बच्चों के स्कूल न जाने की इस स्थिति को आप कामचोरी से न जोड़ें क्योंकि इन दोनों में ही काफी अंतर होता है। जो बच्चे कामचोर होते हैं उनमें किसी भी काम को करने की रूचि नहीं होती है। इसके अलावा ऐसे बच्चे स्कूल न जाने के लिए बंक का इस्तेमाल करते हैं। उनके माता-पिता को इस बात की भनक भी नहीं होती है कि उनका बच्चा स्कूल में है या नहीं।
इसके विपरीत जो बच्चे स्कूल न जाने की जिद या बहाने बनाते हैं उनमें अपने पेरेंट्स की बात न मानने के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। ऐसे बच्चे में स्कूल न जाने को छोड़कर हर काम को बखूबी करने की आदत होती है और अपने माता-पिता की बात भी मानते हैं। हालांकि, यह सभी मामलों में नहीं होता है। इसके साथ ही ऐसे बच्चों के पेरेंट्स को पता होता है कि उनका बच्चा स्कूल क्यों नहीं जा रहा है। इस स्थिति में माता-पिता बच्चे को स्कूल भेजने के लिए कई तरह के पैतरे अपनाते हैं जिनके बावजूद उन्हें केवल असफलता ही हासिल होती है।
बच्चे को कुछ दिनों तक जबरदस्ती या डांट कर स्कूल भेजा जा सकता है लेकिन बेहतर यही होता है कि आप बच्चे की समस्या और भावनाओं को समझने की कोशिश करें और उसके अनुसार समाधान निकालें। कई बार बच्चे स्कूल नहीं जाते क्योंकि इसके कई गंभीर कारण हो सकते हैं।
आज हम आपको इस आर्टिकल की मदद से बताएंगे कि जो बच्चे स्कूल नहीं जाते उन्हें बेहतर ढंग से कैसे समझें और कुछ ऐसी टिप्स भी देंगे जिनकी मदद से आप उन्हें सफलतापूर्वक स्कूल भेज सकें।
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बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं तो क्या करें
- फिजिकल पेन या अन्य समस्याओं का पता लगाएं। अगर बच्चे स्कूल न जाने के लिए शारीरिक चोट या किसी अन्य स्थिति की शिकायत करते हैं, तो किसी फिजिशियन से उसका चेक-आप करवाएं। अधिकतर मामलों में बच्चे फिजिकल पेन का बहाने बना रहे होते हैं। लेकिन एक बार पूरी संतुष्टि के लिए उनका चेक-करवाना जरूरी है। क्योंकि हो सकता है कि बच्चे को सही में कोई शारीरिक पीड़ा हो।
- अपने बच्चे से बात करें। अगर आपके बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं तो उनसे बात करने की कोशिश करें और पूछें कि क्या कोई चीज उन्हें परेशान कर रही है? इसके साथ ही उन्हें बताएं कि उनके स्कूल जाने के लिए एक अच्छा प्लान तैयार किया जाएगा। हालांकि, इस बात को ध्यान में रखें कि कुछ बच्चे यह शेयर नहीं कर पाते हैं कि उन्हें क्या चीज परेशान कर रही है। ऐसे में उन्हें बात करने के लिए फोर्स न करें। बस बच्चे को इस बात का मैसेज जरूर दें की वह इस समस्या से लड़ सकता है और आप पूरा समय उसके साथ हैं।
- लेक्चर देने से कुछ नहीं होता है। बच्चे स्कूल नहीं जाते इसके लिए उन्हें लंबे-चौड़े लेक्चर देने या बहस करने से उन्हें स्कूल भेजने में कोई मदद नहीं मिलती है। लेक्चर स्थिति को और खराब बना सकते हैं। किसी भी प्रकार की नेगेटिव फीलिंग बच्चे की समस्या को सोल्व करने में मदद नहीं कर सकती है।
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