ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब के लक्षण
- फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने की वजह से इसके लक्षण के रूप में गर्भधारण करने में दिक्कत के अलावा कोई लक्षण नजर नहीं आता है।
- कुछ महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने की वजह से उन्हें पेल्विक या पेट में दर्द का अहसास हो सकता है। संभवतः यद दर्द नियमित रूप से हो सकता है। यह दर्द उनके मासिक धर्म के आसपास की अवधि में हो सकता है।
- कई बार फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने से फर्टिलाइज अंडा यूटरस के बाहर रह जाता है। इस स्थिति को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के नाम से जाना जाता है। हालांकि, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी हमेशा इसका लक्षण नहीं हो सकती। आमतौर पर इसका पता स्कैन के जरिए लगाया जाता है।
- वहीं, कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के लक्षणों का अहसास हो सकता है, जिसमें पेट दर्द या बॉडी के एक तरफ दर्द या वजायना से ब्लीडिंग भी हो सकती है। यदि किसी भी महिला को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने का शक हो तो उसे तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- ब्लॉकेज की वजह से पेट में या एक तरफ हल्का और तेज दर्द होने का अहसास होता है। इसे हाइड्रोसालपिंक्स(hydrosalpinx) कहा जाता है। इस स्थिति में फैलोपियन ट्यूब में फ्लूड (पस) भर जाता है और ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब बड़ी हो जाती है।
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ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब का इलाज
हिस्टेरोसलपिंगोग्राफी (Hysterosalpingography) या एचसीजी टेस्ट
यह एक प्रकार का एक्स-रे है। इसके माध्यम से रेडियोपेक कॉन्ट्रास (विशेष प्रकार की डाई) को इंजेक्शन के द्वारा बच्चेदानी में डाला जाता है। इससे गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब्स एकदम स्पष्ट दिखाई देती हैं।
एचसीजी टेस्ट मासिक धर्म खत्म होने के कुछ दिनों बाद किया जाता है। एचसीजी टेस्ट से फैलोपियन ट्यूब में किसी भी खराबी या सूजन का पता लगाया जा सकता है, जो ट्यूब्स को ब्लॉक कर रही होती हैं।
हालांकि, करीब 15% मामलों में एचसीजी टेस्ट ट्यूब्स के ब्लॉक होने का संकेत देता है। यहां तक कि टेस्ट के सामान्य आने की स्थिति में भी एचसीजी टेस्ट से युवा महिलाओं की फर्टिलिटी में थोड़ा सुधार होता है। इस टेस्ट में अस्थाई रूप से फैलोपियन ट्यूब खुल जाती है या उसमें जमी परत साफ हो जाती है।
सोनोहिस्टेरॉग्राफी (Sonohysterography)
सोनोहिस्टेरॉग्राफी का इस्तेमाल फैलोपियन ट्यूब में हुई समस्याओं और पेल्विक में अन्य दिक्कतों का पता लगाने के लिए किया जाता है। सोनोहिस्टेरॉग्राफी में एक सलाइन बच्चेदानी के जरिए यूटरस के आंतरिक हिस्से में डाली जाती है, जिससे इसका आंतरिक हिस्सा स्पष्ट दिखाई दे और विषमता का पता लगाया जा सके।
इस टेस्ट से आसानी से फैलोपियन ट्यूब की परेशानी का पता लगाया जा सकता है। यदि सलाइन फैलोपियन ट्यूब में आसानी से फ्लो हो जाता है तो ट्यूब्स ब्लॉक नहीं होती हैं।
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एनेस्थेटिक की जरूरत नहीं पड़ती। यह एचसीजी से सुरक्षित मानी जाती है क्योंकि, इसमें रेडिएशन या कॉन्ट्रास्ट की आवश्यकता नहीं पड़ती। हालांकि, सोनोहिस्टेरॉग्राफी का अनुमान हमेशा सटीक नहीं होता है।
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लेप्रोस्कॉपी
ट्यूब्स ब्लॉक या एंडोमेट्रियोसिस होने पर लेप्रोस्कॉपी की जा सकती है। इसमें नाभि के बिलकुल नीचे से एक छोटा सा लेप्रोस्कॉप पेल्विक केविटी में डाला जाता है।
आमतौर पर इस प्रक्रिया में एक सामान्य एनेस्थेटिक का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया से डॉक्टर सीधे ही यूटरस, फैलोपियन ट्यूब्स और ओवरी को देख सकते हैं। लेप्रोस्कॉप के जरिए एक इंस्टूमेंट डाला जाता है, जिससे पेल्विक के अंदर मौजूद ब्लॉक को साफ किया जाता है।
हिस्टेरोस्कॉपी
यूटरस के अंदर विषमता पाए जाने पर डॉक्टर इसकी जांच कर सकते हैं। यह जांच हिस्टरोस्कॉपी के जरिए होती है। यह एक प्रकार की ट्यूब होती है, जिसे वजायना और गर्भाशय ग्रीवा के जरिए यूटरस में डाला जाता है। यदि फैलोपियन ट्यूब में चिपकाव, झिल्ली या छोटी गांठ पाई जाती हो तो इस इंस्टूमेंट से इन्हें हटा दिया जाता है। इससे महिला के गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है।
यदि आप भी गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं, तो फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो सकती हैं। इस स्थिति में सबसे बेहतर होगा कि आप सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर के बताए दिशानिर्देशों पर ही अपना इलाज कराएं।