डिलिवरी के बाद इमोशनल समस्याएं : पोस्टपार्टम
डिप्रेशन (Postpartum Depression)
प्रसव के बाद होने वाला डिप्रेशन आमतौर पर बिना किसी ट्रीटमेंट के कुछ ही हफ्तों में ठीक हो जाता है। वहीं, ज्यादा दिनों तक रहने वाला अवसाद ‘पोस्टपार्टम डिप्रेशन’ कहलाता है, जो कुछ महीनों से लेकर सालों तक रह सकता है। है। पोस्टपार्टम अवसाद 10% -16% महिलाओं को होता है। इसका एक कारण महिलाओं के हार्मोंस (एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोन, टेस्टोस्टेरोन) में बदलाव आना भी है जिसका असर उनके व्यवहार पर पड़ता है। बच्चे की डिलिवरी के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन्स की मात्रा में बदलाव आ जाता है। दरअसल, प्रेग्नेंसी के दौरान दोनों ही हार्मोन्स का स्तर अधिक हो जाता है, वहीं, बच्चे की डिलिवरी के बाद इनकी मात्रा अचानक से कम हो जाती है। बच्चे की डिलिवरी के लगभग 3 दिन बाद इनके स्तर दोबारा से संतुलित होते हैं। हालांकि, इस तरह हार्मोन्स के लेवल का कम-ज्यादा होना मां में डिप्रेशन का कारण बन सकता है। हालांकि, हजार में से कोई एक महिला ही बच्चे की डिलिवरी के बाद मानसिक रूप से बीमार पाई जाती हैं।
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डिलिवरी के बाद इमोशनल समस्याएं : पोस्टपार्टम साइकोसिस (Postpartum Psychosis)
दुर्लभ मामलों में नई मां को गंभीर अवसाद भी हो सकता है जिसे पोस्टपार्टम साइकोसिस (postpartum psychosis) कहते हैं। हालांकि, यह 1000 न्यू मॉम में से केवल एक या दो को ही प्रभावित करता है। इस दौरान महिलाएं अजीब व्यवहार कर सकती हैं। उसे वे आवाजें सुनाई दे सकती हैं या चीजें दिखाई दे सकती हैं जो वास्तव में वहां न हों। ऐसे में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
डिलिवरी के बाद इमोशनल समस्याएं : डर लगना
बच्चे के जन्म के बाद उसकी परवरिश कैसे करनी, उसके कैसे दूध पिलाना है, बच्चे की देखभाल कैसे करनी है ऐसी ही कई तमाम बाते और वजहें हो सकती हैं, जिसकी वजह से नई मां हमेशा डर महसूस करने लगती है। डिलिवरी के बाद इमोशनल समस्याएं (Emotional problems after delivery) पेरेंट्स को कई बार परेशान करती हैं। बच्चे के जन्म के बाद ज्यादातर नई मां बनीं महिलाओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन की संभावना देखी जाती है। उन्हें डर लगता है कि वो अपने बच्चे के पालन-पोषण की जिम्मेदारी सही से नहीं निभा सकती हैं।