क्या बेबी ब्लूज (Baby Blues) और पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) एक है?
वाराणसी स्थित सर सुंदरलाल हॉस्पिटल (BHU) के मनोचिकित्सक डॉ. जयसिंह यादव ने हैलो स्वास्थ्य को बताया कि “बेबी ब्लूज और पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक चीज नहीं है। लोग अक्सर इन दोनों को एक ही मानसिक बीमारी समझ लेते हैं। लेकिन, दोनों अलग मानसिक स्थिति है। बेबी ब्लूज पोस्टपार्टम डिप्रेशन की शुरुआती स्थिति को कहा जाता है। बेबी ब्लूज में महिला में मूड स्विंग, उदासी, बच्चे को संभालने की चिंता, चिड़चिड़ापन आदि होते है। वहीं, आगे चलकर बेबी ब्लूज बढ़ते-बढ़ते पोस्टपार्टम डिप्रेशन का रूप ले लेता है। इसमें बेबी ब्लूज की तरह ही मूड स्विंग, रोने की इच्छा, भूख न लगना और नींद न आना, आत्महत्या का ख्याल आना आदि होता है।“
बेबी ब्लूज (Baby Blues) के लक्षण क्या हैं?
20 से 80 फीसदी महिलाओं को बेबी ब्लूज की शिकायत होती है। अगर इसके लक्षणों को पहचान कर मां का इलाज समय से करा दिया जाता है तो अच्छा होता है। बेबी ब्लूज के होने का कारण है प्रसव के तुरंत बाद होने वाला हॉर्मोनल बदलाव। तेजी से होने वाले हॉर्मोनल बदलाव के कारण मां का मूड स्विंग हो जाता है।
- चंद पल में खुशमिजाज से उदासी का हावी होना। खुद पर गर्व करना और पल भर बाद कोसने लगना।
- खुद की परवाह करना छोड़ देना।
- चिंतित, थकान, चिड़चिड़ापन महसूस होना।
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डिलिवरी के बाद डिप्रेशन (पोस्टपार्टम डिप्रेशन) के लक्षण क्या हैं?
बेबी ब्लूज आगे चल कर पोस्टपार्टम डिप्रेशन यानी डिलिवरी के बाद डिप्रेशन का रूप ले लेता है। इसके लक्षण बेबी ब्लूज से भी ज्यादा खतरनाक होते है। नीचे हम आपको डिलिवरी के बाद डिप्रेशन के कुछ लक्षण बता रहे हैं :
- महिला उदास, निराशा, अकेला महसूस करती है। जिस वजह से वह प्रायः रोने भी लगती है।
- महिला को लगता है कि वह एक अच्छी मां नहीं है।
- महिला को लगता है कि वह बच्चे के साथ जुड़ाव महसूस नहीं कर रही है।
- महिला उदासीनता के कारण न तो खाना खाती है, न ही सोती है। साथ ही अपने बच्चे का ध्यान भी नहीं रखती है।
- महिला को पैनिक अटैक भी आ सकते है। इसके अलावा उसके मन में आत्महत्या जैसे भी ख्याल आते है।
बेबी ब्लूज (Baby Blues) का इलाज कैसे करें?
बेबी ब्लूज आगे चलकर बड़ी समस्या न बने, इसके लिए जरूरी है कि इलाज समय रहते कर लिया जाए। नीचे हम आपको बेबी ब्लूज का इलाज करने के कुछ तरीके बता रहे हैं, जो केवल मां खुद ही कर सकती है :
- बेबी ब्लूज का पहला इलाज मां के पास ही है। मां को खुद से बेहतर महसूस करने की कोशिश करनी चाहिए।
- जब बच्चा सो रहा हो तो मां को भी अपनी नींद पूरी करनी चाहिए। नींद पूरी होने से मां अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रख सकेगी।
- मां के लिए जो सही हो, वह खाना उसे अच्छी तरह खाने के लिए दें। अच्छा खाना भी उसे बेबी ब्लूज से बाहर आने में मदद करेगा।
- मां को टहलने जाना चाहिए। ताजी हवा में एक्सरसाइज करनी चाहिए। ऐसा करने से मां को अच्छा महसूस होने लगेगा।
- परेशानी होने पर दूसरों की मदद जरूर लेनी चाहिए। ऐसे समय में दूसरों का साथ बेहतर महसूस करा सकता है।
- ज्यादा से ज्यादा आराम करें और अपना व बच्चे का ध्यान रखें।
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