इस टेस्ट से आसानी से फैलोपियन ट्यूब की परेशानी का पता लगाया जा सकता है। यदि सलाइन फैलोपियन ट्यूब में आसानी से फ्लो हो जाता है तो ट्यूब्स ब्लॉक नहीं होती हैं।
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एनेस्थेटिक की जरूरत नहीं पड़ती। यह एचसीजी से सुरक्षित मानी जाती है क्योंकि, इसमें रेडिएशन या कॉन्ट्रास्ट की आवश्यकता नहीं पड़ती। हालांकि, सोनोहिस्टेरॉग्राफी का अनुमान हमेशा सटीक नहीं होता है।
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लेप्रोस्कॉपी (Laparoscopy)
ट्यूब्स ब्लॉक या एंडोमेट्रियोसिस होने पर लेप्रोस्कॉपी की जा सकती है। इसमें नाभि के बिलकुल नीचे से एक छोटा सा लेप्रोस्कॉप पेल्विक केविटी में डाला जाता है।
आमतौर पर इस प्रक्रिया में एक सामान्य एनेस्थेटिक का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया से डॉक्टर सीधे ही यूटरस, फैलोपियन ट्यूब्स और ओवरी को देख सकते हैं। लेप्रोस्कॉप के जरिए एक इंस्टूमेंट डाला जाता है, जिससे पेल्विक के अंदर मौजूद ब्लॉक को साफ किया जाता है।
हिस्टेरोस्कॉपी (Hysteroscopy)
यूटरस के अंदर विषमता पाए जाने पर डॉक्टर इसकी जांच कर सकते हैं। यह जांच हिस्टरोस्कॉपी के जरिए होती है। यह एक प्रकार की ट्यूब होती है, जिसे वजायना और गर्भाशय ग्रीवा के जरिए यूटरस में डाला जाता है। यदि फैलोपियन ट्यूब में चिपकाव, झिल्ली या छोटी गांठ पाई जाती हो तो इस इंस्टूमेंट से इन्हें हटा दिया जाता है। इससे महिला के गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है।
यदि आप भी गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं, तो फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो सकती हैं। इस स्थिति में सबसे बेहतर होगा कि आप सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर के बताए दिशानिर्देशों पर ही अपना इलाज कराएं।