कई कपल्स इनफर्टिलिटी से ग्रसित होने की बात सुनते ही सेल्फ-एस्टीम को काफी लो महसूस करते हैं। उन्हें लगता है कि वे अपने पार्टनर की नजर में गिर जाएंगे। कपल्स को बच्चों के आसपास रहना अजीब लग सकता है, खासकर फैमिली फंक्शन्स में। ऐसे कपल्स ऐसे पार्टीज में जाने से कतराते हैं कि कहीं कोई कुछ इससे रिलेटेड सवाल न करने लगें। इसके अलावा उन्हें अपने पेरेंट्स के सवालों से भी जूझना पड़ सकता है।
वैवाहिक संबंध में तनाव:
बांझपन (इनफर्टिलिटी) का निदान शादी के रिश्ते को प्रभावित कर सकता है। अक्सर पति-पत्नी जो बांझ होते हैं, उन्हें यह डर होता है कि पार्टनर छोड़ सकता है। शाथ ही उन्हें लगता है कि ऐसे में उनका पार्टनर किसी ऐसे ऑपोजिट पार्टनर के संपर्क में आ सकता जो बच्चे पैदा करने में सक्षम हो।
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चिंता और इनफर्टिलिटी : सेक्शुअल दबाव
सेक्स-ऑन-डिमांड के दौर से गुजरने वाले कपल्स इनफर्टिलिटी की बात सामने आने पर अपनी सहजता खो देते हैं। कभी-कभी इस दौरान दबाव इतना होता है कि पार्टनर इरेक्शन में असमर्थ होता है। इससे भी ऑपोजिट पार्टनर में गुस्सा और चिड़चिड़ापन आना सामान्य है।
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पारिवारिक दबाव:
कभी-कभी परिवार के लोग कपल्स पर बच्चे पैदा करने का दबाव डालते हैं। पति-पत्नी बांझपन (इनफर्टिलिटी) की समस्या के बारे में किसी को बताने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं। वे अपने पेरेंट्स या भाई-बहनों पर भी विश्वास करने से हिचकिचाते हैं। यह उस वक्त और भी मुश्किल हो सकती है जब दंपति गर्भधारण (प्रेग्नेंसी) के लिए शुक्राणु या गमेट डोनेटर को चुनते हैं।