यह भी पढ़ें: प्रेग्नेंसी के दौरान योग और व्यायाम किस हद तक है सही, जानें यहां
सेल्फ-एस्टीम में कमी:
कई कपल्स इनफर्टिलिटी से ग्रसित होने की बात सुनते ही सेल्फ-एस्टीम को काफी लो महसूस करते हैं। उन्हें लगता है कि वे अपने पार्टनर की नजर में गिर जाएंगे। कपल्स को बच्चों के आसपास रहना अजीब लग सकता है, खासकर फैमिली फंक्शन्स में। ऐसे कपल्स ऐसे पार्टीज में जाने से कतराते हैं कि कहीं कोई कुछ इससे रिलेटेड सवाल न करने लगें। इसके अलावा उन्हें अपने पेरेंट्स के सवालों से भी जूझना पड़ सकता है।
यह भी पढ़ें: पुरुष सेक्स ड्राइव बढ़ाने के लिए ये फूड्स होंगे फायदेमंद
वैवाहिक संबंध में तनाव:
बांझपन (इनफर्टिलिटी) का निदान शादी के रिश्ते को प्रभावित कर सकता है। अक्सर पति-पत्नी जो बांझ होते हैं, उन्हें यह डर होता है कि पार्टनर छोड़ सकता है। शाथ ही उन्हें लगता है कि ऐसे में उनका पार्टनर किसी ऐसे ऑपोजिट पार्टनर के संपर्क में आ सकता जो बच्चे पैदा करने में सक्षम हो।
यह भी पढ़ें: इन आसान 11 तरीकों से बच्चे को जंक फूड से रखें दूर
सेक्शुअल दबाव:
सेक्स-ऑन-डिमांड के दौर से गुजरने वाले कपल्स इनफर्टिलिटी की बात सामने आने पर अपनी सहजता खो देते हैं। कभी-कभी इस दौरान दबाव इतना होता है कि पार्टनर इरेक्शन में असमर्थ होता है। इससे भी ऑपोजिट पार्टनर में गुस्सा और चिड़चिड़ापन आना सामान्य है।
यह भी पढ़ें: क्या सच में फर्टिलिटी पर होता है उम्र का असर?
पारिवारिक दबाव:
कभी-कभी परिवार के लोग कपल्स पर बच्चे पैदा करने का दबाव डालते हैं। पति-पत्नी बांझपन (इनफर्टिलिटी) की समस्या के बारे में किसी को बताने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं। वे अपने पेरेंट्स या भाई-बहनों पर भी विश्वास करने से हिचकिचाते हैं। यह उस वक्त और भी मुश्किल हो सकती है जब दंपति गर्भधारण (प्रेग्नेंसी) के लिए शुक्राणु या गमेट डोनेटर को चुनते हैं।
वित्तीय दबाव:
इनफर्टिलिटी के मामले में कपल्स उपचार में बहुत खर्च कर देते हैं। इनफर्टिलिटी का उपचार स्वास्थ्य इंश्योरेंस द्वारा कवर नहीं किया जा सकता है। जिसके कारण इसकी लागतों का भुगतान या तो खुद करना पड़ता है या परिवार द्वारा। यह उनपर वित्तीय दबाव डालता है।
स्ट्रेस थेरिपी क्या है? ऐसे बचें चिंता और इनफर्टिलिटी से
अगर आप प्रेग्नेंसी की चिंता और स्ट्रेस से परेशान हैं तथा इनफर्टिलिटी के स्ट्रेस से जूझ हैं, तो डॉक्टर की देख-रेख में ‘स्ट्रेस थेरिपी’ से इसे कम कर सकते हैं। ‘स्ट्रेस थेरेपी’ से चिंता और इनफर्टिलिटी से बचने में मदद मिलती है लेकिन, ऐसा नहीं है कि इससे आपको प्रेग्नेंट होने में मदद मिलेगी। स्ट्रेस थेरिपी से आपको प्रेग्नेंसी में चिंता कम करने जैसी एक्टिविटी कराई जाती है। इसकी मदद से स्ट्रेस फ्री हो कर आप अच्छी तरह सो सकते हैं, खा सकते हैं और एक अच्छी जिंदगी जी सकते हैं। प्रेग्नेंसी प्लानिंग के दौरान या कंसीव करने के बाद अच्छी लाइफ के लिए खुद को स्ट्रेस से दूर रखें।
अगर आप स्ट्रेस में हैं तो जितनी जल्दी हो सके, इससे निकलने की कोशिश करें या डॉक्टर से सलाह लें। तभी आप इनफर्टिलिटी से बचकर पैरेंट्स बन सकते हैं।
यह भी पढ़ें: क्या नींद में कमी कर सकती है आपकी इम्यूनिटी को कमजोर?