घर में फिनाइल जैसे अन्य क्लीनिंग प्रोडक्ट होते हैं, जिसे प्रायः लोग फ्लोर पर या घर के किसी कॉर्नर में रख देते हैं। ऐसे क्लीनिंग प्रोडक्ट को हमेशा बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
टॉयलेट डोर बंद रखें
बच्चा जब घुटनों के बल चलना शुरू कर दे यह हमेशा ध्यान रखें की घर में जितने भी बाथरूम हैं उनके दरवाजे बंद हो। बच्चे की आदत होती है किसी भी सामान को छू कर या उसे मुंह में रख लेने की ऐसे सर्फ या साबुन जैसे प्रोडक्ट शिशु के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए बाथरूम या टॉयलेट रूम डोर को बंद रखें। टॉयलेट सीट को भी जरूरत न होने पर ढ़क कर रखें।
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ऊपर बताये गये टिप्स को फॉलो करें जब शिशु घुटनों के बल चलना शुरू करता है। हालांकि कुछ बच्चें जल्दी घुटने के बल चलना शुरू नहीं करते हैं। ऐसी परिस्थिति में क्या करें?
शिशु के 6 महीने के होने के बाद और 10 महीने तक वह कभी-भी घुटनों के बल चलना शुरू कर सकता है। हालांकि यह भी ध्यान रखें की प्रीमेच्योर बच्चे घुटने के बल चलना शुरू तो करते हैं लेकिन, सामान्य बच्चों के तुलना में देर से चलते हैं। कई शिशु ऐसे भी होते हैं जिन्हें कोई शारीरिक परेशानी नहीं होती है लेकिन, वो चलना देरी से शुरू करते हैं।
अगर शिशु को घुटने के बल चलने में परेशानी हो रही है तो कुछ बातों का ध्यान रखें। जैसे-
शिशु अगर घुटने के बल चलना चाहता है लेकिन, सिर्फ अपने एक ही हिस्से को एक्टिव रख पा रहा है तो इसकी जानकारी डॉक्टर को दें।
घुटनों के बल चलना शिशु चाह रहा है लेकिन, आगे की ओर नहीं बढ़ पा रहा है तो ऐसी स्थिति में हो सकता है बच्चे को कोई परेशानी हो। इसलिए बच्चे की बॉडी एक्टिविटी का ध्यान रखें। घुटनों के बल चलना या क्रॉलिंग, शिशु के विकास को दिखाता है। यदि 10 माह की आयु तक शिशु क्रॉलिंग करना नहीं शुरू करता है तो किसी बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।