श्रेया (बदला हुआ नाम) आठ साल की थी। वह अक्सर गुमसुम रहती थी। किसी भी दोस्त के साथ न वो खेलती ना ही बात करती। हर दिन के साथ उसका व्यवहार चिड़चिड़ा होता जा रही था। श्रेया का ऐसा व्यवहार देखकर उसकी मां की चिंता बढ़ती जा रही थी। ये डिप्रेशन के संकेत लग रहे थे। ऐसे में मां उसे बच्चों के डॉक्टर (पीडियाट्रिशन) के पास ले गई। जांच में डॉक्टर इस नतीजे पर पहुंचे कि मम्मी-पापा के तलाक की वजह से श्रेया को डिप्रेशन (Depression) हो गया था। डिप्रेशन से बचाव के लिए उसे कांउसलिंग और दवाएं दी गईं, जिसके बाद श्रेया ठीक हो गई।