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Injury: चोट क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Kanchan Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/09/2020

Injury: चोट क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

परिचय

इंजरी यानी चोट लगना का मतलब है शरीर को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचना। यह बाहरी या आंतरिक हो सकता है। चोट लगने पर कई बार खून निकलता है, हड्डियां टूट जाती है या चोट मस्तिष्क पर इसका असर हो सकता है। चोट से पूरी तरह से तो बचा नहीं जा सकता, लेकिन हां, कुछ सुरक्षात्मक कदम उठाकर खेलने, ड्राइविंग करने और किचन में काम करने के दौरान लगने वाली चोट से बचा जरूर जा सकता है।

चोट लगना या इंजरी (Injury) क्या है?

शरीर को किसी भी तरीके से हानि पहुंचती है तो उसे चोट कहते हैं। यह खेलने के दौरान गिरने, एक्सीडेंट होने, लड़ाई-झगड़े के दौरान, आग से, करंट लगने से या किसी भी रूप में लग सकती है। चोट लगने पर यदि गहरा घाव लगता है तो डॉक्टर के पास जाने से पहले फर्स्ट एड की जरूरत होती है ताकि यदि खून बहुत बह रहा है तो उसे रोका जा सके। चोट बाहरी होने के अलावा आंतरिक भी हो सकती है, यानी आपको बाहर से वह दिखाई नहीं देती है, लेकिन शरीर के आंतरिक अंगों पर उसका गहरा प्रभाव पड़ता है।

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चोट कितने प्रकार (Types of Injury)  की होते हैं ?

जब चोट लगती है तो स्किन से या तो खून निकलने गलता है या फिर स्किन में निशान पड़ जाता है। ऐसी चोट स्किन इंजरी कहलाती है। ऐसे में स्किन छिल जाती है और ब्लीडिंग होने लगती है। वहीं कुछ लोगों के खून नहीं निकलता है लेकिन चोट वाले स्थान में सूजन आ जाती है। इसे सॉफ्ट टिशू इंजरी भी कह सकते हैं। कई बार लिगामेंट और मसल्स में भी स्ट्रेच यानी खिचांव आ सकता है। कई बार चोट इतनी तेज लगती है कि स्ट्रॉन्ग टिशू भी डैमेज हो सकते हैं। चोट के दौरान हड्डियों का टूटना फ्रैक्चर कहलाता है।

चोट कई तरह की हो सकती है जैसे-

अगर आपको भी उपरोक्त प्रकार की चोट लगी है तो घर में ही इलाज न करें बल्कि डॉक्टर से जांच जरूर कराएं। समय पर डॉक्टर से ट्रीटमेंट न कराने पर अधिक ब्लीडिंग भी हो सकती है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।

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लक्षण

कई बार चोट मामूली रूप से लगती है जो बिना उपचार के अपने आप 1-2 दिन में ठीक हो जाती है, लेकिन चोट यदि गंभीर है तो उसका उचित उपचार कराना जरूरी है, वरना बाद में गंभीर समस्या हो सकती है। कई बार चोट लगने के कुछ दिन बाद भी नहीं पता चलता है कि किसी व्यक्ति को चोट लगी है, ऐसे में जरूरी है कि हल्के लक्षण दिखने पर या फिर दर्द महसूस होने पर लापरवाही नहीं करनी चाहिए और डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। आतमौर पर चोट लगने पर निम्न लक्षण दिखते हैः

  • जहां चोट लगी है उस जगह पर छूने से दर्द होता है।
  • चोट वाले हिस्से में सूजन आ जाती है।
  • चोट लगने वाले हिस्से की त्वचा का रंग काला या लाल हो जाता है।
  • कमजोरी महसूस होती है, जैसे हाथ में यदि चोट लगी है तो उससे आप वजन नहीं उठा पातें।
  • ठीक तरह से चलने में दिक्कत होना। पैर में चोट लगने पर चलने में मुश्किलें आती हैं।

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कारण

चोट के कारण और रिस्क फैक्टर क्या हैं ?

चोट लगने का कोई एक कारण नहीं होता है, इसकी अनगिणत वजहें होती हैं। उनमें से कुछ हैः

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इसके अलावा भी चोट लगने की ढेर सारी वजहे हैं। थोड़ी सी सतर्कता और सेफ्टी रूल्स का पालन करके कुछ तरह की चोटों से बचा जा सकता है। जैसे गाड़ी चलाने के दौरान हमेशा हेल्मेट पहनें और ट्रैफिक रूल्स का पालन करें। खाना बनाते समय या इलेक्ट्रिक चीजों के इस्तेमाल के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतें आदि।

इंजरी में सबसे आम है स्पोर्ट्स इंजरी जो एक्सरसाइज या किसी खेल के दौरान हो सकती है। स्पोर्ट्स इंजरी की वजह हैः

  • नियमित रूप से फिजिकली एक्टिव न होना
  • एक्सरसाइज से पहले वॉर्म अप न करना

जानिए चोट के प्रकार

मोच – लिगामेंट्स को बहुत ज्यादा स्ट्रेच करने या खींचने से मोच आ सकती है। लिगामेंट्स ऊतकों का टुकड़ा होता है जो दो हड्डियों को जोड़ता है।

घुटने की चोट– कोई भी चोट जो घुटने के जोड़ के मूवमेंट को प्रभावित करती है, स्पोटर्स इंजरी। यह बहुत ज्यादा स्ट्रेचिंग, मसल्स में ऊतकों में खिंचाव की वजह से हो सकता है।

मसल्स में सूजन– चोट लगने पर सूजन होना आम है। मांसपेशियों में सूजन होने पर वह कमजोर हो जाती है और दर्द होता है।

फ्रैक्चर– बोन फ्रैक्चर को ब्रोकेन बोन या हड्डियों का टूटना कहा जाता है। यह बहुत गंभीर स्थिति होती है।

डिस्लोकेशन– स्पोर्ट्स इंजरी की वजह से हड्डियां अपने जगह से खिसक जाती है। ऐसा होने पर सूजन और दर्द होता है।

रोटेटर कफ इंजरी – मांसपेशियों के चार टुकड़े मिलकर रोटेटर कफ बनाते हैं। यह कफ कंधों को चारों दिशाओं में घुमाने में मदद करता है। इनमें से किसी भी मांसपेशी में खिंचाव आने पर रोटेटर कफ कमजोर हो जाती है।

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चोट का परिक्षण कैसे किया जाता है ?

इंजरी यानी चोट की जानकारी के लिए डॉक्टर टेस्ट कर सकता है। सबसे पहले डॉक्टर चोट का कारण पूछेंगे और साथ ही ये भी पूछेंगे कि किस स्थान में दर्द हो रहा है। ये भी पूछेंगे कि क्या शरीर के अंदर कोई चीज (लोहा, कील आदि) घुसी है क्या ? डॉक्टर चोट वाले स्थान में छू कर देखेंगे और कुछ टेस्ट की सलाह भी दे सकते हैं। कुछ टेस्ट जैसे कि सीटी स्कैन, एमआरआई, एक्स रे आदि। जांच के बाद डॉक्टर चोट का ट्रीटमेंट करेंगे। अगर चोट त्वचा की है तो डॉक्टर ड्रेसिंग करने के बाद कुछ दवाओं को भी लिख सकते हैं।

इलाज

चोट का इलाज

सामान्य स्पोर्ट्स इंजरी या चोट के इलाज के लिए RICE मेथड का इस्तेमाल किया जाता है। RICE का मतलब है-

रेस्ट

रेस्ट यानी आराम करें। चोट लगने पर किसी तरह की शारीरिक गतिविधि न करें। जिस तरीके से एक्सरसाइज या खेलने से चोट लगी है दोबारा वैसे न करें।

आइस

चोट लगने के तुंरत बाद प्रभावित हिस्से पर करीब 20 मिनट तक बर्फ लगाएं। बर्फ को तौलिये में लपेटकर प्रभावित हिस्से पर रगड़ें। 48 घंटे के अंदर ऐसा कम से कम चार बार करें। यदि खून बह रहा है तो बर्फ रगड़ने से खून बहना बंद हो जाता है और चोट के बाद काला निशान भी नहीं पड़ता।

कंप्रेशन

कंप्रेशन यानी पट्टी लगाना। बर्फ लगाने के बाद प्रभावित हिस्से पर क्रेप बैंडेज बांधें। हाथ या पैर में मोच आने पर यह बहुत प्रभावी होता है।

इलेवेशन

हाथ या पैर को ऊपर ओर उठाएं, इससे ऊतकों में मौजूद तरल पदार्थ निकल जाता है और सूजन कम होती है।

छोटी चोट का इलाज इस तरीके से किया जा सकता है। बेहतर परिणाम के लिए इस मेथड का इस्तेमाल 24 से 36 घंटे के अंदर किया जाना चाहिए। इससे सूजन और दर्द से राहत मिलती है। आपकी चोट यदि गंभीर है तो इस मेथड से आराम नहीं मिलेगा, इसके लिए आपको डॉक्टर की अपॉइंटमेंट लेनी होगी। यदि जोड़ों में लगी चोट में निम्न लक्षण दिखें तो तुरंत इमरजेंसी में डॉक्टर से परामर्श लेने की जरूरत है-

  • बहुत सूजन और दर्द
  • दिखने वाले गांठ या अन्य विकृती
  • जोड़ों का इस्तेमाल करने पर आवाज आना
  • जोड़ों पर भार न ले पाना और उसका कमजोर होना

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फ्रैक्चर (fractures) का ट्रीटमेंट

फैक्चर जिस तरह का होता है, उसी के अनुसार ट्रीटमेंट किया जाता है। बोन फैक्चर एक मेडिकल कंडीशन है जिसमे किसी कारणवश हड्डी टूट जाती है। अधिक फोर्स के कारण हड्डी टूट सकती है। वहीं कुछ मेडिकल कंडीशन के कारण भी हड्डियां टूट सकती है।

फैक्चर अधिकतर गिरने या फिर एक्सीडेंट के कारण होते हैं। फैक्चर कई प्रकार के होते हैं जैसे कि एविलेशन (avulsion,), कम्यूटेड (comminuted) और हेयरलाइन फ्रैक्चर ( hairline fractures)। हड्डियां टूटने के बाद उनका हीलिंग प्रोसेस अपने आप होता है लेकिन उन्हें उन्हें हीलिंग के लिए सपोर्ट की जरूरत होती है। जानिए फैक्चर के दौरान क्या प्रोसेस अपनाई जाती है

प्लास्टिक फंक्शनिंग ब्रेसेस ( Plaster casts or plastic functional braces) – ये बोंस को एक पुजिशन में पकड़कर रखते हैं जबकि हड्डी की हीलिंग प्रोसेस पूरी न हो जाए।

मैटल प्लेट और स्क्रू (Metal plates and screws ) – इस प्रोसीजर का यूज भी हड्डी को साधने के लिए किया जाता है।

इंट्रा मैडुलरी नेल्स -(Intra-medullary nails)- इंटरनल मैटल रॉड्स को लॉन्ग बोंस के बीच प्लेस किया जाता है। बच्चों में फ्लैक्सिबल वायर का यूज किया जाता है।

एक्सटरनल फिक्सेटर (External fixators) – ये धातु या कार्बन फाइबर के बने होते हैं। इन्हें स्किन की हेल्प से लगाया जाता है।

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इंजरी से बचाव के तरीके

  • खेल या एक्सरसाइज में सही तकनीक का इस्तेमाल करें।
  • सही उपकरण का इस्तेमाल करें।
  • कोई भी एक्सरसाइज शुरुआत में ही बहुत अधिक न करें।
  • खेल या कसरत करने के बाद थोड़ी देर शरीर को आराम दें।
  • कभी भी वार्म अप करना न भूलें।

चोट लगने से जुड़े रिस्क

  • चोट यदि सिर पर लगी है और खून बहुत निकल गया है तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।
  • अधिक उम्र में मांसपेशियों में लगने वाली चोट भी घातक साबित होती है, इससे चलने-फिरने में हमेशा के लिए दिक्कत हो सकती है।
  • शरीर के किसी भी हिस्से पर बहुत गंभीर चोट लगन से इंसान जीवनभर के लिए विकलांग भी हो सकता है।

उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको चोट लगती है तो बिना किसी लापरवाही के डॉक्टर से जांच जरूर कराएं। आप घर पर ट्रीटमेंट के तौर पर ब्लीडिंग को कम करने के लिए पट्टी का इस्तेमाल कर सकते हैं। कई बार चोट की गंभीरता तुरंत नहीं पता चलती है इसलिए डॉक्टर से जांच जरूर करानी चाहिए।आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।

डिस्क्लेमर

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