मोबाइल गेम्स से बच्चों के डिसिशन मेकिंग की प्रक्रिया अच्छी बनी रहती है और वह सही ढंग से स्थिति को मांप-परख कर फैसले लेने में अधिक सक्षम बन पाते हैं। यह लाइफ में इस्तेमाल होने वाली बेहद महत्वपूर्ण स्किल होती है। फैसले लेने की कुशलता को अधिक सक्षम बनाने के लिए सैनिकों और डॉक्टर तक को वीडियो गेम्स खेलने की सलाह दी जाती है।
हाथों और आंखों के बीच का कोआर्डिनेशन
मोबाइल गेम्स खेलने से बच्चों के हाथों (Hand) और आंखों (Eye) के बीच एक बेहतर सामंजस्य बैठ जाता है। इसकी मदद से उनकी आंखों द्वारा मस्तिष्क को तेज संकेत जाते हैं। इनका सीधा प्रभाव उनके हाथों और उंगलियों की तेज प्रक्रियाओं के जरिए देखा जा सकता है। ब्रेन की नसों की इस प्रकार की ट्रेनिंग से उन्हें अपने रोजाना हाथों और आंखों की प्रतिक्रियाओं के कोआर्डिनेशन में मदद मिलती है। इससे बच्चे की स्पोर्ट्स जैसी गतिविधियों और पजल सॉल्व करने में फायदा पहुंचता है।
ब्रेन डेवलपमेंट
जब हमारा ब्रेन लगातार एक ही चीज को बार-बार दोहराता है तो उसकी संरचना में बदलाव आने लगता है और वह नए न्यूरल पाथवे (तंत्रिका पथ) और ट्रांसमीटर बनाने लगता है। इससे मस्तिष्क के कार्य करने कि प्रक्रिया में सुधार आता है। जब मोबाइल गेम्स में ऐसी स्थिति आती है जिसमें अधिक कंसंट्रेशन की आवश्यकता पड़ती है तो ब्रेन (Brain) की यही ऑप्टिमाइजेशन (Automigation) उस काम या समस्या को तेजी से सॉल्व करने लगती है। मस्तिष्क की यही तेज कुशलता लाइफ प्रॉब्लम सॉल्व करने में मदद करती है।
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बच्चों पर मोबाइल गेम्स के दुष्प्रभाव (Side effects of mobile games on kids)
निम्न बच्चों में वीडियो गेम्स खेलने के कारण पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया गया है –
हेल्थ प्रॉब्लम
मोबाइल में अधिक गेम खेलने के कारण बच्चों को कई प्रकार की हेल्थ प्रॉब्लम (Health problem) हो सकती हैं। अगर बच्चा लगातार पूरा दिन अपने फोन पर मोबाइल गेम्स खेलने में निकाल देता है तो वह उसका बाहरी दुनिया से मिलनसार नहीं हो पाता है। इसका सीधा इम्पैक्ट उनके विकास पर पड़ता है। लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठने के कारण मोटापे (Obesity), कमजोर मांसपेशियां (Weak muscles) और जोड़ (Joints), हाथों और उंगलियों का सुन्न पड़ना और आंखें कमजोर (Weak eyesight) होने जैसी स्थितियों का खतरा बढ़ जाता है।
पढ़ाई में समस्या
रोजाना व लगातार कई घंटों तक मोबाइल गेम्स खेलने से बच्चे की पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ता है। स्कूल में ही नहीं वह घर के कामों में भी गतिहीन होते हैं। होमवर्क, टेस्ट और पढ़ाई से उनका मन हटने लगता है। अत्यधिक मोबाइल गेमिंग (Mobile gaming) के कारण बच्चे की परफॉरमेंस खराब हो सकती है और उसके इमोशन पर इसका गलत प्रभाव पड़ सकता है।
गलत सीख
प्लेस्टोर पर कई ऐसे मोबाइल गेम्स उपलब्ध हैं जिनमें वायलेंस, सेक्सुएलिटी, गालियां, रेसिजम (नस्लवाद) और कई ऐसे दृश्य होते हैं जिनका बच्चों पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके कारण उनमें डिसिप्लिन की कमी और माता-पिता व बड़ो के प्रति खराब व्यवहार जैसी स्थिति उतपन्न हो सकती है।