जो कुछ भी करते हैं उसका आपके बच्चे पर काफी ज्यादा असर पड़ता है। इसलिए आप अपने बच्चे को जो शिक्षा दें उसपर खुद भी अमल करें।