रेस्ट
रेस्ट यानी आराम करें। चोट लगने पर किसी तरह की शारीरिक गतिविधि न करें। जिस तरीके से एक्सरसाइज या खेलने से चोट लगी है दोबारा वैसे न करें।
आइस
चोट लगने के तुंरत बाद प्रभावित हिस्से पर करीब 20 मिनट तक बर्फ लगाएं। बर्फ को तौलिये में लपेटकर प्रभावित हिस्से पर रगड़ें। 48 घंटे के अंदर ऐसा कम से कम चार बार करें। यदि खून बह रहा है तो बर्फ रगड़ने से खून बहना बंद हो जाता है और चोट के बाद काला निशान भी नहीं पड़ता।
कंप्रेशन
कंप्रेशन यानी पट्टी लगाना। बर्फ लगाने के बाद प्रभावित हिस्से पर क्रेप बैंडेज बांधें। हाथ या पैर में मोच आने पर यह बहुत प्रभावी होता है।
इलेवेशन
हाथ या पैर को ऊपर ओर उठाएं, इससे ऊतकों में मौजूद तरल पदार्थ निकल जाता है और सूजन कम होती है।
छोटी चोट का इलाज इस तरीके से किया जा सकता है। बेहतर परिणाम के लिए इस मेथड का इस्तेमाल 24 से 36 घंटे के अंदर किया जाना चाहिए। इससे सूजन और दर्द से राहत मिलती है। आपकी चोट यदि गंभीर है तो इस मेथड से आराम नहीं मिलेगा, इसके लिए आपको डॉक्टर की अपॉइंटमेंट लेनी होगी। यदि जोड़ों में लगी चोट में निम्न लक्षण दिखें तो तुरंत इमरजेंसी में डॉक्टर से परामर्श लेने की जरूरत है-
- बहुत सूजन और दर्द
- दिखने वाले गांठ या अन्य विकृती
- जोड़ों का इस्तेमाल करने पर आवाज आना
- जोड़ों पर भार न ले पाना और उसका कमजोर होना
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फ्रैक्चर (fractures) का ट्रीटमेंट
फैक्चर जिस तरह का होता है, उसी के अनुसार ट्रीटमेंट किया जाता है। बोन फैक्चर एक मेडिकल कंडीशन है जिसमे किसी कारणवश हड्डी टूट जाती है। अधिक फोर्स के कारण हड्डी टूट सकती है। वहीं कुछ मेडिकल कंडीशन के कारण भी हड्डियां टूट सकती है।
फैक्चर अधिकतर गिरने या फिर एक्सीडेंट के कारण होते हैं। फैक्चर कई प्रकार के होते हैं जैसे कि एविलेशन (avulsion,), कम्यूटेड (comminuted) और हेयरलाइन फ्रैक्चर ( hairline fractures)। हड्डियां टूटने के बाद उनका हीलिंग प्रोसेस अपने आप होता है लेकिन उन्हें उन्हें हीलिंग के लिए सपोर्ट की जरूरत होती है। जानिए फैक्चर के दौरान क्या प्रोसेस अपनाई जाती है
प्लास्टिक फंक्शनिंग ब्रेसेस ( Plaster casts or plastic functional braces) – ये बोंस को एक पुजिशन में पकड़कर रखते हैं जबकि हड्डी की हीलिंग प्रोसेस पूरी न हो जाए।
मैटल प्लेट और स्क्रू (Metal plates and screws ) – इस प्रोसीजर का यूज भी हड्डी को साधने के लिए किया जाता है।