डॉक्टर सबसे पहले आपकी मेडिकल हिस्ट्री को चेक करते हैं। इसके बाद आपका शारीरिक परीक्षण (फिजिकल टेस्ट) होता है जिसमें इंटरनल पेल्विक टेस्ट (internal pelvic test), सर्वाइकल (cervical culture) कल्चर, ब्लड टेस्ट (blood test), पेट का अल्ट्रासाउंड, वजाइना का अल्ट्रासाउंड (vaginal ultrasound) आदि कराया जाता है।
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ऑव्युलेशन पेन के उपचार क्या हैं? (treatment for ovulation pain)
माना यह जाता है कि ऑव्युलेशन पेन के लक्षण तकरीबन 24 घंटों के अंदर दूर हो जाते हैं, लिहाजा इसके लिए किसी विशेष चिकित्सा की जरूरत नहीं होती है। फिर भी दर्द सहा सके तो ये कुछ टिप्स फॉलो करें-
- यदि दर्द समय के साथ बढ़ता जाए, तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए एवं डॉक्टर द्वारा बताया गया उपचार शुरू करें। इससे ऑव्युलेशन पेन के लक्षण को कम करने में मदद मिलेगी।
- ओवर-द-काउंटर दवाएं जैसे कि एलेव (नेप्रोक्सन) या मोट्रिन (इबुप्रोफेन) आम तौर पर ऑव्युलेशन पेन में राहत देने में प्रभावी होती हैं लेकिन, डॉक्टर परामर्श से ही दवा का सेवन करें।
- यदि कोई महिला प्रेग्नेंसी प्लान (pregnancy plan) कर रही है, तो किसी दवा का सेवन न करें। महिला ऑव्युलेशन के बाद गर्भधारण (conception) कर सकती है।
- पेट के निचले हिस्से में गर्म पैड लगाना या गर्म स्नान करना भी दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। और ऑव्युलेशन पेन के लक्षण को कम कर सकता है।
- हार्मोनल गर्भनिरोधक गोली और बर्थ कंट्रोल के अन्य रूप भी ऑव्युलेशन पेन के लक्षण को कम कर सकते हैं क्योंकि वे ऑव्युलेशन प्रक्रिया को रोकते हैं। अपने डॉक्टर के साथ इस विकल्प पर पहले बात कर लें।
- बिस्तर पर थोड़ा आराम कर लेने से भी दर्द कम हो जाता है।
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ऑव्युलेशन में दर्द : डॉक्टर को कब दिखाएं?
अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स की सलाह है कि 21 से 29 साल की महिलाओं को हर तीन साल में पैप स्मीयर से सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग करानी चाहिए।
वहीं, 30 से 65 वर्ष की महिलाओं को हर तीन साल में एक पैप स्मीयर या पैप स्मीयर के साथ एचपीवी टेस्ट हर पांच साल में कराना चाहिए।